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राजस्थान सियासी संकट के बीच भाजपा मौन, क्या तूफान से पहले की है ये शांति या पक रहा कुछ और...

राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी संग्राम के बीच भाजपा की चुप्पी चर्चा में है. भाजपा नेता पिछले दिनों इस मामले में लगातार बयानबाजी तो कर रहे थे, लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्र के जयपुर आने के बाद किसी भाजपा नेता ने इस मसले में उनसे मुलाकात नहीं की. भाजपा की यही चुप्पी तूफान से पहले की शांति है या फिर कुछ और ही सियासी खिचड़ी भाजपा में पक रही है.

Rajasthan Political Crisis
राजस्थान सियासी संकट
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Published : Sep 30, 2022, 5:36 PM IST

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में लगातार बदल रहे घटनाक्रम पर भाजपा नेताओं का पूरा फोकस तो है, लेकिन प्रमुख भाजपा नेता (BJP Strategy in Rajasthan) आबूरोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम को लेकर व्यस्त है. माना जा रहा है कि 1 अक्टूबर से बीजेपी इस मामले में एक रणनीति के तहत आगे कदम बढ़ाएगी. पार्टी का अगला कदम मौजूदा परिस्थितियों और सियासी नफा नुकसान के आकलन के बाद ही उठाया जाएगा.

भाजपा से जुड़े निर्दलीय विधायकों पर पार्टी का फोकस : बताया जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस और सरकार में जिस प्रकार का सियासी घटनाक्रम देखने को मिल रहा है, उसके बाद बीजेपी की निगाहें उन तमाम निर्दलीय विधायकों पर है (BJP Silent Politics in Rajasthan) जो पूर्व में भाजपा की विचारधारा से जुड़े थे. लेकिन टिकट न मिलने के चलते वे निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत गए और आज मौजूदा कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं. वहीं, उन विधायकों पर भी भाजपा का फोकस है जो सरकार का साथ तो दे रहे हैं, लेकिन सत्ता यह संगठन में उन्हें भागीदारी नहीं मिल पाई. इसके चलते वह नाराज है. बताया जा रहा है कि भाजपा ने चुनिंदा नेताओं को ऐसे विधायकों से संपर्क रखने की जिम्मेदारी दे रखी है. हालांकि, इसका खुलासा करने से पार्टी लगातार बचती है.

राजस्थान सियासी संकट के बीच भाजपा मौन
राजस्थान सियासी संकट के बीच भाजपा मौन...

पढ़ें : गहलोत ने माफी मांग कर 8 करोड़ जनता का अपमान किया है- गुलाबचंद कटारिया

200 में से 71 विधायक भाजपा के, 30 की दरकार : राजस्थान में 200 विधायक हैं और सरकार बनाने के लिए 101 का आंकड़ा चाहिए. मौजूदा परिस्थिति में बीजेपी के पास 71 विधायक हैं. वहीं, कांग्रेस के 108 विधायक हैं, जबकि निर्दलीय राष्ट्रीय लोक दल, माकपा और बीटीपी के विधायकों का मौजूदा सरकार को समर्थन है, लेकिन आरएलपी पूर्व में बीजेपी के साथ गठबंधन में थी पर अब अलग है. लेकिन कांग्रेस को समर्थन नहीं दे रही. मतलब साफ है कि यदि मौजूदा सियासी घटनाक्रम में कांग्रेस में बिखराव होता है तो उसके साथ सरकार को समर्थन देने वाले विधायक भी इधर-उधर होंगे, तब भाजपा कोशिश करके बड़े सियासी घटनाक्रम को अंजाम दे सकती है. लेकिन तब भी भाजपा को 30 विधायक कम से कम अपने समर्थन में और चाहिए होंगे.

