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ERCP: सवा सौ किलोमीटर पैदल मार्च कर राजेश्वरी पहुंची जयपुर, मुख्यमंत्री को सौंपा ज्ञापन

ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना घोषित करने की मांग को लेकर राजेश्वरी मीणा पैदल मार्च करके जयपुर (Rajeshwari Meena foot march to Jaipur) पहुंची. इस दौरान उन्होंने सीएम गहलोत को ज्ञापन सौंपा साथ ही डीपीआर में वंचित बांधों गांव को भी परियोजना से जुड़वाने की बात कही. जिससे 13 जिलों को इसका लाभ मिल सके.

Rajeshwari Meena foot march to Jaipur
सवा सौ किलोमीटर पैदल मार्च कर राजेश्वरी पहुंची जयपुर
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Published : Jul 21, 2022, 8:48 AM IST

जयपुर. ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग को लेकर लालसोट की राजेश्वरी मीणा (Rajeshwari Meena foot march to Jaipur) सवा सौ किलोमीटर पैदल मार्च कर जयपुर पहुंची. राजेश्वरी मीणा ने 4 दर्जन से ज्यादा लोगों के साथ लालसोट की खुर्दा माता मंदिर से अपनी पदयात्रा शुरू की, जिसे मुख्यमंत्री आवास सिविल लाइंस पर समाप्त किया गया. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री को ईआरसीपी को लेकर ज्ञापन सौंपा.

परसादी लाल मीणा ने कहा था 'गेट आउट' : राजेश्वरी मीणा ने बताया कि अपनी यात्रा शुरू करने के साथ ही स्थानीय विधायक और चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा को ज्ञापन सौंपने की कोशिश की थी. इस दौरान मंत्री ने ज्ञापन लेने से इनकार कर दिया था. उन्होंने बताया कि लगातार आग्रह करने के बाद भी मीणा ने उनको गेट आउट कह बाहर कर दिया था. इसका वीडियो सोशल मीडिया और खबरों पर जमकर छाया रहा.

सवा सौ किलोमीटर पैदल मार्च कर राजेश्वरी पहुंची जयपुर

ERCP संयुक्त मोर्चा उतारेगा प्रत्याशी : ERCP संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मानसिंह मीणा ने इस दौरान बताया कि पूर्वी राजस्थान के लोग अब सियासत नहीं पानी चाहते हैं. अगर सरकार ने वक्त रहते उनकी मांग पर गौर नहीं किया तो आने वाले विधानसभा चुनाव में मोर्चा अपना प्रत्याशी उतारेगा और भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का विरोध करेगा. मान सिंह ने कहा कि ERCP को लेकर तैयार की गई डीपीआर में दो से ढ़ाई हजार की आबादी को लाभान्वित करने वाले जल स्रोतों को इस प्रोजेक्ट से अलग कर दिया गया. वे सरकार से मांग करते हैं कि ERCP के दायरे में आने वाले हर जलस्रोत को इससे जोड़ा जाए.

प्रदेश सरकार देगी 10 हजार करोड़ रुपये: राजस्थान सरकार ने कहा है कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट के लिए संपत्ति बेचकर सरकार पैसा जुटाएगी. कई जिलों की अनुपयोगी संपत्तियों को बेचकर 10 हजार करोड़ रुपये जमा किए जाएंगे. इसे लेकर जल संसाधन विभाग, इंदिरा गांधी नहर परियोजना, कमांड एरिया डेवलपमेंट बीकानेर और कोटा को भी पत्र लिखा गया है. जाहिर है कि राजस्थान के 13 जिलों में पीने के पानी और सिंचाई के लिए इस नहर परियोजना से जल उपलब्ध होगा. उद्योगों को भी इससे मिलने वाले पानी से फायदा होगा.

पढ़ें. Congress Targets BJP : ERCP को लेकर खिलाड़ी लाल बैरवा, गिर्राज सिंह मलिंगा और रोहित बोहरा ने बीजेपी पर बोला हमला

यह है मौजूदा तस्वीर : पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने साल 2017-18 में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर प्लानिंग तैयार की थी. वहीं सीएम अशोक गहलोत ने इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने की मांग लेकर केंद्र सरकार से ही पैसे की मांग की. इस पर केंद्र ने राज्य सरकार पर परियोजना में अपने स्तर पर कुछ नहीं करने का आरोप लगाया है. 1268 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट पर करीब 40 हजार करोड़ रुपये की रकम खर्च होगी. इस प्रोजेक्ट से राजस्थान की लगभग 40% आबादी को फायदा होगा. वहीं करीब साढ़े तीन करोड़ लोग इससे लाभान्वित होंगे.

इस परियोजना से पूर्वी राजस्थान के दौसा, करौली ,धौलपुर, सवाई माधोपुर, भरतपुर ,अलवर के अलावा राजधानी जयपुर को तो फायदा होगा ही, साथ ही हाड़ौती, कोटा, झालावाड़, बूंदी, बारां और अजमेर जैसे जिलों में सिंचाई और पीने के योग्य पानी मिल सकेगा. इस परियोजना के जरिए दक्षिणी राजस्थान में चंबल और इससे जुड़ी हुई पार्वती, बनास, मोरेल, बाणगंगा ,गंभीरी और कालीसिंध नदियों में बरसात के बाद ओवर फ्लो पानी का इस्तेमाल किया जा सकेगा. जिससे 2 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की जा सकेगी. इस परियोजना के लिए पैसा देने के बारे में केंद्र सरकार ने कहा है कि फिलहाल राजस्थान सरकार नई डीपीआर तैयार करें, जिसमें सिंचाई और उद्योगों को पानी देने की मांग को हटा दिया जाए.

