जयपुर. भगवान कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेन्टर और एसोसिएशन ऑफ पेलिएटिव केयर की ओर से शुक्रवार को 29 वीं इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस ऑफ जॉफ इंडियन एसोसिएशन ऑफ पेलिएटिव केयर (International Conference on palliative care) की शुरुआत होगी. गंभीर मर्ज से मरने वाले मरीजों को जिंदगी बड़ी लगे और उसे वे जी भर जिएं. इसी उद्देश्य के साथ पेलिएटिव केयर विषय पर पहली बार यह इंटरेशनल कॉन्फ्रेंस (palliative care conference in Jaipur) हो रही है. कॉन्फ्रेंस का आयोजन 11 से 13 फरवरी तक होगा.
इस इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस में भारत, यूके, ऑस्ट्रेलिया, स्वीट्जरलैंड, अमेरिका, यूरोप, अफ्रीका, सऊदी अरब सहित 15 देशों से 600 पेलिएटिव केयर एक्सपर्ट शामिल होगे. कॉन्फ्रेंस के दौरान कैंसर सहित विभिन्न गंभीर बीमारियों में पेलिएटिव केयर से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा की जाएगी.
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इंटरनेशनल विशेषज्ञ लेंगे भागः पेलिएटिव केयर विभागाध्यक्ष डॉ अंजुम खान जोड़ ने बताया कि कॉन्फ्रेंस का आयोजन हाईब्रिड मोड में होगा. गुरुवार को चिकित्सालय परिसर में 9 वर्कशॉप आयोजित की जाएगी. इसमें 6 ऑन लाइन वर्कशॉप शामिल है. मुख्य कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन शुक्रवार आरएएस क्लब में होगा. कॉन्फ्रेंस के सभी सेशन ऑन लाइन होंगे. इसमें 34 सेशन में 40 से अधिक इंटरनेशनल स्पीकर शामिल होंगे. जिसमें डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन, इंटरनेशनल स्पीकर में अमेरिका से डॉ एडुआडों बुएरा, डॉ फेंक डी फेरिस, सिंगापुर से डॉ सिथिया गोह, डॉ चोंग मोह हेंग भी शामिल होंगे.
डॉ अंजुम खान ने कहा कि जयपुर के अलावा हर स्टेट से प्रतिनिधि शामिल होंगे. हमारा उद्देश्य है कि नर्सिंग स्टाफ, एनजीओ, सोशल वर्कर, स्टूडेंट और वॉलिंटियर बीमार लोगो की सेवा करें. उन्होंने कहा कि कोविड के कारण यह कांफ्रेंस ऑनलाइन हो रही है और इसकी पहुंच अधिक से अधिक लोगों तक होगी.
मरने वाले मरीजों को जिंदगी लगे बड़ीः डॉ अंजुम खान ने कहा कि कुछ मर्ज ऐसे होते हैं जिनका इलाज संभव नहीं हो पाता. पैलिएटिव के जरिए हमारी कोशिश रहती है कि मरीज और उसकी फैमिली को कम समय में अधिक जिंदगी जीने का मौका मिले. मरीजों को उनकी जिंदगी बड़ी लगे. जैसे आनंद फिल्म में राजेश खन्ना ने कहा था कि 'हर पल यहां जी भर जियो' यही उद्देश्य पेलिएटिव का रहता है. इसके जरिए मरीजों को मेडिकल हेल्प भी प्रोवाइड कराई जाती है.
सिर्फ चार प्रतिशत लोगों को मिल रही सुविधाः कैंसर, एडस, ऑर्गन फेल्यर जैसी गंभीर बीमारियों में रोगी के दर्द और तकलीफ को कम करने के लिए दी जाने वाली पेलिएटिव केयर देश में लगातार बढ़ती जा रही है. देश में करीब 60 लाख रोगियों को पेलिएटिव केयर की जरूरत पड़ती है. लेकिन पेलिएटिव केयर की सुविधा की कमी के चलते महज चार प्रतिशत लोग ही इस सुविधा का लाभ उठा पा रहे हैं. डॉ अंजुम का कहना है कि पेलिएटिव केयर प्रदान करना महंगा या खर्चिला नहीं है. प्रशिक्षण के जरिए घर पर भी पेलिएटिव केयर चिकित्सा दी जा सकती है. हर जरूरतमंद को पेलिएटिव केयर मिले इसके लिए जरूरी है कि एनजीओ, समाज सेवी संगठन और आमजन भी इसके लिए आगे आएं.
राज्य के डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टॉफ को दी ट्रेनिंगः बीएमसीएचआरसी के अधिशासी निदेशक मेजर जनरल एस सी पारीक ने बताया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की ओर से राजस्थान प्रदेश के विभिन्न जिलों के डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टॉफ को पेलिएटिव केयर सपोर्ट प्रोग्राम की ट्रेनिंग दी जा चुकी है. बीमएसीएचआरसी के पेलिएटिव केयर विभाग की ओर से राज्य के सभी जिलों के 400 से अधिक डॉक्टर्स और नर्सिंग स्टॉफ को पेलिएटिव केयर का प्रशिक्षण दिया जा चुका है.