जयपुर. केंद्र सरकार की ओर से दालों की स्टॉक लिमिट लागू करने के निर्णय के बाद दाल कारोबारी इसके विरोध में उतर गए हैं. राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ का कहना है कि दालों पर स्टॉक लिमिट लागू करने के बाद दालों से जुड़ा व्यापार और दाल मिल पूरी तरह से बंद हो जाएगी. ऐसे में व्यापारी ही नहीं बल्कि किसान भी अपना माल आसानी से नहीं बेच पाएगा.
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ (Rajasthan Foods Trade Association) स्टॉक लिमिट हटाने की मांग कर रहा है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि सरकार अपना फैसला वापस नहीं लेती है तो प्रदेश भर की मंडियों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा. यहां तक कि विरोध में मंडियों में हड़ताल भी की जा सकती है.
राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि देशभर में लाख टन दाल का उत्पादन किया जाता है. ऐसे में यदि सरकार स्टॉक लिमिट लगा देगी तो व्यापारी व्यापार नहीं कर पाएगा. किसान अपना माल नहीं बेच पाएगा. बाबूलाल गुप्ता का कहना है कि व्यापारी दाल मिलों को 6 महीने संचालित करता है. ऐसे में तकरीबन 6 महीने का स्टॉक होना जरूरी है. जिसके बाद ही दालों की आपूर्ति पूरी तरह से हो पाती है. यही नहीं राजस्थान की बात की जाए तो खाद्य पदार्थ से जुड़ा उद्योग तकरीबन 3 लाख से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है. ऐसे में दाल मिल बंद होगी तो रोजगार भी छिन जाएगा.
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- देश में 2 करोड़ 40 लाख टन दालों की होती है खपत
- तकरीबन देश में 2 करोड़ 34 लाख टन दालों का होता है उत्पादन
- राजस्थान में दालों का उत्पादन होता है सर प्लस
- प्रदेश में 25 लाख टन चने का उत्पादन
- 15 लाख टन मूंग का उत्पादन
- 3 लाख 50 हजार टन मोठ का उत्पादन
- 80 हजार टन उड़द की दाल का उत्पादन
- 50 हजार टन चोला की दाल का उत्पादन
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आज लेंगे फैसला
केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद राजस्थान खाद्य पदार्थ व्यापार संघ इसके विरोध में उतर गया है. रविवार को एक वर्चुअल बैठक का आयोजन भी किया जा रहा है. जहां प्रदेश भर के व्यापारी और दाल कारोबारी इस बैठक में शामिल होंगे. माना जा रहा है कि केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद मंडी कारोबारी केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ विरोध में उतरेंगे और माना जा रहा है कि आने वाले कुछ दिनों में मंडियों को बंद भी किया जा सकता है.