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मेयर और सभापति की सीटों पर रोटेशन से आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

शहरी निकायों में मेयर और सभापति के पदों पर एससी और एसटी को रोटेशन से आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका को राजस्थान हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. अदालत ने माना कि चुनाव प्रक्रिया आरंभ होकर 196 निकायों में से 55 निकायों में चुनाव भी हो चुके हैं. अदालत ने कहा कि इन पदों पर आरक्षण देने के संबंध में बनाई गई नीति को गलत नहीं माना जा सकता.

Reservation Case in Rajasthan Municipal Election, Reservation Petition Dismissed in Rajasthan High Court
मेयर और सभापति की सीटों पर रोटेशन से आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका खारिज
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Published : Nov 24, 2020, 8:15 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शहरी निकायों में मेयर और सभापति के पदों पर एससी और एसटी को रोटेशन से आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश योगेन्द्र कुमार व अन्य की याचिकाओं पर दिए. अदालत ने माना कि चुनाव प्रक्रिया आरंभ होकर 196 निकायों में से 55 निकायों में चुनाव भी हो चुके हैं. अदालत ने कहा कि इन पदों पर आरक्षण देने के संबंध में बनाई गई नीति को गलत नहीं माना जा सकता.

मेयर और सभापति की सीटों पर रोटेशन से आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

याचिका में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 43 को चुनौती देते हुए कहा गया कि शहरी निकाय में मेयर और सभापति के पद एससी व एसटी वर्ग की जनसंख्या व रोस्टर के आधार पर बारी-बारी से आरक्षित रखने चाहिए थे, जबकि ऐसा नहीं किया गया.

पढ़ें- खेल में दूसरे राज्य का प्रतिनिधित्व करने पर नियुक्ति निरस्त क्यों : HC

वहीं दूसरी ओर याचिका दायर करने के बाद राज्य सरकार ने गत 13 अक्टूबर को अधिसूचना जारी कर पूर्व की व्यवस्था को भूतलक्षी प्रभाव से रद्द कर दिया. नए प्रावधान के तहत आरक्षण में लॉटरी का प्रावधान करते हुए हर जनगणना के बाद इस व्यवस्था को नए सिरे से शुरू करना तय कर दिया. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि आरक्षण का प्रावधान विधि सम्मत है. वहीं चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के चलते अदालत को इसमें दखल नहीं देना चाहिए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने शहरी निकायों में मेयर और सभापति के पदों पर एससी और एसटी को रोटेशन से आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायाधीश सबीना और न्यायाधीश सीके सोनगरा की खंडपीठ ने यह आदेश योगेन्द्र कुमार व अन्य की याचिकाओं पर दिए. अदालत ने माना कि चुनाव प्रक्रिया आरंभ होकर 196 निकायों में से 55 निकायों में चुनाव भी हो चुके हैं. अदालत ने कहा कि इन पदों पर आरक्षण देने के संबंध में बनाई गई नीति को गलत नहीं माना जा सकता.

मेयर और सभापति की सीटों पर रोटेशन से आरक्षण नहीं देने के खिलाफ दायर याचिका खारिज

याचिका में राजस्थान नगर पालिका अधिनियम, 2009 की धारा 43 को चुनौती देते हुए कहा गया कि शहरी निकाय में मेयर और सभापति के पद एससी व एसटी वर्ग की जनसंख्या व रोस्टर के आधार पर बारी-बारी से आरक्षित रखने चाहिए थे, जबकि ऐसा नहीं किया गया.

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वहीं दूसरी ओर याचिका दायर करने के बाद राज्य सरकार ने गत 13 अक्टूबर को अधिसूचना जारी कर पूर्व की व्यवस्था को भूतलक्षी प्रभाव से रद्द कर दिया. नए प्रावधान के तहत आरक्षण में लॉटरी का प्रावधान करते हुए हर जनगणना के बाद इस व्यवस्था को नए सिरे से शुरू करना तय कर दिया. इसके जवाब में राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि आरक्षण का प्रावधान विधि सम्मत है. वहीं चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के चलते अदालत को इसमें दखल नहीं देना चाहिए. दोनों पक्षों को सुनने के बाद खंडपीठ ने याचिकाओं को खारिज कर दिया.

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