जयपुर. कोरोना काल में आमजन के जीवन पर काफी असर पड़ा है. इसके साथ ही लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा है. दूसरी ओर पेट्रोल और डीजल के बढ़ रहे दामों से आमजन का बजट गड़बड़ा गया है. जिसका असर ट्रांसपोर्ट व्यवसाय पर देखने को मिल रहा है. ज्यादातर ट्रांसपोर्टर दूसरे राज्यों से पेट्रोल और डीजल भरवाकर राजस्थान में आते हैं. इससे राजस्थान सरकार के राजस्व को घाटा हो रहा है.
बता दें कि राजस्थान के करीबी राज्यों के अंतर्गत पेट्रोल और डीजल के दाम में 8 से 10 रुपए तक का अंतर देखा जा रहा है. जिसके चलते ट्रांसपोर्ट दूसरे राज्यों से डीजल बनवाकर राजस्थान में आते हैं और माल का परिवहन भी करते हैं. जयपुर ट्रक ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल आनंद ने बताया कि अभी ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की हालत खराब है.
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प्रदेश के करीब 70 से 80 फीसदी ट्रकों की 2 से 3 महीने तक की किस्त भी अभी तक ट्रांसपोर्टर्स की ओर से जमा नहीं की गई है. राजस्थान सरकार की ओर से भी ट्रांसपोर्टर्स को किसी तरह की राहत नहीं दी जा रही है. आनंद ने बताया कि यदि राज्य सरकार की ओर से ट्रांसपोर्टर्स के लिए किसी भी तरह का आर्थिक पैकेज जारी नहीं किया.
ऐसे में राज्य सरकार को या तो ट्रांसपोर्टर्स के किराए में बढ़ोतरी करनी होगी या सरकार को पेट्रोल और डीजल के दामों में कमी लानी होगी. आनंद ने बताया कि राजस्थान के ट्रांसपोटर्स को पेट्रोल और डीजल के दाम बढ़ने से 2 से 3 रुपए प्रति लीटर तक का आर्थिक नुकसान हो रहा है. ऐसे में राज्य सरकार को पेट्रोल और डीजल के दाम में कमी करनी चाहिए. जिससे ट्रांसपोर्ट व्यवसाय एक बार फिर दोबारा से पटरी पर आ सके.