जयपुर. राजस्थान की धरती अपने शौर्य, साहस, कुर्बानी, त्याग, बलिदान और वीरता के लिए पूरे विश्व में विख्यात है. इन्हीं सब का बखान करता है राजस्थान स्थापना दिवस. हर साल 30 मार्च को ये गौरव का दिन बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है.
फिजाओं में पधारो म्हारे देश की धुन घुल सी जाती है, लेकिन इस बार राजस्थान पधारो म्हारे देश की अपनी अतुलनीय परंपरा का निर्वहन नहीं कर पा रहा. संकट ऐसा आन पड़ा है कि पूरा देश जहां है वहीं ठहर सा गया है. यही नहीं विदेशी अतिथि भी अपने-अपने देश में ही कैद है.
चूंकि राजस्थान की विरासत यहां के किले, इमारतें, सभ्यता और संस्कृति हैं. जिन्होंने पहले ही अपनी अमिट छाप विश्व पटल पर छोड़ रखी है. ऐसे में इस बार सबसे जरूरी है कोरोना महामारी से लड़ना. बता दें कि ये लड़ाई लॉक डाउन का पालन कर घरों में रहने से ही जीती जा सकती है.
राजस्थान वीरों की धरती है, लेकिन इस बार घर में रहना ही वीरता है और यही वीरता सही मायने में राजस्थान की धरोहर है. इस संबंध में प्रदेश के सरकारी मुख्य सचेतक महेश जोशी ने कहा कि राजस्थान दिवस मनाने का आज सही तरीका यही है कि जो सरकार के निर्देश हैं, उनकी पालना करें. जो सरकारी प्रयास है, उसमें सहयोग करें.
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गौरतलब है कि हर साल पूरे प्रदेश में राजस्थान दिवस उत्साह के साथ मनाया जाता है. पधारो म्हारे देश की संस्कृति के साथ टूरिस्ट की भी आओ भगत होती है, लेकिन इस बार देश ही नहीं पूरा विश्व एक संकट के दौर से गुजर रहा है. इस मुश्किल दौर में राजस्थान दिवस का सबसे बड़ा सेलिब्रेशन यही है, कि लोग घरों से बाहर ना निकले और प्रदेश और देशवासियों को बचाने में अहम भूमिका निभाएं.