जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय को आदेश दिए हैं कि वह अपने पूर्व के आदेश में संशोधन करते हुए लोक प्रशासन विभाग के एचओडी पद पर याचिकाकर्ता को तीन साल के लिए नियुक्ति प्रदान करे.
इसके साथ ही खंडपीठ ने एकलपीठ के उस आदेश को रद्द कर दिया है, जिसमें याचिकाकर्ता को स्थाई एसोसिएट प्रोफेसर की नियुक्ति तक एचओडी पद पर नियुक्ति के आदेश दिए गए थे. न्यायाधीश संगीत लोढ़ा और न्यायाधीश महेन्द्र गोयल की खंडपीठ ने यह आदेश ओमप्रकाश महला की अपील पर दिए.
अपील में अधिवक्ता विमल चौधरी ने अदालत को बताया कि अपीलार्थी एसोसिएट प्रोफेसर को विवि ने वर्ष 2015 में तीन साल के लिए एचओडी लगाया था. वर्ष 2018 में अवधि पूरी होने पर विवि ने 20 मार्च 2018 को एक असिस्टेंट प्रोफेसर को एचओडी बना दिया गया. इसके खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अप्रैल 2019 को आदेश जारी कर 20 मार्च के आदेश पर रोक लगा दी.
इस पर राजस्थान विश्वविद्यालय प्रशासन ने 22 अप्रैल को परीवीक्षा में चल रही एसोसिएट प्रोफेसर को एचओडी लगाया. इसके खिलाफ फिर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने स्थाई एसोसिएट प्रोफेसर आने तक याचिकाकर्ता को एचओडी पद नियुक्ति देने को कहा.
गत वर्ष 23 मार्च को राजस्थान विश्वविद्यालय ने अपीलार्थी को स्थाई एसोसिएट प्रोफेसर आने तक नियुक्ति दे दी. अपील में कहा गया कि विवि प्रशासन ने एचओडी पद के लिए तीन साल की अवधि को तय किया था. ऐसे में एकलपीठ के आदेश को रद्द किया जाए. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेश को रद्द करते हुए अपीलार्थी की नियुक्ति का संशोधित आदेश जारी करने को कहा है.