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बड़ी खबर : विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में दंडात्मक कार्रवाई पर HC ने लगाई रोक

राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले में आरोपी भरत मालानी और अशोक सिंह के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है.

case of horse trading of mla,  Rajasthan High Court Order
राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Dec 17, 2020, 8:44 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले में आरोपी भरत मालानी और अशोक सिंह को राहत दे दी है. अदालत ने दोनों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगाई है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश भरत और अशोक सिंह की याचिकाओं पर दिए.

याचिकाओं में अधिवक्ता विवेकराज बाजवा और पंकज गुप्ता ने बताया कि एसओजी ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया था. एफआईआर दर्ज होने के करीब एक महीने बाद गत 7 अगस्त को एसओजी ने क्षेत्राधिकार नहीं होने का हवाला देकर अदालत में एफआर पेश कर दी.

पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट ने RAS मुख्य परीक्षा का परिणाम किया रद्द...

याचिका में कहा गया कि एफआर पेश होने के अगले ही दिन एसीबी में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज कर ली गई, जो कि पुरानी एफआईआर के तथ्यों पर ही आधारित थी. जबकि प्रकरण को लेकर एक अन्य एफआईआर पहले से ही एसओजी में दर्ज थी.

याचिका में कहा गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सत्ता के विवाद के चलते याचिकाकर्ताओं को मामले में फंसाया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त से जुड़े मामले में आरोपी भरत मालानी और अशोक सिंह को राहत दे दी है. अदालत ने दोनों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगाई है. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश भरत और अशोक सिंह की याचिकाओं पर दिए.

याचिकाओं में अधिवक्ता विवेकराज बाजवा और पंकज गुप्ता ने बताया कि एसओजी ने विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप लगाते हुए याचिकाकर्ताओं के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया था. एफआईआर दर्ज होने के करीब एक महीने बाद गत 7 अगस्त को एसओजी ने क्षेत्राधिकार नहीं होने का हवाला देकर अदालत में एफआर पेश कर दी.

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याचिका में कहा गया कि एफआर पेश होने के अगले ही दिन एसीबी में याचिकाकर्ताओं के खिलाफ नई एफआईआर दर्ज कर ली गई, जो कि पुरानी एफआईआर के तथ्यों पर ही आधारित थी. जबकि प्रकरण को लेकर एक अन्य एफआईआर पहले से ही एसओजी में दर्ज थी.

याचिका में कहा गया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तत्कालीन उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच सत्ता के विवाद के चलते याचिकाकर्ताओं को मामले में फंसाया गया है. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने पर रोक लगा दी है.

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