जयपुर. सीएम ने मार्च से लेकर अप्रैल तक के बीच कुछ ऐसे बोल बोले कि सब अवाक हैं. उन्हें करीब से जानने वाले या फिर उनकी राजनीति को समझने वाले लोगों के लिए गहलोत के 3 बयान हैरान परेशान करने वाले हैं. इसलिए भी क्योंकि राजनीति के जादूगर कहे जाने वाले सीएम (Rajasthan CM Ashok Gehlot Remarks) की कही उनके व्यक्तित्व के अनुरूप (Gehlot Remarks that left political analyst surprised) नहीं है. विश्लेषक जो उनकी कही के मायने निकाल लेते थे भी पसोपेश में हैं. 3 बयान जिसमें सचिन पायलट, विधायकों की खरीद फरोख्त और सोनिया गांधी का जिक्र था.
बयान नम्बर 1: तारीख 09 मार्च, 2022. जगह CMR यानी मुख्यमंत्री आवास. इस दौरान उनसे गुर्जर समाज के लोग मिलने पहुंचे. यहीं पर वो गुर्जर नेता सचिन पायलट को लेकर बयान दे बैठे. इस बार जो उन्होंने कहा वो सुर्खियां बन गया. मुख्यमंत्री ने सचिन पायलट (Gehlot On Sachin Pilot) का नाम लिया. ये जताया कि पायलट की जो हैसियत है वो उनकी वजह से है.
क्या बोले थे गहलोत: सीएम ने बताया था कि कैसे गुर्जर समाज से उन्होंने सचिन पायलट को केंद्रीय मंत्री बनाने की सिफारिश की. कहा- केंद्र में हमारी सरकार आई, तब 20 सांसद आए. यही बड़ी बात थी. केंद्र ने तब मुझसे पूछा कि किसको मंत्री बनाया जाए.उसके जवाब में मैंने ब्राह्मण समाज से सीपी जोशी, गुर्जर समाज से सचिन पायलट का नाम दिया था. मीणा समाज से नमो नारायण मीणा का भी नाम दिया था.
बयान नम्बर 2: तारीख 15 अप्रैल, स्थान बांसवाड़ा और कार्यक्रम सेवा दल का था. वैसे तो मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में हुए राजनीतिक उठापटक के बाद लगातार भाजपा पर सरकार गिराने के आरोप लगाते रहे हैं. कई बार पहले भी सीएम ने सार्वजनिक मंच से केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केन्द्रीय मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत और धर्मेन्द्र प्रधान पर होर्स ट्रेडिंग का आरोप लगाया था. लेकिन इस बार इससे 2 कदम आगे बढ़ गए.
यहां क्या बोले गहलोत?: बयान विधायकों की खरीद फरोख्त और कांग्रेस में टूट पैदा करने को लेकर था. उन्होंने ये तक कह दिया कि इससे बेहतर होता- चाहें लॉ एंड ऑर्डर हो या फिर कोई अन्य मुद्दा ,अगर केंद्र सरकार राजस्थान सरकार को बर्खास्त कर देती तो उनकी इतनी बदनामी नहीं होती जितनी विधायकों के साथ तोड़फोड़ करने में हुई.
बयान नम्बर 3: तारीख 23 अप्रैल, 2022. आयोजन राजस्व सेवा परिषद का राज्यस्तरीय सम्मेलन था. ये ऐसा बयान था जो कल्पना से परे था. इस्तीफे की बात वो भी सार्वजिनक मंच से! मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने दो पूरे कार्यकाल और इस आधे कार्यकाल में कभी नहीं कहा था. ये बयान तीन बार के मुख्यमंत्री और वो भी CM अशोक गहलोत का तो कतई नहीं लगा था.
क्या बोले थे गहलोत: अपने इस्तीफे, कांग्रेस के हालात और सीएम की मजबूरियों तक का इसमें जिक्र था. उन्होंने कहा था- इस्तीफा कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के पास पड़ा है और जब मुख्यमंत्री बदलेगा तो किसी को कानों कान खबर भी नहीं होगी. इसके आगे जो बात उन्होंने कही वो तो और भी ज्यादा चौंकाने वाली रही. बोले- नेतृत्व परिवर्तन की जो खबरें चलती है उससे गवर्नेंस चलाने में भी फर्क पड़ता है. इसी बयान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ये तक कह दिया कि कांग्रेस की हालत अभी किसी से छुपी हुई नहीं है और देश की बेहतरी के लिए जरूरी है कि कांग्रेस के हालात सुधरें.
बयान सोच से परे: सीएम गहलोत की राजनीति को लम्बे समय से देखने वाले और उनके कार्यक्रमों को कवर करने वाले जयपुर के वरिष्ठ पत्रकार मनीष गोधा कहते हैं कि सीएम अपने Between The Lines बयान के लिए पहचाने जाते हैं. उनके बयान सपाट नहीं गहरे होते हैं. जिनका मकसद कुछ और ही होता है. गोधा के मुताबिक इन दिनों वो गहराई कहीं खो सी गई लगती है. इसकी वजह भी बताते हैं. कहते हैं- जुलाई 2020 में पार्टी के भीतर और बाहर जो कुछ हुआ शायद ये इसका असर है. गहलोत की राजनीति पर पारखी नजर रखने वाले जानकार (Gehlot Remarks that left political analyst surprised) मानते हैं कि सरकार और पार्टी को चलाना दोहरी जिम्मेदारी है और सीएम शायद दबाव महसूस कर रहे हैं. कम से कम उनके बयानों से ऐसा झलक ही रहा है.