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BJP candidate for Rajasthan Rajya Sabha Election - निर्णायक मोड़ पर ओम माथुर का सियासी भविष्य, केंद्र में रहेंगे या राजस्थान में रखेंगे दखल

राजस्थान भाजपा में ओमप्रकाश माथुर का बड़ा नाम है, माथुर ने लंबे समय तक केन्द्र में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. राज्यसभा में राजस्थान (Rajasthan in Rajya Sabha) की 4 सीटों के लिए 10 जून को मतदान होगा, अगर ओम माथुर को राज्यसभा के लिए प्रत्याशी बनाया तो माथुर केंद्र में करेंगे सियासत, नहीं तो राजस्थान की राजनीति में होना पड़ेगा सक्रिय...

BJP candidate for Rajasthan Rajya Sabha Election
निर्णायक मोड़ पर ओम माथुर का सियासी भविष्य
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Published : May 23, 2022, 2:15 PM IST

जयपुर. देश और प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से दखल रखने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता ओम प्रकाश माथुर का सियासी भविष्य अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है. माथुर केंद्र में राजनीति करेंगे या फिर वापस प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होंगे, यह सब इस माह राज्यसभा चुनाव (Rajasthan in Rajya Sabha) के लिए तय होने वाले भाजपा प्रत्याशी के नामों के साथ साफ हो जाएगा. ​​​​​यदि ओम प्रकाश माथुर को प्रत्याशी बनाया गया तो वे केंद्र की राजनीति करेंगे और अगर प्रत्याशी नहीं बनाया गया तो राजस्थान की राजनीति में उनकी वापसी तय है. ऐसा होने पर उन्हे राज्य में वापस सक्रिय होना पड़ेगा. दरअसल, ओम प्रकाश माथुर सहित भाजपा के चार राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इन राजस्थान की 4 सीटों के लिए 10 जून को मतदान होगा. इस चुनाव के लिए 24 से 31 मई तक नामांकन होगा. राजस्थान में विधायकों की संख्याबल के आधार पर चार में से एक ही सीट पर जीत होना तय है, लेकिन इस सीट पर भाजपा किसे प्रत्याशी (BJP candidate for Rajasthan Rajya sabha Election) बनाती है, इस पर संशय के बादल हैं.

निर्णायक मोड़ पर ओम माथुर का सियासी भविष्य

पढ़ें- Rajasthan Rajyasabha Election: 4 में से 3 सीट पर कब्जा जमाना चाहती है कांग्रेस लेकिन नहीं होगा इतना आसान, जानिए क्यों...

मौजूदा सांसदों में से माथुर सबसे अनुभवी- राजस्थान में राज्यसभा की कुल 10 सीटें (10 seats of Rajya Sabha in Rajasthan) हैं, जिनमें से चार पर मौजूदा सांसदों का कार्यकाल खत्म होने वाला है. इनमें खुद ओम प्रकाश माथुर, रामकुमार वर्मा, हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर और के.जे.अल्फोंस का नाम शामिल हैं. इनमें अल्फोंस राजस्थान से बाहर के हैं जबकि माथुर, हर्षवर्धन और राम कुमार वर्मा राजस्थान से ही आते हैं. इनमें भी भाजपा की लंबी सक्रिय राजनीति में माथुर ही रहे हैं. रामकुमार वर्मा अनुसूचित जाति समाज से आने वाले बड़े संगठन के पदाधिकारी थे इसलिए यहां से उन्हें बीजेपी ने राज्यसभा में भेजा था. हर्षवर्धन सिंह भी राज्यसभा में जाने से पहले भाजपा के सक्रिय राजनीति में शायद ही कभी नजर आए हों. एकमात्र ओम प्रकाश माथुर ही ऐसा नाम था, जो राजस्थान की राजनीति में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय राजनीति के भी विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं. यदि पार्टी राजस्थान के मौजूदा राज्यसभा सांसदों में से ही किसी को रिपीट करेगी तो उसमें ओम प्रकाश माथुर का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है. हालांकि सियासी असर के आंकलन के बाद ही पार्टी राज्यसभा में टिकट तय करती है.

