जयपुर. राजस्थान विधानसभा में आज राजस्थान नगरपालिका संशोधन विधेयक- 2021 पर कांग्रेस पार्टी को पूर्व स्पीकर कैलाश मेघवाल का विरोध झेलना पड़ा. ये वहीं कैलाश मेघवाल हैं जिन्हें बोलने को खुद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सदन के लिए एक सम्मान का विषय बताया था. अब तक भाजपा के बाकी विधायक चाहें वह नेता प्रतिपक्ष गुलाब कटारिया हों या फिर उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ उनको प्रदेश कांग्रेस के विधायक राजनीति के लिए प्रेरित बताती रही है, लेकिन आज भाजपा के वरिष्ठ विधायक और पूर्व स्पीकर कैलाश मेघवाल ने राजस्थान नगरपालिका संशोधन- 2021 को लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा बताया.
कैलाश मेघवाल ने कहा कि मैं निर्वाचित सदनों में मनोनीत करने के खिलाफ हूं. देश में कहीं ऐसी स्थिति नहीं है. लोकसभा में 2 सदस्य मनोनीत होते हैं, लेकिन वह विशेष परिस्थिति है, एंग्लो इंडियन कि. इसके अलावा ऐसा कहीं नहीं होता है. मनोनयन तो विधानसभा में भी हो सकता है, अगर आप कानून ले आओ तो एडवोकेट जनरल राजस्थान विधानसभा में आकर अपनी बात रख सकता है. उसके अलावा कोई बात नहीं रख सकता नहीं तो विशेषाधिकार हनन लग जाएगा. यह एक लोकतांत्रिक व्यवस्था और मर्यादा है. उसको नॉमिनेशन के जरिए आप बदलना चाहते हैं, ऐसा निर्णय देश में नहीं चल सकता, राजस्थान में नहीं चल सकता है.
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मेघवाल ने कहा कि हंगामा राज्यसभा में, लोकसभा में हो या विधानसभा में, लेकिन उसका असर नीचे तक नहीं जाता है, लेकिन नगर पालिका, नगर परिषद और नगर निगम में जो हंगामा हुआ उसका असर नीचे तक जाएगा. उसके बाद लोगों का लोकतंत्र में विश्वास कम होता चला जाएगा. मेघवाल ने कहा कि आज लोकतंत्र धन तंत्र और बाड़बंदी तंत्र की ओर वैसे ही जा रहा है, उसको आगे बढ़ाने का काम राजस्थान की सरकार इस संशोधन के जरिए कर रही है.
उन्होंने मंत्री शांति धारीवाल की ओर इशारा करते हुए कहा कि इस संशोधन के जरिए राजस्थान में हर जगह स्थिति हंगामे की पैदा करने का प्रयास आप कर रहे है. इस संशोधन से नगर पालिका, नगर निगम और नगर परिषद में हंगामे की स्थिति होगी, इसके कारण कामकाज तो ठप्प होगा और लोगों का लोकतंत्र से विश्वास उठेगा और जो लोकतंत्र धीरे-धीरे धनतंत्र और बाड़ाबंदी तंत्र के बीच जा रहा है, उस लोकतंत्र को और ज्यादा मारने का काम किया जा रहा हैं जो उचित नहीं है. निर्वाचित सदनों में मनोनयन का क्या काम है, विशेष योग्यता वाले क्या होते हैं अगर विशेष योग्यता वाले की सलाह चाहिए तो अधिकारियों की राय ले लें. यह संशोधन करके आप निश्चित रूप से आप हंगामें कि स्थिति करने की ओर जा रहे हैं. जितने भी पार्षद हैं उनको वेतन मिलता है. ये पार्षद सारे वेतन कर्मचारी होंगे इससे राजनीति का चरित्र बिगड़ेगा. ऐसे में इस स्थिति को आगे नहीं बढ़ाया जाए.
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उन्होंने कहा कि आखिर क्यों मनोनीत करने की आवश्यकता पड़ रही है. आपसे मांग किसने की, आपने लिखा है जनता की मांग, जनता की मांग हुई नहीं, हमने कोई आवाज सुनी नहीं, हमने कोई प्रस्ताव देखा नहीं, यह कौन सी जनता की आवाज थी हमने तो देखा नहीं. आप ऐसी स्थिति लाना चाहते हैं कि आपका सर्वत्र राज्य स्थापित हो जाए, जो बाहर से जाएंगे वह आप के निर्देश पर हंगामा जरूर करेंगे. आज मुझे अफसोस है कि आज देश का लोकतंत्र जिस दिशा में जा रहा है लोकतंत्र को बिगाड़ने के निर्वाचित सदनों में मनोनीत करने के खिलाफ हूं. उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की पहले ही हालत खराब हो गई है, धन का प्रभाव है अब यह मनोनीत होंगे तो धन का बहुत बड़ा प्रभाव होगा. राजनीति में टिकटों के लिए क्या स्थिति है और जो वोट नहीं दे सकता है वह राय देगा यह मजाक है लोकतंत्र के साथ. मैं चुने हुए सदनों में मनोनयन का विरोध करता हूं, यह लोकतांत्रिक मर्यादाओं का अतिक्रमण है.