जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने बार काउंसिल से निलंबित अधिवक्ता गोवर्धन सिंह के खिलाफ दर्ज मामलों की जांच सीबीआई से कराने के संबंध में दायर याचिका पर दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया (Rajasthan High Court reserves decision on petition) है. वहीं अदालत ने आरोपी के खिलाफ दर्ज विभिन्न एफआईआर को रद्द करने की गुहार के साथ दायर याचिकाओं पर राज्य सरकार से जवाब मांगते हुए दो सप्ताह बाद सुनवाई रखी है. जस्टिस बीरेन्द्र कुमार ने यह आदेश गोवर्धन सिंह की याचिकाओं पर दिए हैं.
याचिका में कहा गया कि उसे गत 27 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया है. इसके बाद उसके खिलाफ एक के बाद एक कई एफआईआर दर्ज कराई गई. वहीं जिन मामलों में पुलिस ने क्लोजर रिपोर्ट पेश कर दी थी, उन्हें भी रीओपन कर याचिकाकर्ता को गिरफ्तार किया गया है. याचिका में कहा गया कि एक मामले में न्यायिक अभिरक्षा के आदेश होने के बाद उसे दूसरे मामले में गिरफ्तार कर लिया जाता है. अब तक उसे करीब 55 दिन की पुलिस अभिरक्षा में रख चुके हैं. इसके अलावा उसे बैंक खातों आदि को भी सीज कर दिया है.
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राज्य सरकार याचिकाकर्ता के खिलाफ दुर्भावना से कार्रवाई कर रही है. ऐसे में प्रकरण की निष्पक्ष जांच के लिए उसे सीबीआई को सौंपा जाए. जिसका विरोध करते हुए राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि आरोपी कई लोगों को ब्लैकमेल करता था. उसके खिलाफ जयपुर और बीकानेर में पिछले दो दशक से कई मामले दर्ज हुए हैं. वहीं उसकी गिरफ्तारी के बाद कई पीड़ितों ने सामने आकर एफआईआर दर्ज कराई है. मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने के कोई आधार नहीं है. केवल मात्र आरोपी के कहने से ही प्रकरण की जांच सीबीआई को नहीं सौंपी जा सकती. यदि ऐसा हुआ तो सभी आरोपी अपने मामले की जांच सीबीआई को भेजने के लिए कहेंगे. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है.