जयपुर. राजस्थान लिंचिंग संरक्षण विधेयक सोमवार को विधानसभा में बहस के बाद पारित कर दिया गया. अब राष्ट्रपति के पास इस बिल को मंजूरी के लिए भेजा जाएगा. राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद इस बिल के प्रावधान प्रदेश में लागू होंगे. मॉब लिंचिंग में मौत होने पर अब दोषियों को आजीवन कठोर कारावास और एक से पांच लाख तक के जुर्माने का दंड होगा.
वहीं, लिंचिंग में पीड़ित को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा, एक लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान विधेयक में किया है. लिंचिंग में पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की कैद और 50 हजार से 3 लाख तक का जुर्माना होगा. लिंचिंग में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी जो खुद लिंचिंग करने पर है. मॉब लिंचिंग के मामलों की जांच इंस्पेक्टर स्तर या उससे ऊपर का पुलिस अफसर ही करेगा. इससे नीचे के स्तर का अफसर जांच नहीं कर सकेगा. लिंचिंग रोकने के लिए आईजी रैंक के अफसर को राज्य समन्वयक बनाया जाएगा. हर एसपी लिंचिंग रोकने के लिए जिला समन्वयक होगा.
पढ़ें: अनुच्छेद 370 हटाकर सबसे बड़े कांटे को किया दूर : अजमेर दरगाह दीवान
कानून को लेकर विपक्ष के विधायकों ने उठाए सवाल...
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि एक समाज विशेष को फायदा पहुंचाने के लिए सरकार इस कानून को ला रही है तो लाहोटी बोले यह बिल गौ तस्करों को बचाने के लिए लाया गया है. वहीं, राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि एक ओर जहां देश में अनुच्छेद 370 हटी वहीं दूसरी ओर राजस्थान सरकार तरीके का कानून ला रही है. बता दें कि राजस्थान विधानसभा में आज मॉब लिंचिंग को लेकर कानून भले ही पास हो गया हो, लेकिन अभी यह कानून समवर्ती सूची के विषय में संशोधन होने के चलते राष्ट्रपति के पास जाएगा. वहां से पास होने के बाद ही यह प्रदेश में लागू होगा.
अध्यक्ष सीपी जोशी ने तीन बार पास करवाया मॉब लिंचिंग विधेयक...
मॉब लिंचिंग को लेकर विधायक आज राजस्थान विधानसभा में पास हो गया है, लेकिन जब यह बिल पास हो रहा था उस समय भाजपा विधायकों ने यह कहते हुए आपत्ति दर्ज कराई कि सत्तापक्ष के विधायकों की संख्या कम है. जबकि विपक्ष के विधायकों की संख्या ज्यादा है. इस पर सीपी जोशी ने विपक्ष को दोबारा इस बिल को पास करवा कर दिखाया, लेकिन दोबारा भाजपा विधायकों ने आपत्ति की तो तीसरी बार फिर सीपी जोशी ने इस बिल को पास करवाकर भाजपा विधायकों को बताया कि सदन में कांग्रेस के विधायकों की संख्या पहली बार भी पूरी थी और तीसरी बार भी पूरी है.
लिंचिंग से संरक्षण विधेयक के मुख्य प्रावधान...
- मॉब की परिभाषा में 2 या इससे ज्यादा लोग आएंगे, अगर दो व्यक्ति भी किसी व्यक्ति को मिलकर पीटते हैं तो उसे मॉब लिंचिंग माना जाएगा
- लिंचिंग रोकने के लिए आईजी रैंक के अफसर को राज्य समन्वयक बनाया जाएगा, हर एसपी लिचिंग रोकने के लिए जिला समन्वयक होगा
- जिला मजिस्ट्रेट लिंचिंग की आशंका पर किसी आयोजन या कृत्य को आदेश जारी करके रोक सकेंगे
- मॉब लिंचिंग के लिए उकसाने वाले वीडियो या मैसेज वायरल करने वालों के खिलाफ मामले दर्ज होंगे
- लिंचिंग में पीड़ित को घायल करने वालों को सात साल तक की सजा और एक लाख रुपए तक का जुर्माना
- लिचिंग में पीड़ित के गंभीर रूप से घायल होने पर 10 साल तक की कैद और 50 हजार से 3 लाख तक का जुर्माना
- लिंचिंग से पीड़ित की मौत होने पर दोषियों को आजीवन कठोर कारावास और एक से पांच लाख तक का जुर्माना
- लिंचिंग में किसी भी रूप से सहायता करने वाले को भी वही सजा मिलेगी जो खुद लिंचिंग करने पर है
- लिंचिंग के दोषियों की गिरफ्तारी से बचाने या अन्य सहायता करने पर भी 5 साल तक की सजा
- लिचिंग के मामलों में गवाहों को धमकाने वालों को 5 साल तक जेल और एक लाख तक का जुर्माना
- मॉब लिंचिंग की घटना के वीडियो, फोटो किसी भी रूप से प्रकाशित-प्रसारित करने पर भी एक से तीन साल की सजा और 50 हजार का जुर्माना
- मॉब लिंचिंग को गैरजमानती, संज्ञेय अपराध बनाया गया
- इंस्पेक्टर से नीचे की रैंक का कोई पुलिस अफसर मॉब लिंचिंग के मामलों की जांच नहीं करेगा. इंसपेक्टर स्तर का पुलिस अफसर ही करेगा जांच
- मॉब लिंचिंग के गवाहों को दो से ज्यादा तारीखों पर अदालत जाने की बाध्यता से छूट मिलेगी. गवाहों की पहचान गुप्त रखाी जाएगी
- मॉब लिंचिंग से पीड़ित व्यक्ति का विस्थापन होने पर सरकार उसका पुनर्वास करेगी और 50 से ज्यादा व्यक्तियों के विस्थापित होने पर राहत शिविर