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Rajasthan High Court order: कोरोना वैक्सीन लगवाए बिना हाईकोर्ट में प्रवेश से रोकना जनहित में सही - Rajasthan High Court order

कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) की डोज नहीं लगवाने वालों पर राजस्थान हाईकोर्ट ने सख्ती दिखाई है. राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ (Jaipur Bench of Rajasthan High Court) ने अपने अहम आदेश में कहा है कि कोरोना महामारी से बचाव ही एकमात्र उपाय है.

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राजस्थान हाईकोर्ट
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Published : Nov 13, 2021, 3:47 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है कि कोरोना से बचाव के लिए एक भी कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) की डोज नहीं लगवाने वाले व्यक्ति का हाईकोर्ट में प्रवेश रोकना जनहित में है. इसके अलावा परिसर में प्रवेश देने के लिए इस तरह की शर्त लगाना अव्यवहारिक भी नहीं है.

हाईकोर्ट ने कहा कि दो बार मौका देने के बाद भी याचिकाकर्ता का वकील अदालत में पैरवी के लिए पेश नहीं हुआ. इससे लगता है कि याचिकाकर्ता को इस मुद्दे पर कोई दिलचस्पी नहीं है. ऐसे में अदालत मामले में स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान नहीं ले सकती है.

पढ़ें- मेहरानगढ़ दुखांतिका : राजस्थान हाईकोर्ट का रिपोर्ट अवलोकन के लिए पेश करने के निर्देश...25 नवम्बर को होगी सुनवाई

सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस रेखा बोराणा की खंडपीठ ने यह आदेश परमेश्वर पिलानिया की जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिका में जो चुनौती दी गई अधिसूचना वकीलों, पक्षकारों और नियमित रूप से आने वाले कोर्ट स्टाफ की सुरक्षा से जुड़ी हुई है. ऐसे में इस तरह की शर्त को अव्यवहारिक नहीं कहा जा सकता.

हाईकोर्ट में प्रवेश पर रोक जनहित में

जनहित याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट प्रशासन ने गत एक जुलाई को नोटिफिकेशन जारी कर कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाने वालों का प्रवेश हाईकोर्ट में प्रतिबंधित कर दिया था. जिसे चुनौती देते हुए कहा गया कि अदालत को मामले में स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की जयपुर पीठ ने अपने अहम आदेश में कहा है कि कोरोना से बचाव के लिए एक भी कोरोना वैक्सीन (corona vaccine) की डोज नहीं लगवाने वाले व्यक्ति का हाईकोर्ट में प्रवेश रोकना जनहित में है. इसके अलावा परिसर में प्रवेश देने के लिए इस तरह की शर्त लगाना अव्यवहारिक भी नहीं है.

हाईकोर्ट ने कहा कि दो बार मौका देने के बाद भी याचिकाकर्ता का वकील अदालत में पैरवी के लिए पेश नहीं हुआ. इससे लगता है कि याचिकाकर्ता को इस मुद्दे पर कोई दिलचस्पी नहीं है. ऐसे में अदालत मामले में स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान नहीं ले सकती है.

पढ़ें- मेहरानगढ़ दुखांतिका : राजस्थान हाईकोर्ट का रिपोर्ट अवलोकन के लिए पेश करने के निर्देश...25 नवम्बर को होगी सुनवाई

सीजे अकील कुरैशी और जस्टिस रेखा बोराणा की खंडपीठ ने यह आदेश परमेश्वर पिलानिया की जनहित याचिका का निस्तारण करते हुए दिए. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि याचिका में जो चुनौती दी गई अधिसूचना वकीलों, पक्षकारों और नियमित रूप से आने वाले कोर्ट स्टाफ की सुरक्षा से जुड़ी हुई है. ऐसे में इस तरह की शर्त को अव्यवहारिक नहीं कहा जा सकता.

हाईकोर्ट में प्रवेश पर रोक जनहित में

जनहित याचिका में कहा गया कि हाईकोर्ट प्रशासन ने गत एक जुलाई को नोटिफिकेशन जारी कर कोरोना वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाने वालों का प्रवेश हाईकोर्ट में प्रतिबंधित कर दिया था. जिसे चुनौती देते हुए कहा गया कि अदालत को मामले में स्व प्रेरणा से प्रसंज्ञान लेकर दिशा-निर्देश जारी किए जाने चाहिए.

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