जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने आरबीआई और एसबीआई सहित निजी बैंक को नोटिस जारी कर पूछा है कि आईएमपीएस के जरिए खाताधारी के नाम के बिना सिर्फ खाता संख्या के आधार पर पैसा कैसे ट्रांसफर कर दिया जाता है. यह आदेश न्यायाधीश अशोक गौड़ ने आश्रय अग्रवाल की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता अभिमन्यु सिंह ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने किसी व्यक्ति के कहने पर पतंजलि की डीलरशिप लेने के लिए उसकी ओर से बताए बैंक खाते में आइएमपीएस के जरिए 15 लाख रुपए ट्रांसफर किए थे. इस दौरान याचिकाकर्ता ने बेनिफिशियरी नाम में पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड भी भरा था. वहीं, बाद में पता चला कि यह खाता पतंजलि के बजाय किसी रामदेव यादव के नाम से है.
याचिका में कहा गया कि यह बैंक की जिम्मेदारी है कि वह न केवल ऑनलाइन लेनदेन के समय खाताधारक और बैंक खाते का मिलान करें. बल्कि लेन-देन संदिग्ध मिलने पर उसे तत्काल रोके. इसके बावजूद भी बैंक सिर्फ खाता संख्या के आधार पर बड़ी से बड़ी राशि का आईएमपीएस के ट्रांसफर कर देते हैं, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया.
पीआरएन के मूल आवंटी के लिए भूखंड खाली रखने के आदेश
राजस्थान हाईकोर्ट ने जेडीए को आदेश दिए हैं कि वह कालवाड़ रोड पर लांच की जा रही गोकुल नगर योजना में एक भूखंड पृथ्वीराज नगर योजना के मूल आवंटी के लिए खाली रखें. इसके साथ ही अदालत ने मामले में प्रमुख यूडीएच सचिव और जेडीसी को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है. यह आदेश न्यायाधीश अशोक गौड़ ने देवेंद्र सिंह कौशिक की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता सार्थक रस्तोगी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता को मई 2001 में पृथ्वीराज नगर योजना में भूखंड आवंटित किया गया था. वहीं, अब जेडीए पृथ्वीराज नगर योजना में जमीन खाली नहीं होने का हवाला देकर उसे कानोता के पास जेडीए की कल्पना नगर योजना में भूखंड देने की बात कह रहा है. जबकि दूसरी ओर पृथ्वीराज नगर योजना की जमीन पर ही गोकुल नगर योजना में भूखंड नीलाम किए जा रहे हैं.
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याचिका में गुहार की गई कि याचिकाकर्ता को पीआरएन योजना की जमीन पर ही भूखंड दिया जाए, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने गोकुल नगर योजना में एक भूखंड याचिकाकर्ता के लिए खाली रखने के आदेश देते हुए संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.
विश्वविद्यालय की ओर से ऑफलाइन परीक्षा कराने पर मांगा जवाब
राजस्थान हाईकोर्ट ने राजस्थान विश्वविद्यालय के पीजी और यूजी अंतिम वर्ष की परीक्षाओं के आयोजन को लेकर यूजीसी और विश्वविद्यालय प्रशासन से 16 सितंबर को जवाब देने को कहा है. यह आदेश मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत महांती और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ ने तेज प्रकाश यादव की ओर से दायर जनहित याचिका पर दिए.
याचिका में कहा गया कि फिलहाल कोरोना का खतरा बढ़ता ही जा रहा है. विश्वविद्यालय की ओर से परीक्षा आयोजित कराने से संक्रमण और अधिक बढ़ेगा. ऐसी स्थिति में अंतिम वर्ष की परीक्षाओं को स्थगित किया जाना चाहिए. इसके अलावा यदि परीक्षा कराना भी चाहे तो ऑफलाइन के बजाय ऑनलाइन या अन्य किसी माध्यम का उपयोग किया जा सकता है.
याचिका में कहा गया कि कोरोना के चलते विद्यार्थी दूसरे राज्य में स्थित अपने घर जा चुके हैं. इस वक्त उनका परीक्षा के लिए आना संभव भी नहीं है. इसके अलावा यूजीसी के नियमों के तहत परीक्षा ऑफलाइन के साथ ही ऑनलाइन भी ली जा सकती है, जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने संबंधित अधिकारियों से जवाब तलब किया है.