जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा मेडिकल कॉलेज में लम्बे समय से नर्सिंग ऑफिसर के पद पर काम कर रहे याचिकाकर्ताओं को सरप्लस बताकर एपीओ करने और उनकी सेवाएं चिकित्सा निदेशक को भेजने के (Ban on order to relieve nursing officers) आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है. इसके साथ ही अदालत ने मामले में चिकित्सा विभाग ओर मेडिकल कॉलेज से जवाब मांगते हुए याचिकाकर्ताओं को मौजूदा स्थान पर काम करने को कहा है. जस्टिस इन्द्रजीत सिंह ने यह आदेश ममता शर्मा व अन्य की याचिका पर दिया.
याचिका में अधिवक्ता कुलदीप शर्मा ने बताया कि याचिकाकर्ताओं की नियुक्ति कोटा मेडिकल कॉलेज में नर्सिंग ऑफिसर के रिक्त पदों पर हुई थी. मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल ने गत दिनों अपने क्षेत्राधिकार के बाहर जाकर याचिकाकर्ताओं को सरप्लस बताकर एपीओ और कार्यमुक्त किया है. वहीं उनकी जगह पर अन्य जगहों से ट्रांसफर होकर आए कार्मिकों को पदभार ग्रहण कराया है. जबकि सरप्लस होने के आधार पर कर्मचारी को एपीओ नहीं किया जा सकता.
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यदि याचिकाकर्ता सरप्लस थे तो उनके स्थान पर ही तबादला होकर आए दूसरे नर्सिंग ऑफिसरों को कैसे लगाया गया. ऐसे में उन्हें एपीओ करने और उनकी सेवाएं चिकित्सा निदेशक को सौंपने के आदेश पर रोक लगाकर उन्हें मौजूदा जगह पर ही काम करते रहने दिया जाए. इस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने प्रिंसिपल के आदेश पर रोक लगाते हुए याचिकाकर्ताओं को मौजूदा स्थान पर ही कार्यरत रहने को कहा है.