जयपुर. राज्य उपभोक्ता आयोग ने ऑपरेशन में लापरवाही के चलते मरीज का पैर काटने और उसके 14 ऑपरेशन करने को गंभीर मानते हुए नारायण हद्यालय अस्पताल पर 30 लाख रुपए हर्जाना लगाया हैं. साथ में दो अन्य डॉक्टर अंकित माथुर और अंशु काबरा पर 10-10 लाख का हर्जाना लगाया हैं. आयोग ने हर्जाना राशि पर दिसंबर 2017 से नौ फीसदी ब्याज भी देने को कहा है. आयोग ने यह आदेश कालवाड रोड निवासी रघुवीर सिंह की ओर से दायर परिवाद पर सुनवाई करते हुए दिए.
आयोग ने अपने आदेश में कहा कि परिवादी रिटायर्ड अफसर था और उसकी बाईपास सर्जरी होनी चाहिए थी. इसके बावजूद उसकी सहमति के बिना स्टंट हाथ के जरिए डालने की बजाय पैर के जरिए डाले, जबकि परिवादी के दोनों पैरों में बीमारी थी. इस दौरान परिवादी का हार्ट रैप्चर हो गया और उसके फेफड़ों में खून जम गया.
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क्या था पूरा मामला
परिवाद में कहा गया कि परिवादी इंश्योरेंस कंपनी में रीजनल विजिलेंस अफसर के पद पर कार्यरत था. दांतों के इलाज के दौरान परिवादी की हालत बिगड़ने पर उसकी एंजियोग्राफी की गई. जिसमें उसके तीन ब्लॉकेज आए. इस पर उसने नारायण हृदयालय हॉस्पिटल में 2 अप्रैल 2017 को डॉ. अंशु काबरा को रिपोर्ट दिखाई. डॉक्टर की सलाह पर परिवादी स्टंट लगवाने 3 अप्रैल 2017 को अस्पताल में भर्ती हुआ.
जहां उसका ऑपरेशन किया गया. होश में आने पर उसने सीने में दर्द की शिकायत की. इस पर डॉक्टरों ने उसे फिर से ऑपरेशन थिएटर में ले गए और सीने में छेद कर जमा खून को बाहर निकाला. वहीं शाम को उसके पैर सुन्न होकर काले पड़ने लगे और उसे गैंगरीन हो गया. चिकित्सकों ने परिवादी के हृदय और पैर का दुबारा ऑपरेशन किया. पहले पैर को घुटने तक काटा और बाद में दांए पैर को हिप ज्वाइंट से निकाल दिया. इस तरह इलाज में लापरवाही के चलते परिवादी के 14 ऑपरेशन कर उसे अपंग बना दिया.
इसका ऑपरेशन किया तो पैर में गैंगरीन हो गया जिसके चलते उसका पैर काटना पड़ा. इससे किडनी में भी इफेक्ट आ गया और इस कारण उसके 14 ऑपरेशन करने पडे़ और 42 बोतल खून चढाना पड़ा.