जयपुर. ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट (ERCP) को राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा देने की मांग को लेकर लालसोट की राजेश्वरी मीणा (Rajeshwari Meena foot march to Jaipur) सवा सौ किलोमीटर पैदल मार्च कर जयपुर पहुंची. राजेश्वरी मीणा ने 4 दर्जन से ज्यादा लोगों के साथ लालसोट की खुर्दा माता मंदिर से अपनी पदयात्रा शुरू की, जिसे मुख्यमंत्री आवास सिविल लाइंस पर समाप्त किया गया. इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री को ईआरसीपी को लेकर ज्ञापन सौंपा.

परसादी लाल मीणा ने कहा था 'गेट आउट' : राजेश्वरी मीणा ने बताया कि अपनी यात्रा शुरू करने के साथ ही स्थानीय विधायक और चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा को ज्ञापन सौंपने की कोशिश की थी. इस दौरान मंत्री ने ज्ञापन लेने से इनकार कर दिया था. उन्होंने बताया कि लगातार आग्रह करने के बाद भी मीणा ने उनको गेट आउट कह बाहर कर दिया था. इसका वीडियो सोशल मीडिया और खबरों पर जमकर छाया रहा.

सवा सौ किलोमीटर पैदल मार्च कर राजेश्वरी पहुंची जयपुर

ERCP संयुक्त मोर्चा उतारेगा प्रत्याशी : ERCP संयुक्त मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष मानसिंह मीणा ने इस दौरान बताया कि पूर्वी राजस्थान के लोग अब सियासत नहीं पानी चाहते हैं. अगर सरकार ने वक्त रहते उनकी मांग पर गौर नहीं किया तो आने वाले विधानसभा चुनाव में मोर्चा अपना प्रत्याशी उतारेगा और भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस का विरोध करेगा. मान सिंह ने कहा कि ERCP को लेकर तैयार की गई डीपीआर में दो से ढ़ाई हजार की आबादी को लाभान्वित करने वाले जल स्रोतों को इस प्रोजेक्ट से अलग कर दिया गया. वे सरकार से मांग करते हैं कि ERCP के दायरे में आने वाले हर जलस्रोत को इससे जोड़ा जाए.

प्रदेश सरकार देगी 10 हजार करोड़ रुपये: राजस्थान सरकार ने कहा है कि ईस्टर्न राजस्थान कैनाल प्रोजेक्ट के लिए संपत्ति बेचकर सरकार पैसा जुटाएगी. कई जिलों की अनुपयोगी संपत्तियों को बेचकर 10 हजार करोड़ रुपये जमा किए जाएंगे. इसे लेकर जल संसाधन विभाग, इंदिरा गांधी नहर परियोजना, कमांड एरिया डेवलपमेंट बीकानेर और कोटा को भी पत्र लिखा गया है. जाहिर है कि राजस्थान के 13 जिलों में पीने के पानी और सिंचाई के लिए इस नहर परियोजना से जल उपलब्ध होगा. उद्योगों को भी इससे मिलने वाले पानी से फायदा होगा.

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यह है मौजूदा तस्वीर : पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने साल 2017-18 में पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को लेकर प्लानिंग तैयार की थी. वहीं सीएम अशोक गहलोत ने इसे राष्ट्रीय परियोजना का दर्जा दिए जाने की मांग लेकर केंद्र सरकार से ही पैसे की मांग की. इस पर केंद्र ने राज्य सरकार पर परियोजना में अपने स्तर पर कुछ नहीं करने का आरोप लगाया है. 1268 किलोमीटर लंबे इस प्रोजेक्ट पर करीब 40 हजार करोड़ रुपये की रकम खर्च होगी. इस प्रोजेक्ट से राजस्थान की लगभग 40% आबादी को फायदा होगा. वहीं करीब साढ़े तीन करोड़ लोग इससे लाभान्वित होंगे.

इस परियोजना से पूर्वी राजस्थान के दौसा, करौली ,धौलपुर, सवाई माधोपुर, भरतपुर ,अलवर के अलावा राजधानी जयपुर को तो फायदा होगा ही, साथ ही हाड़ौती, कोटा, झालावाड़, बूंदी, बारां और अजमेर जैसे जिलों में सिंचाई और पीने के योग्य पानी मिल सकेगा. इस परियोजना के जरिए दक्षिणी राजस्थान में चंबल और इससे जुड़ी हुई पार्वती, बनास, मोरेल, बाणगंगा ,गंभीरी और कालीसिंध नदियों में बरसात के बाद ओवर फ्लो पानी का इस्तेमाल किया जा सकेगा. जिससे 2 लाख हेक्टेयर जमीन पर सिंचाई की जा सकेगी. इस परियोजना के लिए पैसा देने के बारे में केंद्र सरकार ने कहा है कि फिलहाल राजस्थान सरकार नई डीपीआर तैयार करें, जिसमें सिंचाई और उद्योगों को पानी देने की मांग को हटा दिया जाए.

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