पढ़ें : गहलोत का माफीनामा या शिकायतनामा, एक लाइन की माफी...फिर पायलट ही पायलट

सही समय पर राजभवन की शरण में जाएगी भाजपा : प्रदेश भाजपा के सूत्र बताते हैं कि मौजूदा सियासी घटनाक्रम में (Political Upheaval in Congress) जब तक कोई बड़ा उठापटक नहीं होता, तब तक बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में ही रहेगी. यही कारण है कि राज्यपाल कलराज मिश्र से जयपुर पहुंचने के बाद भी किसी भाजपा नेता ने इस मामले में उनसे मुलाकात नहीं की. बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिन काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं और भाजपा भी सही समय का इंतजार में है.

जयपुर. राजस्थान कांग्रेस में लगातार बदल रहे घटनाक्रम पर भाजपा नेताओं का पूरा फोकस तो है, लेकिन प्रमुख भाजपा नेता (BJP Strategy in Rajasthan) आबूरोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यक्रम को लेकर व्यस्त है. माना जा रहा है कि 1 अक्टूबर से बीजेपी इस मामले में एक रणनीति के तहत आगे कदम बढ़ाएगी. पार्टी का अगला कदम मौजूदा परिस्थितियों और सियासी नफा नुकसान के आकलन के बाद ही उठाया जाएगा.

भाजपा से जुड़े निर्दलीय विधायकों पर पार्टी का फोकस : बताया जा रहा है कि राजस्थान कांग्रेस और सरकार में जिस प्रकार का सियासी घटनाक्रम देखने को मिल रहा है, उसके बाद बीजेपी की निगाहें उन तमाम निर्दलीय विधायकों पर है (BJP Silent Politics in Rajasthan) जो पूर्व में भाजपा की विचारधारा से जुड़े थे. लेकिन टिकट न मिलने के चलते वे निर्दलीय चुनाव लड़े और जीत गए और आज मौजूदा कांग्रेस सरकार को समर्थन दे रहे हैं. वहीं, उन विधायकों पर भी भाजपा का फोकस है जो सरकार का साथ तो दे रहे हैं, लेकिन सत्ता यह संगठन में उन्हें भागीदारी नहीं मिल पाई. इसके चलते वह नाराज है. बताया जा रहा है कि भाजपा ने चुनिंदा नेताओं को ऐसे विधायकों से संपर्क रखने की जिम्मेदारी दे रखी है. हालांकि, इसका खुलासा करने से पार्टी लगातार बचती है.

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200 में से 71 विधायक भाजपा के, 30 की दरकार : राजस्थान में 200 विधायक हैं और सरकार बनाने के लिए 101 का आंकड़ा चाहिए. मौजूदा परिस्थिति में बीजेपी के पास 71 विधायक हैं. वहीं, कांग्रेस के 108 विधायक हैं, जबकि निर्दलीय राष्ट्रीय लोक दल, माकपा और बीटीपी के विधायकों का मौजूदा सरकार को समर्थन है, लेकिन आरएलपी पूर्व में बीजेपी के साथ गठबंधन में थी पर अब अलग है. लेकिन कांग्रेस को समर्थन नहीं दे रही. मतलब साफ है कि यदि मौजूदा सियासी घटनाक्रम में कांग्रेस में बिखराव होता है तो उसके साथ सरकार को समर्थन देने वाले विधायक भी इधर-उधर होंगे, तब भाजपा कोशिश करके बड़े सियासी घटनाक्रम को अंजाम दे सकती है. लेकिन तब भी भाजपा को 30 विधायक कम से कम अपने समर्थन में और चाहिए होंगे.

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सही समय पर राजभवन की शरण में जाएगी भाजपा : प्रदेश भाजपा के सूत्र बताते हैं कि मौजूदा सियासी घटनाक्रम में (Political Upheaval in Congress) जब तक कोई बड़ा उठापटक नहीं होता, तब तक बीजेपी वेट एंड वॉच की स्थिति में ही रहेगी. यही कारण है कि राज्यपाल कलराज मिश्र से जयपुर पहुंचने के बाद भी किसी भाजपा नेता ने इस मामले में उनसे मुलाकात नहीं की. बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिन काफी महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं और भाजपा भी सही समय का इंतजार में है.

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