जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने निजी स्कूलों की ओर से फीस वसूली के मामले में कहा है कि निजी स्कूल फिलहाल ट्यूशन फीस का 70 फीसदी हिस्सा तीन किस्तों में अभिभावकों से वसूल सकते हैं. अदालत ने स्कूल को छूट दी है कि फीस जमा नहीं कराने वाले विद्यार्थी को ऑनलाइन कक्षा में शामिल होने से रोका जा सकता है. लेकिन उसका नाम स्कूल से नहीं हटाया जाए.
अदालत ने पहली किस्त 30 सितंबर, दूसरी किस्त 30 नवंबर और तीसरी किस्त जनवरी तक वसूलने को कहा है. अदालत ने स्पष्ट किया है कि शेष बकाया फीस के संबंध में याचिका के निस्तारण के समय आदेश दिए जाएंगे. न्यायाधीश एसपी शर्मा ने यह आदेश कैथोलिक एजुकेशन सोसायटी और अन्य की ओर से दायर याचिका पर दिए. इसके साथ ही अदालत ने मामले में अभिभावक समिति को क्षकार बना लिया है.
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याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता स्कूल फीस कानून के तहत फीस लेते हैं. राज्य सरकार ने कोरोना के चलते गत अप्रैल माह में आदेश जारी कर निजी स्कूलों को अपनी फीस स्थगित करने को कहा. वहीं, जुलाई माह में फिर से आदेश जारी कर स्कूल खुलने तक फीस स्थगित करने और फीस के अभाव में विद्यार्थी का नाम नहीं काटने को कहा.
याचिका में कहा गया कि अब प्रदेश से लॉकडाउन समाप्त हो चुका है. इसके अलावा स्कूल की आय का एकमात्र जरिया स्कूल फीस ही होती है. फीस से ही टीचर और स्टाफ आदि के वेतन के साथ ही स्कूल विकास के लिए लोन सहित अन्य की किस्त दी जाती है. वहीं, ऑनलाइन पढ़ाई के लिए भी अलग से खर्चा करना पड़ रहा है. ऐसे में राज्य सरकार के फीस स्थगित करने के आदेश को रद्द किया जाए और याचिका के लंबित रहने के दौरान कम से कम ट्यूशन फीस वसूलने की छूट दी जाए.