जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा के चर्चित राजेंद्र अग्रवाल दोहरे हत्याकांड में अभियुक्त को मिली फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश राज्य सरकार की ओर से पेश डेथ रेफरेंस और अभियुक्त जगदीश चंद्र माली की अपील पर सुनवाई करते हुए दिए.
अदालत ने माना कि अभियुक्त ने दंपति की हत्या की है, लेकिन इसे विरल से विरलतम श्रेणी में मानकर फांसी की सजा नहीं दी जा सकती है. अदालत ने कहा कि फांसी की सजा उसी स्थिति में दी जा सकती है, जब लगे कि अपराध के लिए आजीवन कारावास की सजा पर्याप्त नहीं है.
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राज्य सरकार की ओर से डेथ रेफरेंस में कहा गया कि घर में घुसकर राजेंद्र अग्रवाल और उसकी पत्नी गीता देवी की हत्या करने के मामले में एडीजे कोर्ट कोटा ने 31 जुलाई 2019 को अभियुक्त जगदीश को फांसी और अपराध में सहयोग करने वाली उसकी पत्नी शिमला को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. ऐसे में जगदीश को मिली फांसी की सजा को कंफर्म किया जाए.
वहीं, दूसरी ओर बचाव पक्ष की ओर से कहा गया कि उसे मामले में फंसाया गया है. घटना को लेकर कोई भी चश्मदीद गवाह नहीं है. इसके अलावा मामले में सिर्फ परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर सजा दी गई है. ऐसे में कोर्ट के आदेश को रद्द किया जाए. अपील में गुहार की गई कि यदि ट्रॉयल कोर्ट के आदेश को रद्द नहीं किया जाए तो फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया जाए.
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यह है मामला पूरा मामला
जगदीश चंद्र माली कोटा के जवाहर नगर थाना इलाका निवासी राजेंद्र अग्रवाल के यहां चालक का काम करता था. उसे अपने बेटे की शादी के लिए रुपए की जरूरत थी. ऐसे में उसने अपनी पत्नी शिमला के साथ मिलकर 14 अप्रैल 2014 की रात घर में घुसकर राजेंद्र अग्रवाल और उसकी पत्नी गीता की सिर पर वार कर हत्या कर दी और अलमारी में रखे एक लाख रुपए और जेवरात लूट लिए. घटना को लेकर मृतक के चचेरे भाई ने पुलिस में FIR दर्ज कराई थी.