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एसटी महिला के तलाकनामा को क्यों नहीं दी भर्ती में तवज्जोः हाई कोर्ट

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Published : Apr 3, 2021, 8:26 PM IST

राजस्थान हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती- 2018 में एसटी महिला के लिखित तलाकनामा को तवज्जों नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और आरपीएससी सचिव से जवाब मांगा है. इसके साथ ही एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश बीना कुमारी की याचिका पर दिए.

राजस्थान हाई कोर्ट, Rajasthan High Court
राजस्थान हाई कोर्ट

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती- 2018 में एसटी महिला के लिखित तलाकनामा को तवज्जों नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और आरपीएससी सचिव से जवाब मांगा है. इसके साथ ही एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश बीना कुमारी की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती- 2018 में तलाकशुदा कोटे में आवेदन किया था. याचिकाकर्ता एसटी जाति से होने के चलते उस पर हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं. ऐसे में उसने अपने समाज के रीति-रिवाज के अनुसार लिखित में तलाकनामा कर लिया.

यह भी पढ़ेंः निंबाहेड़ा में बैंक लूट की बड़ी वारदात: बदमाशों ने बंदूक की नोक पर 40 लाख रुपये लूटे, जिलेभर में नाकाबंदी

वहीं, वर्ष 2019 में सिविल कोर्ट से तलाक की डिक्री भी जारी हो गई, इसके बावजूद भर्ती में उसके लिखित तलाकनामा को तवज्जों नहीं दी जा रही और कोर्ट की डिक्री को आवेदन के बाद की बताकर तलाकशुदा कोटे का लाभ नहीं दिया जा रहा, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती- 2018 में एसटी महिला के लिखित तलाकनामा को तवज्जों नहीं देने पर प्रमुख शिक्षा सचिव, माध्यमिक शिक्षा निदेशक और आरपीएससी सचिव से जवाब मांगा है. इसके साथ ही एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है. न्यायाधीश अशोक गौड़ ने यह आदेश बीना कुमारी की याचिका पर दिए.

याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता ने वरिष्ठ अध्यापक भर्ती- 2018 में तलाकशुदा कोटे में आवेदन किया था. याचिकाकर्ता एसटी जाति से होने के चलते उस पर हिंदू विवाह अधिनियम के प्रावधान लागू नहीं होते हैं. ऐसे में उसने अपने समाज के रीति-रिवाज के अनुसार लिखित में तलाकनामा कर लिया.

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वहीं, वर्ष 2019 में सिविल कोर्ट से तलाक की डिक्री भी जारी हो गई, इसके बावजूद भर्ती में उसके लिखित तलाकनामा को तवज्जों नहीं दी जा रही और कोर्ट की डिक्री को आवेदन के बाद की बताकर तलाकशुदा कोटे का लाभ नहीं दिया जा रहा, जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए एक पद याचिकाकर्ता के लिए रिक्त रखने को कहा है.

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