जयपुर. राजनीति शह और मात का खेल है. राजस्थान में कांग्रेस के ही दो गुट अशोक गहलोत और सचिन पायलट सरकार बचाने और सरकार गिराने के लिए शह और मात का खेल खेल रहे हैं. शायद वर्तमान परिदृश्य में देश में ऐसा उदाहरण कोई दूसरा नहीं हो, जहां एक ओर जब राजस्थान में चीफ व्हिप महेश जोशी की शिकायत पर एसओजी ने राष्ट्रद्रोह की धारा के तहत मामला दर्ज कर लिया तो सचिन पायलट नाराज हो गए.
पायलट ने इसी धारा पर नाराजगी जताते हुए कहा कि जब प्रदेश के उपमुख्यमंत्री के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज होगा तो फिर बाकी क्या बचा. इसके बाद ही मामला हाईकोर्ट पहुंचा और विधायक भंवर लाल शर्मा की ओर से हाईकोर्ट में यह याचिका पेश कर दी गई कि इस मामले को एसओजी से ट्रांसफर कर एनआईए को सुपुर्द किया जाए, ताकि इसकी जांच बेहतर तरीके से हो.
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वहीं, मंगलवार को एसओजी की ओर से हाईकोर्ट में यह प्रार्थना पत्र दाखिल कर दिया कि जो तीनों मामले उन्होंने दर्ज किए थे, उनमें राजद्रोह का अपराध नहीं बनता है उसमें केवल भ्रष्टाचार का मामला बनता है. ऐसे में इस मामले की पूरी पत्रावली एसीबी को भिजवाने का निवेदन किया है.
एक तीर से कई निशाने...
अब साफ है कि इस प्रार्थना पत्र के जरिए कांग्रेस सरकार ने एक तीर से कई निशाने मारे हैं. एक तो राजद्रोह का मामला हटाने से अब एनआईए इस मामले में जांच का सार नहीं रहेगा, तो वहीं दूसरी ओर सीबीआई को लेकर सरकार पहले ही साफ कर चुकी है कि अगर सीबीआई किसी मामले की जांच करती है तो उसे पहले राज्य सरकार की परमिशन लेनी होगी.
राज्य सरकार का तीसरा मास्टरस्ट्रोक
ऐसे में अब यह मामला एसीबी की जांच को सौंपकर सरकार ने सीधे तौर पर केंद्रीय जांच एजेंसियों से तो इस मामले को एकबारगी बचाने का प्रयास किया है. साथ ही तीसरा मास्टरस्ट्रोक राज्य सरकार की ओर से इस मामले में यह मारा गया है कि यही वह धारा थी जिसका ऑब्जेक्शन सचिन पायलट ने किया था और जिसे वह अपनी नाराजगी का आधार बना रहे थे.
जनता को दिया यह मैसेज...
वहीं, अब प्रदेश की कांग्रेस पार्टी, आलाकमान और जनता को यह भी मैसेज देने का प्रयास किया है कि जो नाराजगी पायलट खेमे को थी, उस नाराजगी को दूर कर लिया गया है. अब भी अगर पायलट कैंप वापस नहीं लौटता है तो वह जानबूझकर सरकार गिराने के कृत्य कर रहा है.
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ऐसे में साफ है कि हाईकोर्ट में भले ही एसओजी ने यह लिख कर दिया हो कि यह मामला राजद्रोह का नहीं है केवल भ्रष्टाचार का है, लेकिन इसके पीछे कांग्रेस पार्टी का मास्टर स्ट्रोक भी है. जिससे वह इस मामले को एनआईए की जांच से दूर भी ले गई और लोगों के बीच यह मैसेज भी दे दिया कि जिस मामले में पायलट कैंप को नाराजगी थी उनकी नाराजगी समझते हुए वह मामला वापस ले लिया गया है.
हालांकि, हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई 13 अगस्त को रखी गई है. ऐसे में अंतिम निर्णय हाईकोर्ट ही करेगा, लेकिन प्रथम दृष्टि से देखने पर लगता है कि सरकार ने एक तीर से कई निशाने मारे हैं.