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राजस्थान हाईकोर्ट: बीवीजी रिश्वत मामले में स्टेट्स रिपोर्ट और केस डायरी तलब

राजस्थान हाईकोर्ट ने बीवीजी रिश्वत मामले में अब तक किए गए अनुसंधान की स्टेटस रिपोर्ट और प्रकरण की केस डायरी 27 सितंबर को पेश करने के आदेश दिए हैं.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Sep 14, 2021, 12:27 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में अब तक किए गए अनुसंधान की स्टेटस रिपोर्ट और प्रकरण की केस डायरी 27 सितंबर को पेश करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश आदेश आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक और प्रकरण में आरोपी बनाए गए निंबाराम की आपराधिक याचिका पर दिए. निंबाराम ने आपराधिक याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और एसीबी की कार्रवाई को रद्द करने की गुहार की है.

पढ़ें- NEET Exam 2021: पेपर लीक मामले में पुलिस का बड़ा खुलासा...8 आरोपी गिरफ्तार...नकल कराने के लिए 35 लाख रुपए में हुआ था सौदा

याचिका में कहा गया कि प्रकरण में याचिकाकर्ता का नाम राजनीतिक द्वेषता के चलते शामिल किया गया है. सत्तारूढ़ पार्टी के नेता सार्वजनिक मंच पर उनके खिलाफ बयानबाजी कर प्रस्ताव पारित कर रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी के बयान दे रहे हैं. प्रकरण में बकाया भुगतान को लेकर जो वीडियो सामने आया है, उसमें भी रिश्वत को लेकर उनकी ओर से कोई बातचीत नहीं है.

एसीबी ने सत्ता के दबाव में आकर एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम शामिल किया है. इसलिए एफआईआर से याचिकाकर्ता का नाम हटाया जाए और उनके खिलाफ एसीबी की ओर से की जा रही जांच को रोका जाए.

गौरतलब है कि वायरल वीडियो के आधार पर एसीबी ने पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे, संदीप चौधरी और निंबाराम के खिलाफ मामला दर्ज किया था. हाल ही में एसीबी ने राजाराम और सप्रे के खिलाफ आरोप पत्र पेश करते हुए चौधरी और निम्बाराम के खिलाफ जांच लंबित रखी है. प्रकरण में राजाराम जेल में है, जबकि सप्रे जमानत पर रिहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बीवीजी कंपनी के नगर निगम पर बकाया 276 करोड़ रुपए के भुगतान के बदले 20 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगने से जुड़े मामले में अब तक किए गए अनुसंधान की स्टेटस रिपोर्ट और प्रकरण की केस डायरी 27 सितंबर को पेश करने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश सतीश कुमार शर्मा ने यह आदेश आदेश आरएसएस के क्षेत्रीय प्रचारक और प्रकरण में आरोपी बनाए गए निंबाराम की आपराधिक याचिका पर दिए. निंबाराम ने आपराधिक याचिका दायर कर उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर और एसीबी की कार्रवाई को रद्द करने की गुहार की है.

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याचिका में कहा गया कि प्रकरण में याचिकाकर्ता का नाम राजनीतिक द्वेषता के चलते शामिल किया गया है. सत्तारूढ़ पार्टी के नेता सार्वजनिक मंच पर उनके खिलाफ बयानबाजी कर प्रस्ताव पारित कर रहे हैं और उनकी गिरफ्तारी के बयान दे रहे हैं. प्रकरण में बकाया भुगतान को लेकर जो वीडियो सामने आया है, उसमें भी रिश्वत को लेकर उनकी ओर से कोई बातचीत नहीं है.

एसीबी ने सत्ता के दबाव में आकर एफआईआर में याचिकाकर्ता का नाम शामिल किया है. इसलिए एफआईआर से याचिकाकर्ता का नाम हटाया जाए और उनके खिलाफ एसीबी की ओर से की जा रही जांच को रोका जाए.

गौरतलब है कि वायरल वीडियो के आधार पर एसीबी ने पूर्व मेयर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम, बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि ओमकार सप्रे, संदीप चौधरी और निंबाराम के खिलाफ मामला दर्ज किया था. हाल ही में एसीबी ने राजाराम और सप्रे के खिलाफ आरोप पत्र पेश करते हुए चौधरी और निम्बाराम के खिलाफ जांच लंबित रखी है. प्रकरण में राजाराम जेल में है, जबकि सप्रे जमानत पर रिहा है.

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