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OMG ! एक ही गांव से 80 लोग बने पुलिस, लोगों ने रखा नाम 'पुलिस गांव' - ANNARAM POLICE VILLAGE OF TELANGANA

अन्नाराम गांव में 50 पुलिस और 25 होमगार्ड के अधिकारी बन चुके हैं. वहीं पांच लोग केंद्रीय सशस्त्र बल में भर्ती हुए हैं.

A birds eye view of Annaram village of Telangana
तेलंगाना के अन्नाराम गांव का एक विहंगम दृश्य (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : 17 hours ago

अन्नाराम (तेलंगाना) : तेलंगाना के करीमनगर जिले के माणकोंदूर मंडल में स्थित अन्नाराम गांव को 'पुलिस गांव' के नाम से जाना जाता है. यहां के लोगों को पुलिस गांव कहलाने पर गर्व है. मात्र 6,225 लोगों की आबादी वाले इस छोटे से गांव में 50 पुलिस और 25 होमगार्ड अधिकारी अभी तक बन चुके हैं. अपनी इस प्रभावशाली उपलब्धि की वजह से यह कई लोगों के लिए प्रेरणा है.

विरासत की शुरुआत
बता दें कि साल 1981 में अंजैया जिनको प्यार से हाथी के नाम से याद किया जाता है. वह अन्नाराम से पहली बार कांस्टेबल बनने के लिए हुई परीक्षा में सफल हुए थे. यहीं से गांव में खाकी विरासत की स्थापना हुई.

इतना ही नहीं अंजैया का सफर संघर्षों से भरा था, लेकिन खेलों के प्रति उनके जुनून ने उन्हें राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) और उसके बाद पुलिस बल में शामिल होने में मदद की. उनकी उपलब्धि ने दूसरों को भी इसी तरह का करियर अपनाने के लिए प्रेरित किया. फलस्वरूप जल्द ही, साल 1992 में दो और कांस्टेबल पुलिस बल में शामिल हो गए.

दशकों पुरानी सफलता की कहानी
साल 1995 के बाद से अन्नाराम के युवाओं ने पुलिस बलों में धीरे-धीरे लेकिन मजबूत विकल्प विकसित किया. गांव का प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड इसी से स्पष्ट हो जाता है कि यहां से साल 1995 और साल 1998 में चार-चार कांस्टेबल, साल 2000 में छह, साल 2003 में दो, साल 2008, साल 2009 और साल 2012 में चार-चार तथा साल 2018 और साल 2023 में छह-छह कांस्टेबल निकले. वहीं अगले साल अन्नाराम गांव की सफलता कई गुना बढ़ गई क्योंकि अधिकतर युवा पुलिस और दूसरे बलों में भर्ती हो गए. वही गांव के पांच लोग केंद्रीय सशस्त्र बलों में भर्ती हो गए हैं, जबकि तीन अग्निशमन विभाग में सेवा दे रहे हैं.

अगली पीढ़ी को सलाह देना
अन्नाराम गांव के हेड कांस्टेबल शंकर ने खाकी विरासत को हासिल करने में गांव की सफलता की कहानी में एक प्रमुख भूमिका निभाई है क्योंकि उन्होंने पिछले छह वर्षों से युवाओं को मुफ्त प्रशिक्षण दिया है. उन्होंने कम से कम 250 इच्छुक युवाओं को पुलिस बल में शामिल होने और खाकी भूमिकाओं के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया है.

उत्कृष्टता की विरासत
अन्नाराम गांव की इस उल्लेखनीय उपलब्धि में सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पकाला राजिरेड्डी, फिंगरप्रिंट विभाग में सीआई ऑरेली राजकुमार और एएसआई मर्का राजैया शामिल हैं. नवीनतम भर्ती अभियान में, कुल 40 प्रतिभागियों के बीच अन्नाराम गांव के कम से कम छह लोग परीक्षा में सफल होने में सफल रहे, जिससे गांव की प्रतिष्ठा और मजबूत हुई.

गांव का इतिहास और शंकर जैसे रोल मॉडल अन्नाराम गांव के युवाओं को सीमाओं को तोड़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं, भले ही कई परिवार अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं. यही वजह है कि दृढ़ता, प्रतिबद्धता और सामुदायिक समर्थन के एक उज्ज्वल उदाहरण के रूप में अन्नाराम गांव की आत्मा कायम है.