पढ़ें- शक्ति प्रदर्शन से कुछ नही होता, सीएम चेहरा कौन होगा बीजेपी का केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड करेगा तयः ओम माथुर

केंद्र की राजनीति माथुर लंबे समय से सक्रिय - ओम प्रकाश माथुर संघनिष्ठ नेता हैं और वे शुरुआत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक भी रहे. पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के काफी नजदीकी नेताओं में शामिल रहे. ओम माथुर राजस्थान भाजपा में बतौर प्रदेश अध्यक्ष कमान भी संभाल चुके हैं, लेकिन पिछले लंबे समय से वे केंद्र की राजनीति में ही सक्रिय थे. उन्हें राष्ट्रीय मंत्री, महामंत्री और उपाध्यक्ष का पद भी मिला, साथ ही गुजरात, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में प्रभारी भी बनाया गया. माथुर ने हर बार अपने संगठनात्मक कौशल के जरिए पार्टी को आगे बढ़ाने का काम किया. वर्तमान में वे राष्ट्रीय टीम में नहीं हैं और न ही किसी प्रदेश का चुनावी या संगठनात्मक प्रभार उनके पास है. चर्चा इस बात की भी है कि पार्टी आलाकमान क्या अब उन्हें केंद्र की राजनीति में फिर से सक्रिय करने के लिए राज्यसभा में एक और मौका (Om Prakash Mathur as BJP candidate in Rajya Sabha Election) देगा या फिर राजस्थान की राजनीति में ही उनकी वापसी होगी.

पढ़ें- वसुंधरा और पूनिया दोनों पार्टी के कार्यकर्ता, गुटबाजी जैसी कोई बात नहीं: ओम माथुर

...तो राजस्थान भाजपा की सियासत में बदलेंगे समीकरण- राज्यसभा की 4 सीटों में से यदि भाजपा ने ओम प्रकाश माथुर को वापस प्रत्याशी नहीं बनाया तो यह साफ हो जाएगा कि पार्टी अब उन्हें केंद्र की राजनीति से दूर रखना चाहती है. वर्तमान में केंद्रीय टीम में उनके पास कोई पद नहीं है और न किसी प्रदेश का दायित्व है, ऐसे में यदि राज्यसभा के लिए उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया जाता है तो फिर ओम माथुर को एक बार फिर राजस्थान की राजनीति में ही अपना पसीना बहाना पड़ेगा और वापस सक्रियता बढ़ानी पड़ेगी. यदि ऐसा हुआ तो फिर राजस्थान भाजपा की राजनीति में भी आने वाले दिनों में कई बदलाव होना तय हैं. राजस्थान में ओम प्रकाश माथुर के समर्थकों का एक अलग धड़ा है. वहीं केंद्र की राजनीति छोड़ प्रदेश की राजनीति में यदि ओम प्रकाश माथुर का दखल होगा तो निश्चित रूप से राजस्थान में मौजूदा भाजपा के कुछ दिग्गजों को झटका लगेगा. वर्तमान में माथुर के पास राजस्थान प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य के रूप में जिम्मेदारी है, लेकिन राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने की स्थिति में माथुर को नए सिरे से राजस्थान में सियासी मेहनत करना पड़ेगी.

पढ़ें- 15 राज्यों की 57 राज्यसभा सीटों पर 10 जून को मतदान : निर्वाचन आयोग

जयपुर. देश और प्रदेश की राजनीति में लंबे समय से दखल रखने वाले वरिष्ठ भाजपा नेता ओम प्रकाश माथुर का सियासी भविष्य अब निर्णायक मोड़ पर आ गया है. माथुर केंद्र में राजनीति करेंगे या फिर वापस प्रदेश की राजनीति में सक्रिय होंगे, यह सब इस माह राज्यसभा चुनाव (Rajasthan in Rajya Sabha) के लिए तय होने वाले भाजपा प्रत्याशी के नामों के साथ साफ हो जाएगा. ​​​​​यदि ओम प्रकाश माथुर को प्रत्याशी बनाया गया तो वे केंद्र की राजनीति करेंगे और अगर प्रत्याशी नहीं बनाया गया तो राजस्थान की राजनीति में उनकी वापसी तय है. ऐसा होने पर उन्हे राज्य में वापस सक्रिय होना पड़ेगा. दरअसल, ओम प्रकाश माथुर सहित भाजपा के चार राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल खत्म हो रहा है. इन राजस्थान की 4 सीटों के लिए 10 जून को मतदान होगा. इस चुनाव के लिए 24 से 31 मई तक नामांकन होगा. राजस्थान में विधायकों की संख्याबल के आधार पर चार में से एक ही सीट पर जीत होना तय है, लेकिन इस सीट पर भाजपा किसे प्रत्याशी (BJP candidate for Rajasthan Rajya sabha Election) बनाती है, इस पर संशय के बादल हैं.

