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राजस्थान के रण में जीता हाईकमान, गहलोत ने बचाई कुर्सी!

राजस्थान की राजनीति में जारी उठापटक सचिन पायलट की वापसी के साथ ही शांत हो गई है. हालांकि सियासी गलियारों में अब भी ये चर्चा है कि आखिर इसमें जीत किसकी हुई. जिसका जवाब सीएम गहलोत और सचिन पायलट के ताजा बयानों में साफ नजर आ रहा है.

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कांग्रेस में सचिन पायलट की वापसी
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Published : Aug 11, 2020, 9:27 PM IST

जयपुर. कांग्रेस से बगावत करने के बाद सचिन पायलट आलाकमान से मिलकर जयपुर लौट चुके हैं. इस बीच एक चर्चा लगातार राजस्थान के सियासी गलियारों में सवालों के साथ खड़ी है, कि जीत किसकी हुई? इस मामले में अगर गौर किया जाए तो बगावत का झंडा उठाकर भी सचिन पायलट ने कांग्रेस में जगह कायम रखी है, तो अशोक गहलोत की कुर्सी भी जस की तस है.

राजस्थान के रण कौन जीता? देखें रिपोर्ट...

ऐसे में इस सवाल का सीधा सा जवाब अशोक गहलोत और सचिन पायलट के ताजा बयानों में नजर आता है. यह फैसला एक बार फिर कांग्रेस में आलाकमान के भरोसे ही तय हुआ है. राजस्थान के सियासी रण में लगातार बयानबाजी के दौर के बीच में कौन किस पर हावी है? इस तस्वीर पर सबकी निगाहें थी, इस पूरे सियासी घटनाक्रम पर विराम तब लगा, जब 10 अगस्त की सुबह से दिल्ली से सचिन पायलट और राहुल गांधी के बीच मुलाकात की चर्चाएं तेज हुई और देर शाम होते-होते तस्वीर साफ हो गई.

पढ़ें- मेरे मन में सब के लिए मान-सम्मान है जिसने जो कहा वो अपनी जाने मैं ईगो नहीं रखता: सचिन पायलट

सचिन पायलट ने कांग्रेस में वापसी की और 9 अगस्त को जैसलमेर के सूर्यगढ़ पैलेस में विधायक दल की बैठक से आई खबर पर विराम लगा दिया. इस खबर के मुताबिक अशोक गहलोत के सामने पार्टी के विधायकों ने एक स्वर में सचिन पायलट और उनसे जुड़े विधायकों को कांग्रेस में फिर से एंट्री देने का विरोध किया था. लेकिन 10 तारीख की शाम को हुए फैसले के मुताबिक सचिन पायलट और कांग्रेस के बीच का नाता किसी प्रकार से खत्म होता हुआ नजर नहीं आया.

इसके बाद सचिन पायलट ने जयपुर में लगभग 1 महीने बाद वापसी की और उनके समर्थित कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से नारेबाजी के बीच पायलट का इस्तकबाल किया. सचिन पायलट ने 10 अगस्त की रात राहुल गांधी से मुलाकात के बाद कहा था कि आलाकमान ने उनकी शिकायतों के निस्तारण का भरोसा दिया है और वे जयपुर लौट रहे हैं.

पढ़ें- पायलट की 'घर वापसी' के बाद BJP पर बरसे गहलोत, कहा- हमारे साथियों ने धज्जियां उड़ा दी...

वहीं, जब अशोक गहलोत से इस वापसी को लेकर 11 अगस्त को जैसलमेर की रुखसती से पहले सवाल हुआ, तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस का भरोसा आलाकमान और गहलोत दोनों में है. मतलब साफ है कि इस पूरे प्रकरण में अशोक गहलोत ना तो निस्तारण की भूमिका को पूरी तरह से अदा कर पाए और ना ही सचिन पायलट अपनी शर्तों को मनवा पाए.

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के रूप में गांधी परिवार ही आलाकमान के रूप में इस पूरे विवाद को निस्तारित करता हुआ देखा गया. मतलब एक बार फिर कांग्रेस में आलाकमान ही सर्वे सर्वा साबित हुआ. लेकिन यहां एक सवाल अशोक गहलोत ने छोड़ दिया जिसमें उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं का भरोसा आलाकमान और उनमें बराबर है.

जयपुर. कांग्रेस से बगावत करने के बाद सचिन पायलट आलाकमान से मिलकर जयपुर लौट चुके हैं. इस बीच एक चर्चा लगातार राजस्थान के सियासी गलियारों में सवालों के साथ खड़ी है, कि जीत किसकी हुई? इस मामले में अगर गौर किया जाए तो बगावत का झंडा उठाकर भी सचिन पायलट ने कांग्रेस में जगह कायम रखी है, तो अशोक गहलोत की कुर्सी भी जस की तस है.

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ऐसे में इस सवाल का सीधा सा जवाब अशोक गहलोत और सचिन पायलट के ताजा बयानों में नजर आता है. यह फैसला एक बार फिर कांग्रेस में आलाकमान के भरोसे ही तय हुआ है. राजस्थान के सियासी रण में लगातार बयानबाजी के दौर के बीच में कौन किस पर हावी है? इस तस्वीर पर सबकी निगाहें थी, इस पूरे सियासी घटनाक्रम पर विराम तब लगा, जब 10 अगस्त की सुबह से दिल्ली से सचिन पायलट और राहुल गांधी के बीच मुलाकात की चर्चाएं तेज हुई और देर शाम होते-होते तस्वीर साफ हो गई.

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सचिन पायलट ने कांग्रेस में वापसी की और 9 अगस्त को जैसलमेर के सूर्यगढ़ पैलेस में विधायक दल की बैठक से आई खबर पर विराम लगा दिया. इस खबर के मुताबिक अशोक गहलोत के सामने पार्टी के विधायकों ने एक स्वर में सचिन पायलट और उनसे जुड़े विधायकों को कांग्रेस में फिर से एंट्री देने का विरोध किया था. लेकिन 10 तारीख की शाम को हुए फैसले के मुताबिक सचिन पायलट और कांग्रेस के बीच का नाता किसी प्रकार से खत्म होता हुआ नजर नहीं आया.

इसके बाद सचिन पायलट ने जयपुर में लगभग 1 महीने बाद वापसी की और उनके समर्थित कार्यकर्ताओं ने गर्मजोशी से नारेबाजी के बीच पायलट का इस्तकबाल किया. सचिन पायलट ने 10 अगस्त की रात राहुल गांधी से मुलाकात के बाद कहा था कि आलाकमान ने उनकी शिकायतों के निस्तारण का भरोसा दिया है और वे जयपुर लौट रहे हैं.

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वहीं, जब अशोक गहलोत से इस वापसी को लेकर 11 अगस्त को जैसलमेर की रुखसती से पहले सवाल हुआ, तो उन्होंने कहा कि कांग्रेस का भरोसा आलाकमान और गहलोत दोनों में है. मतलब साफ है कि इस पूरे प्रकरण में अशोक गहलोत ना तो निस्तारण की भूमिका को पूरी तरह से अदा कर पाए और ना ही सचिन पायलट अपनी शर्तों को मनवा पाए.

राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के रूप में गांधी परिवार ही आलाकमान के रूप में इस पूरे विवाद को निस्तारित करता हुआ देखा गया. मतलब एक बार फिर कांग्रेस में आलाकमान ही सर्वे सर्वा साबित हुआ. लेकिन यहां एक सवाल अशोक गहलोत ने छोड़ दिया जिसमें उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं का भरोसा आलाकमान और उनमें बराबर है.

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