जयपुर. राजस्थान की गहलोत सरकार ने संविदा पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए नियम जारी कर दिए है. लेकिन संविदाकर्मियों की लंबे समय से नियमित करने की मांग (Contract Employees Will Not Be Regular In Rajasthan) को मौजूदा नियमों में नहीं माना गया है.
नियमों के मुताबिक सरकार जब चाहे संविदा पर काम कर रहे कर्मचारी को निकाल सकेगी. संविदा कर्मी को नौकरी पर नहीं रखने पर दो महीने का वेतन देगी. राज्य के संविदाकर्मी सरकारी कर्मचारियों की तरह नियमित नहीं होंगे. कार्मिक विभाग के आदेश के अनुसार गहलोत सरकार ने संविदाकर्मियों की नियमित करने की मांगें नहीं मानी है. इससे प्रदेश में काम करने वाले 80 हजार से ज्यादा संविदा कर्मचारियों को बड़ा झटका लगा है.
संविदा कर्मियों को मिलेगा आरक्षण का लाभ
कार्मिक विभाग के आदेशानुसार एसी, एसटी, ओबीसी, अति पिछड़ा वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के पुरुष अभ्यर्थियों को आयु सीमा में 5 वर्ष की छूट देने का प्रावधान किया गया है. सामान्य वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के मामले में 5 वर्ष और एससी, एसटी, ओबीसी, अति पिछड़ा वर्गों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिला अभ्यर्थियों के मामले में 10 वर्ष की शिथिलता रहेगी.
दो से अधिक संतान वाला नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा
आदेश के अनुसार कोई भी व्यक्ति जिसकी 1 जून 2002 के बाद दो से अधिक संतान हो, इन नियमों के अधीन नियुक्ति के लिए पात्र नहीं होगा. परंतु दो से ज्यादा संतानों वाला अभ्यर्थी तब तक नियुक्ति के लिए निर्हित नहीं समझा जाएगा. जब तक उसकी संतानों की उस संख्या में, जो एक जून 2002 को है, बढ़ोतरी नहीं होती है. किसी भी अभ्यर्थी की संतानों की कुल गणना करते समय ऐसी संतानों को नहीं गिना जाएगा जो पूर्व के प्रसव से पैदा हुई हों और निशक्तता से ग्रसित हो.
यह है नए नियम
सरकार जब चाहे संविदा पर काम कर रहे कर्मचारी को निकाल सकेगी
संविदा कर्मी को नौकरी पर नहीं रखने पर दो महीने का वेतन देगी
संविदाकर्मियों की नियमित नहीं किया जाएगा
संविदा कर्मियों को कोई तदर्थ बोनस नहीं दिया जाएगा
यह दिए गए लाभ
पीएएफ जमा करने और छुट्टियों की सुविधाएं मिलेंगी
सरकार कार्य के निर्धारण के आधार पर अगले वर्ष संविदा रखेगी
महिला संविदा कर्मी को 180 दिन का मातृत्व अवकाश मिलेगा
गौरतलब है कि 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश कांग्रेस ने संविदा कर्मियों को नियमित करने का वादा किया था. इसको लेकर मंत्री बीड़ी कल्ला की अध्यक्षता में कमेटी भी बनी, दो साल से ज्यादा के वक्त में कमेटी ने 7 - 8 बैठक करके अपने सुझाव सरकार को दिए. कमेटी के सुझाव के बाद अब सरकार ने संविदा कर्मियों के नियम जारी कर दिए. इन नियमों में भी संविदाकर्मियों की लंबे समय से नियमित करने की मांग को नहीं माना गया है.