निर्णायक मोड़ पर ओम माथुर का सियासी भविष्य

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मौजूदा सांसदों में से माथुर सबसे अनुभवी- राजस्थान में राज्यसभा की कुल 10 सीटें (10 seats of Rajya Sabha in Rajasthan) हैं, जिनमें से चार पर मौजूदा सांसदों का कार्यकाल खत्म होने वाला है. इनमें खुद ओम प्रकाश माथुर, रामकुमार वर्मा, हर्षवर्धन सिंह डूंगरपुर और के.जे.अल्फोंस का नाम शामिल हैं. इनमें अल्फोंस राजस्थान से बाहर के हैं जबकि माथुर, हर्षवर्धन और राम कुमार वर्मा राजस्थान से ही आते हैं. इनमें भी भाजपा की लंबी सक्रिय राजनीति में माथुर ही रहे हैं. रामकुमार वर्मा अनुसूचित जाति समाज से आने वाले बड़े संगठन के पदाधिकारी थे इसलिए यहां से उन्हें बीजेपी ने राज्यसभा में भेजा था. हर्षवर्धन सिंह भी राज्यसभा में जाने से पहले भाजपा के सक्रिय राजनीति में शायद ही कभी नजर आए हों. एकमात्र ओम प्रकाश माथुर ही ऐसा नाम था, जो राजस्थान की राजनीति में पार्टी प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय राजनीति के भी विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं. यदि पार्टी राजस्थान के मौजूदा राज्यसभा सांसदों में से ही किसी को रिपीट करेगी तो उसमें ओम प्रकाश माथुर का नाम सबसे ऊपर माना जा रहा है. हालांकि सियासी असर के आंकलन के बाद ही पार्टी राज्यसभा में टिकट तय करती है.

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केंद्र की राजनीति माथुर लंबे समय से सक्रिय - ओम प्रकाश माथुर संघनिष्ठ नेता हैं और वे शुरुआत में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक भी रहे. पूर्व उपराष्ट्रपति भैरों सिंह शेखावत के काफी नजदीकी नेताओं में शामिल रहे. ओम माथुर राजस्थान भाजपा में बतौर प्रदेश अध्यक्ष कमान भी संभाल चुके हैं, लेकिन पिछले लंबे समय से वे केंद्र की राजनीति में ही सक्रिय थे. उन्हें राष्ट्रीय मंत्री, महामंत्री और उपाध्यक्ष का पद भी मिला, साथ ही गुजरात, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे प्रदेशों में प्रभारी भी बनाया गया. माथुर ने हर बार अपने संगठनात्मक कौशल के जरिए पार्टी को आगे बढ़ाने का काम किया. वर्तमान में वे राष्ट्रीय टीम में नहीं हैं और न ही किसी प्रदेश का चुनावी या संगठनात्मक प्रभार उनके पास है. चर्चा इस बात की भी है कि पार्टी आलाकमान क्या अब उन्हें केंद्र की राजनीति में फिर से सक्रिय करने के लिए राज्यसभा में एक और मौका (Om Prakash Mathur as BJP candidate in Rajya Sabha Election) देगा या फिर राजस्थान की राजनीति में ही उनकी वापसी होगी.

पढ़ें- वसुंधरा और पूनिया दोनों पार्टी के कार्यकर्ता, गुटबाजी जैसी कोई बात नहीं: ओम माथुर

...तो राजस्थान भाजपा की सियासत में बदलेंगे समीकरण- राज्यसभा की 4 सीटों में से यदि भाजपा ने ओम प्रकाश माथुर को वापस प्रत्याशी नहीं बनाया तो यह साफ हो जाएगा कि पार्टी अब उन्हें केंद्र की राजनीति से दूर रखना चाहती है. वर्तमान में केंद्रीय टीम में उनके पास कोई पद नहीं है और न किसी प्रदेश का दायित्व है, ऐसे में यदि राज्यसभा के लिए उन्हें प्रत्याशी नहीं बनाया जाता है तो फिर ओम माथुर को एक बार फिर राजस्थान की राजनीति में ही अपना पसीना बहाना पड़ेगा और वापस सक्रियता बढ़ानी पड़ेगी. यदि ऐसा हुआ तो फिर राजस्थान भाजपा की राजनीति में भी आने वाले दिनों में कई बदलाव होना तय हैं. राजस्थान में ओम प्रकाश माथुर के समर्थकों का एक अलग धड़ा है. वहीं केंद्र की राजनीति छोड़ प्रदेश की राजनीति में यदि ओम प्रकाश माथुर का दखल होगा तो निश्चित रूप से राजस्थान में मौजूदा भाजपा के कुछ दिग्गजों को झटका लगेगा. वर्तमान में माथुर के पास राजस्थान प्रदेश कोर कमेटी के सदस्य के रूप में जिम्मेदारी है, लेकिन राज्यसभा का टिकट नहीं मिलने की स्थिति में माथुर को नए सिरे से राजस्थान में सियासी मेहनत करना पड़ेगी.

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