जयपुर. अपील में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसके तहत निचली अदालत ने एक दर्जन से अधिक पुलिसकर्मियों को दोषमुक्त कर दिया था. मामले के अनुसार अजमेर रोड पर 23 अक्टूबर 2006 को एसओजी ने दारा सिंह का एनकाउंटर किया था.
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घटना को लेकर दारा की विधवा सुशीला देवी ने फर्जी एनकाउंटर का मामला दर्ज कराया था. वहीं, अप्रैल 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले की जांच सीबीआई को सौंपी थी. सीबीआई ने राजेन्द्र राठौड़, एडीजी एके जैन और ए. पोन्नूचामी सहित कुल 17 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था. वहीं, डीजे कोर्ट ने 31 मई 2012 को राजेन्द्र राठौड़ को मामले से डिस्चार्ज कर दिया था. जबकि हाईकोर्ट ने एके जैन को 13 फरवरी 2015 को डिस्चार्ज किया था.
वहीं अदालत ने 13 मार्च 2018 को पुलिसकर्मी पोन्नूचामी, अरशद अली, निसार खां, नरेश शर्मा, सत्यनारायण गोदारा, बद्रीप्रसाद, जगराम, जुल्फीकार सहित अन्य सभी को बरी कर दिया था. आरोपियों को बरी करने के आधार पर ही सुप्रीम कोर्ट ने राजेन्द्र राठौड़ की याचिका का निस्तारण कर दिया था. मामले में दारा सिंह की विधवा सुशीला देवी और भाई सहित अन्य कई गवाह पक्ष द्रोही हो गए थे.