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आपराधिक मामले में दो मेडिकल रिपोर्ट देने को हाईकोर्ट ने माना गंभीर, जिला कलेक्टर की मॉनिटरिंग में जांच का आदेश - Court ask to investigate case from RAS

एक ही मामले में दो तरह की मेडिकल रिपोर्ट पेश करने को राजस्थान हाईकोर्ट ने गंभीर माना है और नाराजगी जताई है. करौली जिले के एक मामले में पुलिस और मेडिकल ऑफिसर की मिलीभगत से दो मेडिकल रिपोर्ट दी गईं. इनमें से पहली में गंभीर चोट का हवाला था, तो दूसरी में जानलेवा हमला बताया (Two medical reports in the same case in Karauli) गया.

Two medical reports in the same case in Karauli
आपराधिक मामले में दो मेडिकल रिपोर्ट देने को हाईकोर्ट ने माना गंभीर, जिला कलेक्टर की मॉनिटरिंग में जांच का आदेश
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Published : Jun 15, 2022, 10:08 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मारपीट से जुड़े मामले में पुलिस और मेडिकल ऑफिसर की मिलीभगत से दो मेडिकल रिपोर्ट देने और पहली रिपोर्ट में चोट को गंभीर बताने और दूसरी में जानलेवा बताने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने करौली कलेक्टर को कहा है कि वह मामले में आरएएस स्तर के अधिकारी से जांच (Court ask to investigate case from RAS) कराएं.

कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी पता लगाए कि किन हालातों में पुलिस ने मेडिकल ऑफिसर से राय मांगी और मेडिकल ऑफिसर ने अलग रिपोर्ट क्यों दी. वहीं अदालत ने मामले की जांच 60 दिन में पूरी करने को कहा है. अदालत ने कहा कि यदि मामले में भ्रष्टाचार हुआ है, तो वह सबके सामने आना चाहिए. जस्टिस फरजंद अली ने यह आदेश भरत सिंह व दो अन्य की जमानत याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिए. जमानत याचिकाओं में कहा गया कि उन्हें प्रकरण में फंसाया गया है. मामला केवल मारपीट से जुड़ा है, लेकिन पुलिस ने मेडिकल ऑफिसर की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर जानलेवा हमले की धारा जोड़ी है. मामले में तीन आरोपी पहले से जमानत पर बाहर हैं. ऐसे में उन्हें भी जमानत पर रिहा किया जाए.

पढ़ें: तस्करों से मिलीभगत रखने वाले 2 कांस्टेबल को एसपी ने किया बर्खास्त

वहीं राजकीय अधिवक्ता शेरसिंह महला ने कहा कि पुलिस व मेडिकल विभाग ने मिलीभगत की है. पहली मेडिकल रिपोर्ट 31 दिसंबर, 2021 की है, जिसमें अंगुली की चोट को गंभीर बताया है. वहीं 18 जनवरी, 2022 को पुलिस के आग्रह पर मेडिकल ऑफिसर ने उसी चोट को जानलेवा बताया है. मामले में भ्रष्टाचार हुआ है और इसकी जांच होनी चाहिए. गौरतलब है कि करौली जिले के मासलपुर पुलिस थाने में आरोपियों के खिलाफ पहले मारपीट का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में पुलिस ने मेडिकल ऑफिसर की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर जानलेवा हमले की धारा जोड़ दी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने मारपीट से जुड़े मामले में पुलिस और मेडिकल ऑफिसर की मिलीभगत से दो मेडिकल रिपोर्ट देने और पहली रिपोर्ट में चोट को गंभीर बताने और दूसरी में जानलेवा बताने पर नाराजगी जताई है. इसके साथ ही अदालत ने करौली कलेक्टर को कहा है कि वह मामले में आरएएस स्तर के अधिकारी से जांच (Court ask to investigate case from RAS) कराएं.

कोर्ट ने कहा कि जांच अधिकारी पता लगाए कि किन हालातों में पुलिस ने मेडिकल ऑफिसर से राय मांगी और मेडिकल ऑफिसर ने अलग रिपोर्ट क्यों दी. वहीं अदालत ने मामले की जांच 60 दिन में पूरी करने को कहा है. अदालत ने कहा कि यदि मामले में भ्रष्टाचार हुआ है, तो वह सबके सामने आना चाहिए. जस्टिस फरजंद अली ने यह आदेश भरत सिंह व दो अन्य की जमानत याचिकाओं को स्वीकार करते हुए दिए. जमानत याचिकाओं में कहा गया कि उन्हें प्रकरण में फंसाया गया है. मामला केवल मारपीट से जुड़ा है, लेकिन पुलिस ने मेडिकल ऑफिसर की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर जानलेवा हमले की धारा जोड़ी है. मामले में तीन आरोपी पहले से जमानत पर बाहर हैं. ऐसे में उन्हें भी जमानत पर रिहा किया जाए.

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वहीं राजकीय अधिवक्ता शेरसिंह महला ने कहा कि पुलिस व मेडिकल विभाग ने मिलीभगत की है. पहली मेडिकल रिपोर्ट 31 दिसंबर, 2021 की है, जिसमें अंगुली की चोट को गंभीर बताया है. वहीं 18 जनवरी, 2022 को पुलिस के आग्रह पर मेडिकल ऑफिसर ने उसी चोट को जानलेवा बताया है. मामले में भ्रष्टाचार हुआ है और इसकी जांच होनी चाहिए. गौरतलब है कि करौली जिले के मासलपुर पुलिस थाने में आरोपियों के खिलाफ पहले मारपीट का मामला दर्ज किया गया था, लेकिन बाद में पुलिस ने मेडिकल ऑफिसर की दूसरी रिपोर्ट के आधार पर जानलेवा हमले की धारा जोड़ दी.

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