जयपुर. राजस्थान हाई कोर्ट ने विधानसभा में पास हो चुके राजस्थान मंत्री वेतन संसोधन विधेयक 2017 को अवैध घोषित कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट के बाद अब राजस्थान हाईकोर्ट ने भी पूर्व मुख्यमंत्रीयों को आजीवन मिलने वाली सुविधा (जिनमें सरकारी बंगला भी शामिल है) पर लोक लगा दी है.
इस फैसले के बाद राजस्थान में भी दो पूर्व मुख्यमंत्री प्रभावित होंगे. इससे कांग्रेस के जगन्नाथ पहाड़िया और भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की प्रभावित होंगी. वसुंधरा राजे के मुख्यमंत्री रहते हुए ही यह बिल विधानसभा में पास हुआ था. पूर्व विधायक घनश्याम तिवाड़ी ने इस बिल का सदन और सड़क दोनों पर विरोध किया था. इसके विरोध के चलते उन्होंने गिरफ्तारी तक दी थी.
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फैसला आने के बाद तिवाड़ी ने खुशी जताते हुए कहा कि उस समय भी उन्होंने कहा था कि यह बिल अगर प्रदेश में लागू होगा तो जागीरदार प्रथा की फिर से स्थापना होगी. लेकिन उस समय सरकार नहीं मानी. उन्होंने कहा कि मेरे विरोध के अनुसार ही हाई कोर्ट पर याचिका लगी और जो निर्णय हुआ है, वो स्वागत योग्य है. इस बिल को असंवैधानिक माना गया है.
घनश्याम तिवाड़ी ने खुशी जताते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का नंबर-13 का बंगला 2000 करोड़ की राज्य की संपत्ति है. इसे षड्यंत्रपूर्वक कब्जा करने के लिए इसका नाम अनंत विजय रखा गया. हाईकोर्ट ने राजे की इस संपत्ति को बचाने के लिए यह बिल असंवैधानिक घोषित किया है. इसके लिए कोर्ट को धन्यवाद दिया जाना चाहिए.
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इतना ही नहीं, घनशाम तिवाड़ी ने कहा कि राजस्थान सरकार हाईकोर्ट के आदेश पर तुरंत पालना करवाए और यह भी सार्वजनिक करे कि किस बंगले पर जनता का कितना पैसा लगा है. तिवाड़ी ने कहा कि अब वसुंधरा राजे एक विधायक के नाते इस सरकारी निवास में नहीं रह सकती हैं और अगर अब भी प्रदेश की कांग्रेस सरकार वसुंधरा राजे को आवंटित कर देती है तो ये गलत होगा.