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आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा या पुलिस रिमांड पर भेजने से पहले करें कोरोना टेस्ट: राजस्थान हाईकोर्ट - आरोपी को न्यायिक अभिरक्षा में भेजने से पहले कोरोना टेस्ट

राजस्थान हाईकोर्ट ने कोरोना वायरस के संक्रमण की गंभीरता को देखते हुए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है. अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि आरोपी का पहले कोरोना टेस्ट कराया जाए और उसके नेगेटिव आने पर ही पुलिस रिमांड या न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जाए.

Rajasthan High Court, Corona test
राजस्थान हाईकोर्ट ने कहा कि आरोपी न्यायिक अभिरक्षा में भेजने से पहले कोरोना टेस्ट करवाएं
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Published : May 17, 2020, 8:50 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कैदियों के बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित होने को गंभीरता से लेते हुए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है. अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि आरोपी का पहले कोरोना टेस्ट कराया जाए और उसके नेगेटिव आने पर ही पुलिस रिमांड या न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जाए. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश रविवार को सीजे निवास पर लगी विशेष खंडपीठ में सुनवाई करते हुए दिए हैं. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एमएस सिंघवी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े, जबकि एसीएस होम राजीव स्वरूप और डीजी जेल एनआरके रेड्डी व्यक्तिगत रूप से पेश हुए.

यह भी पढ़ें- जोधपुरः अज्ञात हमलावरों ने सरेआम गोली मारकर की हिस्ट्रीशीटर की हत्या

अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि कोरोना जांच के बाद भी आरोपी को 21 दिन जेल के आइसोलेशन वार्ड में रखा जाए. वहीं बाद में सामान्य वार्ड में भेजने से पहले मेडिकल जांच कर सुनिश्चित किया जाए कि उसमें कोरोना के लक्षण नहीं है. इसके अलावा अस्थमा के रोगी कैदियों की आरटी-पीसीआर जांच करवाई जाए.
अदालत ने कहा कि आइसोलेशन वार्ड में कैदियों के संपर्क में आने वाले जेल कर्मियों और उनके परिजनों का नियमित रूप से रैंडमली टेस्ट कराया जाए.

यह भी पढ़ें- यूपी बॉर्डर पर रुकी राजस्थान रोडवेज की बसें...योगी सरकार की अनुमति का इंतजार

इसके अलावा अदालत ने हर जिले के मेडिकल ऑफिसर को जेल के आइसोलेशन वार्ड का निरीक्षण कर सफाई आदि को सुनिश्चित करने को कहा है. अदालत ने जेल के चिकित्सक को भी आइसोलेशन वार्ड के कैदियों का नियमित चेकअप करने और उनका रिकॉर्ड संरक्षित करने को कहा है. अदालत इस मामले में अब 27 मई को सुनवाई करेगी.

जेलों के निरीक्षण के लिए कमेटी गठित करने के आदेश

हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की पालना देखने के लिए जिला और तहसील स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या तालुका विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, सीएमएचओ और संबंधित बार एसोसिएशन के अध्यक्ष या महासचिव की कमेटी गठित की है. यह कमेटी संबंधित जेलों का दौरा कर 22 मई तक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को अपनी रिपोर्ट देगी.

सरकार ने कहा एक कैदी ने फैलाया कोरोना

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एक आरोपी को 13 अप्रैल को जेल भेजा गया था, जहां उसे 2 मई तक आइसोलेशन में रखा गया था. स्वस्थ पाए जाने पर 3 मई को उसे जेल के वार्ड नंबर 5 में भेजा गया था, जहां 9 मई को वह बीमार हो गया. इसके बाद उसे जांच की गई, तो वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया. 3 मई से 9 मई बीच वह दूसरे कैदियों के साथ रहा, जिससे बड़ी समस्या खड़ी हो गई. वहीं एसीएस होम और डीजी जेल ने भी इस संबंध में अदालत को जानकारियां दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कैदियों के बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित होने को गंभीरता से लेते हुए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया है. अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि आरोपी का पहले कोरोना टेस्ट कराया जाए और उसके नेगेटिव आने पर ही पुलिस रिमांड या न्यायिक अभिरक्षा में भेजा जाए. मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महान्ति और न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश रविवार को सीजे निवास पर लगी विशेष खंडपीठ में सुनवाई करते हुए दिए हैं. सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता एमएस सिंघवी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़े, जबकि एसीएस होम राजीव स्वरूप और डीजी जेल एनआरके रेड्डी व्यक्तिगत रूप से पेश हुए.

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अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि कोरोना जांच के बाद भी आरोपी को 21 दिन जेल के आइसोलेशन वार्ड में रखा जाए. वहीं बाद में सामान्य वार्ड में भेजने से पहले मेडिकल जांच कर सुनिश्चित किया जाए कि उसमें कोरोना के लक्षण नहीं है. इसके अलावा अस्थमा के रोगी कैदियों की आरटी-पीसीआर जांच करवाई जाए.
अदालत ने कहा कि आइसोलेशन वार्ड में कैदियों के संपर्क में आने वाले जेल कर्मियों और उनके परिजनों का नियमित रूप से रैंडमली टेस्ट कराया जाए.

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इसके अलावा अदालत ने हर जिले के मेडिकल ऑफिसर को जेल के आइसोलेशन वार्ड का निरीक्षण कर सफाई आदि को सुनिश्चित करने को कहा है. अदालत ने जेल के चिकित्सक को भी आइसोलेशन वार्ड के कैदियों का नियमित चेकअप करने और उनका रिकॉर्ड संरक्षित करने को कहा है. अदालत इस मामले में अब 27 मई को सुनवाई करेगी.

जेलों के निरीक्षण के लिए कमेटी गठित करने के आदेश

हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की पालना देखने के लिए जिला और तहसील स्तर पर जिला विधिक सेवा प्राधिकरण या तालुका विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, सीएमएचओ और संबंधित बार एसोसिएशन के अध्यक्ष या महासचिव की कमेटी गठित की है. यह कमेटी संबंधित जेलों का दौरा कर 22 मई तक राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण को अपनी रिपोर्ट देगी.

सरकार ने कहा एक कैदी ने फैलाया कोरोना

सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता ने अदालत को बताया कि एक आरोपी को 13 अप्रैल को जेल भेजा गया था, जहां उसे 2 मई तक आइसोलेशन में रखा गया था. स्वस्थ पाए जाने पर 3 मई को उसे जेल के वार्ड नंबर 5 में भेजा गया था, जहां 9 मई को वह बीमार हो गया. इसके बाद उसे जांच की गई, तो वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया. 3 मई से 9 मई बीच वह दूसरे कैदियों के साथ रहा, जिससे बड़ी समस्या खड़ी हो गई. वहीं एसीएस होम और डीजी जेल ने भी इस संबंध में अदालत को जानकारियां दी है.

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