जयपुर. कोरोना संकट के दौर में ब्लैक फंगस (म्यूकोरमायकोसिस) बीमारी राजस्थान में जानलेवा साबित हो रही है. ऐसे में राजस्थान सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी और नोटिफाइएबल बीमारी घोषित कर दिया है.
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोड़ा ने बताया कि म्यूकोरमायकोसिस (ब्लैक फंगस) मरीजों की संख्या में निरंतर वृद्धि हो रही है. यह बीमारी कोरोना के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आ रही है. ब्लैक फंगस और कोविड का एकीकृत और समन्वित रूप से उपचार किए जाने की जरूरत होती है. इसके चलते पूर्व में घोषित महामारी कोविड-19 के अंतर्गत ही राजस्थान महामारी अधिनियम के तहत ब्लैक फंगस को संपूर्ण राज्य में महामारी और नोटिफाइएबल बीमारी घोषित कर दिया गया है.
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कोरोना संक्रमित मरीजों में ब्लैक फंगस के कई मामले बीते दिनों में सामने आए हैं. यह बीमारी जानलेवा साबित हो रही है, जबकि कई मामलों में मरीज के शरीर के अंगों को गंभीर नुकसान की जानकारी भी सामने आई है.
राजस्थान में जयपुर, जोधपुर, कोटा और उदयपुर जैसे बड़े शहरों के साथ ही सीकर, पाली, बाड़मेर, बीकानेर सहित अन्य जिलों में भी ब्लैक फंगस तेजी से फैल रहा है. जानकर बताते हैं कि राजस्थान में ब्लैक फंगस के करीब 400 मामले हैं. अकेले जयपुर के एसएमएस हाॅस्पिटल में 45 से अधिक मरीज भर्ती हैं. अस्पताल में 33 बेड का वार्ड फुल होने के बाद अलग से नया वार्ड बनाया गया है. जबकि, जयपुर के निजी अस्पतालों में अब तक इस बीमारी के 70 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं.
इधर, जोधपुर एम्स और मेडिकल कॉलेज के अस्पतालों में 100 से अधिक मामले और बीकानेर में भी 30 से ज्यादा मामले आ चुके हैं. हालांकि, सरकारी आंकड़ों में ऐसे 100 ही मामले दर्ज हैं. इसके पीछे कारण है कि अब तक इस बीमारी को नोटिफाइड डिजीज घोषित नहीं किया गया था. इसलिए सरकार के पास इसके सटीक आंकड़े नहीं हैं.
ब्लैक फंगस की दवा की भी किल्लत, इंजेक्शन के लिए भटकते फिर रहे मरीज
ब्लैक फंगस की एकमात्र दवा लाइपोसोमल एम्फोटेरिसिन-बी नाम का इंजेक्शन है. जिसकी अभी बाजार में भयंकर किल्लत है. इस बीमारी से ग्रसित मरीजों के परिजन इस इंजेक्शन के लिए भटकने को मजबूर हैं. हालांकि, राज्य सरकार का दावा है कि इस इंजेक्शन की खरीद के लिए दवा कंपनियों को ऑर्डर जारी किया गया है और केंद्र सरकार से भी प्रदेश के लिए इस दवा का कोटा बढ़ाने की मांग की गई है.
अचानक बढ़ जाता है ब्लड शुगर का स्तर, नसों में जम जाता है फंगस
मरीजों को कोरोना संक्रमण के प्रभाव को कम करने के लिए स्टेरॉयड दिया जाता है. इससे मरीज की इम्यूनिटी कम हो जाती है और ब्लड शुगर का लेवल अचानक बढ़ने लग जाता है. इसका साइड इफेक्ट म्यूकोरमाइकोसिस के रूप में झेलना पड़ रहा है. प्रारंभिक तौर पर नाक की परत अंदर से सूखने लगती है व सुन्न हो जाती है. चेहरे व तलवे की त्वचा सुन्न हो जाती है और चेहरे पर सूजन आती है. इसके बाद दांत ढीले पड़ते हैं. आंख की नसों के पास फंगस जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटाइनल आर्टरी का ब्लड फ्लो ब्लॉक देता है. इससे अधिकांश मरीजों में आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है. इसके अलावा कई मरीजों के जबड़े खराब होने के मामले भी सामने आ चुके हैं.