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श्रमिका की सेवामुक्ति पर HC ने मांगा जवाब

राजस्थान हाईकोर्ट ने श्रमिका को वर्ष 1989 में मौखिक आदेश से हटाने के मामले में वन विभाग बूंदी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. यह आदेश हाईकोर्ट की एकलपीठ ने पुष्पा बाई की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिया है.

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श्रमिका की सेवामुक्ति पर राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
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Published : Dec 29, 2020, 7:50 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से श्रमिका को वर्ष 1989 में मौखिक आदेश से हटाने के मामले में वन विभाग बूंदी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश पुष्पा बाई की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका में अधिवक्ता हितेष बागड़ी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 1986 में दैनिक वेतनभोगी के तौर पर श्रमिक पद पर नियुक्त किया गया था.

श्रमिका की सेवामुक्ति पर राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

वहीं, बाद में वर्ष 1989 में विभाग ने बिना कारण बताए मौखिक आदेश से याचिकाकर्ता को सेवा से हटा दिया. इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने कोटा लेबर कोर्ट में अर्जी पेश की. जिसके बाद लेबर कोर्ट ने 11 साल की देरी से दायर करना बताकर खारिज कर दिया.

पढ़ें: कृषि मंत्री लालचंद कटारिया का हनुमानगढ़ दौरा, किसान संवाद कार्यक्रम के जरिए की ये अपील...

इसके खिलाफ याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया कि लेबर कोर्ट में तय मियाद में अर्जी पेश की गई थी. ऐसे में उसकी अर्जी को गलत तरीके से खारिज किया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

दुष्कर्म से गर्भवती हुई नाबालिग ने अबॉर्शन की मांगी अनुमति, HC ने दो दिन में मेडिकल बोर्ड से मांगी रिपोर्ट..

राजस्थान हाईकोर्ट ने दुष्कर्म से गर्भवती होने वाली नाबालिग पीड़िताओं को लेकर गंभीरता दिखाई है. मंगलवार को भी एक नाबालिग के गर्भवती होने पर उच्च न्यायालय के समक्ष गर्भपात की अनुमति का आवेदन आने पर शीतकालीन अवकाश के बावजूद तत्काल एकलपीठ का गठन किया गया है. वरिष्ठ न्यायाधीश संदीप मेहता ने अवकाश के बावजूद एकलपीठ में पीड़िता की याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया. जिसके तहत मेडिकल बोर्ड गठित कर दो दिन में रिपोर्ट तलब की है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की ओर से श्रमिका को वर्ष 1989 में मौखिक आदेश से हटाने के मामले में वन विभाग बूंदी को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने यह आदेश पुष्पा बाई की याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई करते हुए दिया है. याचिका में अधिवक्ता हितेष बागड़ी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को वर्ष 1986 में दैनिक वेतनभोगी के तौर पर श्रमिक पद पर नियुक्त किया गया था.

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वहीं, बाद में वर्ष 1989 में विभाग ने बिना कारण बताए मौखिक आदेश से याचिकाकर्ता को सेवा से हटा दिया. इसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने कोटा लेबर कोर्ट में अर्जी पेश की. जिसके बाद लेबर कोर्ट ने 11 साल की देरी से दायर करना बताकर खारिज कर दिया.

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इसके खिलाफ याचिकाकर्ता की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका में कहा गया कि लेबर कोर्ट में तय मियाद में अर्जी पेश की गई थी. ऐसे में उसकी अर्जी को गलत तरीके से खारिज किया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है.

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