जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने अदालती आदेश के बावजूद भी कैदी को स्थाई पैरोल पर रिहा नहीं करने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने एक लाख रुपए की हर्जाना राशि याचिकाकर्ता को देने के आदेश दिए हैं.
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि हर्जाना राशि उन दोषी अधिकारियों से वसूल की जाए, जिनके कारण याचिकाकर्ता बिना वजह डेढ़ माह जेल में बंद रहा. न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की एकलपीठ ने यह आदेश अशोक कुमार प्रजापति की ओर से दायर अवमानना याचिका पर दिए.
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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता दुष्कर्म के मामले में दौसा जेल में बंद है. 7 साल की सजा पूरी होने के चलते हाईकोर्ट ने गत 21 मई को याचिकाकर्ता को स्थाई पैरोल पर रिहा करने को कहा था. अदालती आदेश के बावजूद याचिकाकर्ता को रिहा नहीं किया गया.
वहीं, अदालत के दखल के बाद याचिकाकर्ता को गत 8 जुलाई को जेल से छोड़ा गया. याचिका में कहा गया कि अधिकारियों ने जानबूझकर अदालती आदेश की अवमानना की है. जिसके चलते याचिकाकर्ता को बिना कारण 21 मई से 7 जुलाई तक जेल में रहना पड़ा. जिस पर सुनवाई करते हुए दोषी अधिकारियों पर एक लाख रुपए का हर्जाना लगाते हुए हर्जाना राशि याचिकाकर्ता को देने को कहा है.