जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने रणथंभौर नेशनल पार्क और टाइगर रिजर्व सहित वनों के संरक्षण से जुडे़ मामले में राज्य सरकार को दिशा-निर्देश (Rajasthan High Court gave guidelines to the state government) दिए हैं. अदालत ने राजस्व सचिव और वन सचिव को कहा है कि वे वन भूमि का डिमार्केशन कर उसका रेवेन्यू रिकॉर्ड में इंद्राज कराए. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार को 15 अगस्त तक एनटीसीए को टाइगर कंजर्वेशन प्लान पेश करने को कहा है. जस्टिस प्रकाश गुप्ता और जस्टिस समीर जैन ने यह आदेश प्रकरण में लिए गए स्वप्रेरित प्रसंज्ञान पर सुनवाई करते हुए दिए हैं. अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि प्रशासन शहरों के संग के साथ-साथ प्रशासन वनों के संग भी मनाना चाहिए.
कोर्ट ने कहा हाफ डे और फुल डे सफारी के आदेश पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत: सुनवाई के दौरान अदालती आदेश की पालना में पीसीसीएफ हॉफ डीएन पांडेय, मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिंदम तोमर, प्रमुख वन सचिव, प्रमुख राजस्व सचिव, सवाई माधोपुर कलेक्टर, एसपी और एसडीएम सहित अन्य अधिकारी अदालत में पेश हुए. अदालत ने अधिकारियों से सवाल किया कि वन क्षेत्र में खनन काम कैसे हो रहा है. इसके अलावा नेशनल पार्क की जीरो लाइन पर बने होटल के नियंत्रण के लिए क्या किया जाता है और क्या उनके पास संबंधित विभागों की एनओसी है. इसके अलावा पार्क में खाने-पीने का सामान व प्लास्टिक की बोतल कैसे चली जाती है. अदालत ने यह भी पूछा कि इन एरिया को साइलेंस जोन घोषित किया गया है या नहीं. अदालत ने कहा कि पार्क में हाफ डे और फुल डे सफारी के आदेश पर भी पुनर्विचार करने की जरूरत है.
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कोर्ट ने कहा क्षेत्र में अवैध खनन व पशुओं की चराई को भी रोका जाए: अदालत ने मामले में न्यायमित्र के तौर पर वरिष्ठ अधिवक्ता राजेन्द्र प्रसाद और अधिवक्ता सुनील समदरिया को नियुक्त किया है. अदालत ने कहा कि किसी भी सूरत में वन संरक्षण को लेकर समझौता नहीं किया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया कि एनटीसीए के लिखने के बाद भी टाइगर फोर्स नहीं बनी है और सरिस्का अभयारण्य सहित अन्य जगहों पर टाइगर मर रहे हैं. अभयारण्य के कोर एरिया में अभी भी लोग बसे हुए हैं और अधिकतर गांव वालों के पास हथियार भी हैं. यहां पर टाइगर सहित अन्य जानवरों का शिकार किया जा रहा है. ऐसे में सरिस्का क्षेत्र में शिकारियों पर कार्रवाई की जाए और इसे रोकने के लिए प्रोटेक्शन फोर्स बनाई जाए. क्षेत्र में अवैध खनन व पशुओं की चराई को भी रोका जाए और मामले में लापरवाही बरतने पर मुख्य वन्य जीव प्रतिपालक के खिलाफ कार्रवाई की जाए. गौरतलब है कि अदालत ने भी सरिस्का और रणथंभौर रिजर्व में टाइगर के हालातों को लेकर स्वप्रेरित प्रसंज्ञान लिया था.