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लोक सूचना अधिकारियों पर लगाए गए हर्जाने की वसूली के लिए उठाए कदम : HC

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग के रजिस्ट्रार को निर्देश दिए हैं कि वह आयोग की ओर से लोक सूचना अधिकारियों पर लगाए गए हर्जाने की राशि वसूलने के लिए नियमानुसार प्रभावी कदम उठाए.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Dec 9, 2020, 8:54 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग के रजिस्ट्रार को निर्देश दिए हैं कि वह आयोग की ओर से लोक सूचना अधिकारियों पर लगाए गए हर्जाने की राशि वसूलने के लिए नियमानुसार प्रभावी कदम उठाए. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांती और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश तरुण अग्रवाल की जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.

याचिकाकर्ता के वकील

याचिका में अधिवक्ता टीएन शर्मा ने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर द्वितीय अपील सूचना आयोग के समक्ष होती है. सूचना आयोग दोषी पाए जाने वाले लोक सूचना अधिकारियों पर 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है. याचिका में कहा गया कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार आयोग ने पिछले करीब 10 सालों में दोषी लोक सूचना अधिकारियों पर हर्जाना लगाया गया है. इसमें करीब ढाई करोड़ रुपए का हर्जाना नहीं वसूला गया है.

पढ़ें- राज्य सरकार और आरपीएससी बताए "कुबरा के चौथी" के जोड़ा का असली रंग कौन सा है: HC

याचिका में कहा गया कि हर्जाना राशि की वसूली नहीं होने से लोक सूचना अधिकारी सूचनाएं देने में मनमानी कर रहे हैं. इस संबंध में आयोग और मुख्य सचिव को भी अभ्यावेदन दिया गया था, लेकिन अब तक राशि वसूली नहीं गई है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने आयोग के रजिस्ट्रार को उचित कदम उठाने के आदेश दिए हैं.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सूचना आयोग के रजिस्ट्रार को निर्देश दिए हैं कि वह आयोग की ओर से लोक सूचना अधिकारियों पर लगाए गए हर्जाने की राशि वसूलने के लिए नियमानुसार प्रभावी कदम उठाए. मुख्य न्यायाधीश इन्द्रजीत महांती और न्यायाधीश सतीश शर्मा की खंडपीठ ने यह आदेश तरुण अग्रवाल की जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिए.

याचिकाकर्ता के वकील

याचिका में अधिवक्ता टीएन शर्मा ने कहा कि सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत सूचना उपलब्ध नहीं कराने पर द्वितीय अपील सूचना आयोग के समक्ष होती है. सूचना आयोग दोषी पाए जाने वाले लोक सूचना अधिकारियों पर 25 हजार रुपए तक का जुर्माना लगा सकता है. याचिका में कहा गया कि आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार आयोग ने पिछले करीब 10 सालों में दोषी लोक सूचना अधिकारियों पर हर्जाना लगाया गया है. इसमें करीब ढाई करोड़ रुपए का हर्जाना नहीं वसूला गया है.

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याचिका में कहा गया कि हर्जाना राशि की वसूली नहीं होने से लोक सूचना अधिकारी सूचनाएं देने में मनमानी कर रहे हैं. इस संबंध में आयोग और मुख्य सचिव को भी अभ्यावेदन दिया गया था, लेकिन अब तक राशि वसूली नहीं गई है. जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने आयोग के रजिस्ट्रार को उचित कदम उठाने के आदेश दिए हैं.

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