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तीन साल से चिकित्सक को वेतन नहीं देने पर राजस्थान हाईकोर्ट ने मांगा जवाब

मंगलवार को राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा मेडिकल कॉलेज में फरवरी 2018 से वेतन नहीं देने के मामले में कार्मिक सचिव, चिकित्सा सचिव और निदेशक सहित कोटा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.

राजस्थान हाईकोर्ट , Corona cases in Jaipur
तीन साल से चिकित्सक को वेतन नहीं देने पर मांगा जवाब
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Published : Apr 27, 2021, 9:02 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर को फरवरी 2018 से वेतन नहीं देने पर कार्मिक सचिव, चिकित्सा सचिव और निदेशक सहित कोटा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार ने यह आदेश डॉ. राधा कृष्ण मीणा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2013 में मेडिकल ऑफिसर के पद पर नियुक्त हुआ था. वहीं वर्ष 2018 में एक आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद उसे विभाग ने निलंबित कर दिया. इस दौरान याचिकाकर्ता का उच्च शिक्षा के लिए चयन होने पर विभाग ने सेवारत वर्ग में कोटा मेडिकल कॉलेज में अध्ययन की अनुमति दे दी. इसके बाद से याचिकाकर्ता कोटा मेडिकल कॉलेज में रेजीडेंट डॉक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा है.

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याचिका में कहा गया कि अक्टूबर 2018 में विभाग उसके निलंबन को समाप्त कर बहाली के आदेश दे चुका है और आपराधिक प्रकरण में भी वह बरी हो चुका है. तीन साल से नियमित सेवाएं देने के बावजूद भी विभाग उसे वेतन-भत्ते नहीं दे रहा है. इसके अलावा वेतन-भत्ते रोकने का कोई कारण भी नहीं बताया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा मेडिकल कॉलेज में तैनात डॉक्टर को फरवरी 2018 से वेतन नहीं देने पर कार्मिक सचिव, चिकित्सा सचिव और निदेशक सहित कोटा मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. न्यायाधीश गोवर्धन बाढ़दार ने यह आदेश डॉ. राधा कृष्ण मीणा की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता मोहित खंडेलवाल ने बताया कि याचिकाकर्ता वर्ष 2013 में मेडिकल ऑफिसर के पद पर नियुक्त हुआ था. वहीं वर्ष 2018 में एक आपराधिक प्रकरण दर्ज होने के बाद उसे विभाग ने निलंबित कर दिया. इस दौरान याचिकाकर्ता का उच्च शिक्षा के लिए चयन होने पर विभाग ने सेवारत वर्ग में कोटा मेडिकल कॉलेज में अध्ययन की अनुमति दे दी. इसके बाद से याचिकाकर्ता कोटा मेडिकल कॉलेज में रेजीडेंट डॉक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रहा है.

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याचिका में कहा गया कि अक्टूबर 2018 में विभाग उसके निलंबन को समाप्त कर बहाली के आदेश दे चुका है और आपराधिक प्रकरण में भी वह बरी हो चुका है. तीन साल से नियमित सेवाएं देने के बावजूद भी विभाग उसे वेतन-भत्ते नहीं दे रहा है. इसके अलावा वेतन-भत्ते रोकने का कोई कारण भी नहीं बताया गया. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है.

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