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Rajasthan High Court: हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने का तथ्य छिपाकर ली गई जमानत रद्द...जानिए पूरा मामला - Rajasthan High Court angry on bail by hiding facts

राजस्थान हाईकोर्ट ने गंभीर रूप से मारपीट करने से जुड़े मामले में हाईकोर्ट की ओर से पूर्व में दो बार जमानत याचिका खारिज करने का तथ्य छिपाकर आरोपियों की ओर से निचली अदालत से जमानत लेने पर नाराजगी जताई (Rajasthan High Court angry on bail by hiding facts) है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी प्रेमचंद और कपिल को अभिरक्षा में लेने के आदेश दिए हैं.

Rajasthan High Court
हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने का तथ्य छिपाकर ली गई जमानत रद्द...जानिए पूरा मामला
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Published : Apr 28, 2022, 7:18 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गंभीर रूप से मारपीट करने से जुड़े मामले में हाईकोर्ट की ओर से पूर्व में दो बार जमानत याचिका खारिज करने का तथ्य छिपाकर आरोपियों की ओर से निचली अदालत से जमानत लेने पर नाराजगी जताई (Rajasthan High Court angry on bail by hiding facts) है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी प्रेमचंद और कपिल को अभिरक्षा में लेने के आदेश दिए हैं. जस्टिस पंकज भंडारी ने यह आदेश प्रकरण के परिवादी अनिल कुमार की बेल कैंसिलेशन याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि अजमेर के ब्यावर थाने में दर्ज इस मामले में हाईकोर्ट ने 29 जुलाई, 2020 को आरोपियों की जमानत याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि घायलों के बयान होने पर नए सिरे से जमानत याचिका पेश करें. इसके बाद हाईकोर्ट ने 1 दिसंबर, 2020 को आरोपियों की द्वितीय जमानत याचिका भी खारिज कर दी. याचिका में कहा गया कि दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट के जमानत याचिका खारिज करने के तथ्य को छिपाकर एडीजे कोर्ट में जमानत अर्जी पेश कर दी. इसके चलते एडीजे कोर्ट ने भी दोनों आरोपियों को 15 मार्च, 2021 को आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए.

पढ़ें: साक्ष्य छिपाकर सरकार से दोहरा लाभ लेने के लिए याचिका दायर करना धोखाधड़ी- हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा कि ऐसे में दोनों आरोपियों को दी गई जमानत को खारिज किया जाए. वहीं सरकारी वकील शेर सिंह महला ने निचली अदालत का रिकॉर्ड पेश किया जिसमें सामने आया कि आरोपियों ने अपनी जमानत अर्जी में हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने की जानकारी नहीं दी थी. दूसरी ओर आरोपियों के वकील ने कहा कि निचली अदालत में ऑनलाइन सुनवाई हुई थी. ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी पेश नहीं हो सकी. आरोपियों के इस तथ्य को अदालत ने मानने से इनकार करते हुए निचली अदालत की ओर से दी गई जमानत को खारिज कर उन्हें अभिरक्षा में लेने को कहा है.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने गंभीर रूप से मारपीट करने से जुड़े मामले में हाईकोर्ट की ओर से पूर्व में दो बार जमानत याचिका खारिज करने का तथ्य छिपाकर आरोपियों की ओर से निचली अदालत से जमानत लेने पर नाराजगी जताई (Rajasthan High Court angry on bail by hiding facts) है. इसके साथ ही अदालत ने आरोपी प्रेमचंद और कपिल को अभिरक्षा में लेने के आदेश दिए हैं. जस्टिस पंकज भंडारी ने यह आदेश प्रकरण के परिवादी अनिल कुमार की बेल कैंसिलेशन याचिका पर दिए.

याचिका में कहा गया कि अजमेर के ब्यावर थाने में दर्ज इस मामले में हाईकोर्ट ने 29 जुलाई, 2020 को आरोपियों की जमानत याचिकाओं को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि घायलों के बयान होने पर नए सिरे से जमानत याचिका पेश करें. इसके बाद हाईकोर्ट ने 1 दिसंबर, 2020 को आरोपियों की द्वितीय जमानत याचिका भी खारिज कर दी. याचिका में कहा गया कि दोनों आरोपियों ने हाईकोर्ट के जमानत याचिका खारिज करने के तथ्य को छिपाकर एडीजे कोर्ट में जमानत अर्जी पेश कर दी. इसके चलते एडीजे कोर्ट ने भी दोनों आरोपियों को 15 मार्च, 2021 को आरोपियों को जमानत पर रिहा करने के आदेश दे दिए.

पढ़ें: साक्ष्य छिपाकर सरकार से दोहरा लाभ लेने के लिए याचिका दायर करना धोखाधड़ी- हाईकोर्ट

कोर्ट ने कहा कि ऐसे में दोनों आरोपियों को दी गई जमानत को खारिज किया जाए. वहीं सरकारी वकील शेर सिंह महला ने निचली अदालत का रिकॉर्ड पेश किया जिसमें सामने आया कि आरोपियों ने अपनी जमानत अर्जी में हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने की जानकारी नहीं दी थी. दूसरी ओर आरोपियों के वकील ने कहा कि निचली अदालत में ऑनलाइन सुनवाई हुई थी. ऐसे में हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी पेश नहीं हो सकी. आरोपियों के इस तथ्य को अदालत ने मानने से इनकार करते हुए निचली अदालत की ओर से दी गई जमानत को खारिज कर उन्हें अभिरक्षा में लेने को कहा है.

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