ये भी पढ़ें- तेलंगाना का ऐसा आदिवासी गांव जो बना दूसरों के लिए आदर्श, जानिए क्यों

अन्नाराम (तेलंगाना) : तेलंगाना के करीमनगर जिले के माणकोंदूर मंडल में स्थित अन्नाराम गांव को 'पुलिस गांव' के नाम से जाना जाता है. यहां के लोगों को पुलिस गांव कहलाने पर गर्व है. मात्र 6,225 लोगों की आबादी वाले इस छोटे से गांव में 50 पुलिस और 25 होमगार्ड अधिकारी अभी तक बन चुके हैं. अपनी इस प्रभावशाली उपलब्धि की वजह से यह कई लोगों के लिए प्रेरणा है.

विरासत की शुरुआत
बता दें कि साल 1981 में अंजैया जिनको प्यार से हाथी के नाम से याद किया जाता है. वह अन्नाराम से पहली बार कांस्टेबल बनने के लिए हुई परीक्षा में सफल हुए थे. यहीं से गांव में खाकी विरासत की स्थापना हुई.

इतना ही नहीं अंजैया का सफर संघर्षों से भरा था, लेकिन खेलों के प्रति उनके जुनून ने उन्हें राष्ट्रीय कैडेट कोर (NCC) और उसके बाद पुलिस बल में शामिल होने में मदद की. उनकी उपलब्धि ने दूसरों को भी इसी तरह का करियर अपनाने के लिए प्रेरित किया. फलस्वरूप जल्द ही, साल 1992 में दो और कांस्टेबल पुलिस बल में शामिल हो गए.

दशकों पुरानी सफलता की कहानी
साल 1995 के बाद से अन्नाराम के युवाओं ने पुलिस बलों में धीरे-धीरे लेकिन मजबूत विकल्प विकसित किया. गांव का प्रभावशाली ट्रैक रिकॉर्ड इसी से स्पष्ट हो जाता है कि यहां से साल 1995 और साल 1998 में चार-चार कांस्टेबल, साल 2000 में छह, साल 2003 में दो, साल 2008, साल 2009 और साल 2012 में चार-चार तथा साल 2018 और साल 2023 में छह-छह कांस्टेबल निकले. वहीं अगले साल अन्नाराम गांव की सफलता कई गुना बढ़ गई क्योंकि अधिकतर युवा पुलिस और दूसरे बलों में भर्ती हो गए. वही गांव के पांच लोग केंद्रीय सशस्त्र बलों में भर्ती हो गए हैं, जबकि तीन अग्निशमन विभाग में सेवा दे रहे हैं.

अगली पीढ़ी को सलाह देना
अन्नाराम गांव के हेड कांस्टेबल शंकर ने खाकी विरासत को हासिल करने में गांव की सफलता की कहानी में एक प्रमुख भूमिका निभाई है क्योंकि उन्होंने पिछले छह वर्षों से युवाओं को मुफ्त प्रशिक्षण दिया है. उन्होंने कम से कम 250 इच्छुक युवाओं को पुलिस बल में शामिल होने और खाकी भूमिकाओं के लिए प्रयास करने के लिए प्रेरित किया है.

उत्कृष्टता की विरासत
अन्नाराम गांव की इस उल्लेखनीय उपलब्धि में सेवानिवृत्त अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पकाला राजिरेड्डी, फिंगरप्रिंट विभाग में सीआई ऑरेली राजकुमार और एएसआई मर्का राजैया शामिल हैं. नवीनतम भर्ती अभियान में, कुल 40 प्रतिभागियों के बीच अन्नाराम गांव के कम से कम छह लोग परीक्षा में सफल होने में सफल रहे, जिससे गांव की प्रतिष्ठा और मजबूत हुई.

गांव का इतिहास और शंकर जैसे रोल मॉडल अन्नाराम गांव के युवाओं को सीमाओं को तोड़ने के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं, भले ही कई परिवार अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं. यही वजह है कि दृढ़ता, प्रतिबद्धता और सामुदायिक समर्थन के एक उज्ज्वल उदाहरण के रूप में अन्नाराम गांव की आत्मा कायम है.

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