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राजस्थान उप चुनाव: आज थम जाएगा प्रचार-प्रसार का शोर, कई नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर - jaipur news

राजस्थान की दो सीटों मंडावा और खींवसर पर हो रहे उप चुनाव के प्रचार का शोर आज शाम 5 बजे थम जाएगा. वहीं सोमवार यानि 21 अक्टूबर को मतदान होगा.

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Published : Oct 19, 2019, 3:14 PM IST

Updated : Oct 19, 2019, 4:40 PM IST

जयपुर. मंडावा और खींवसर में हो रहे उप चुनाव के प्रचार का शोर आज शाम 5 बजे थम जाएगा. 21 अक्टूबर को वोट पड़ेंगे और 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे. उप चुनाव में जीत के लिए कांग्रेस, भाजपा और रालोपा ने पूरा जोर लगा रखा है. इस चुनाव में पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. इन दलों के बड़े नेताओं ने प्रचार के अंतिम दौर में यहां दौरा किया और मतदाताओं से अपने पक्ष में वोट करने की अपील की.

थम जाएगा प्रचार-प्रसार का शोर

खींवसर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी हरेन्द्र मिर्धा और रालोपा के नारायण बेनीवाल चुनाव मैदान में हैं. दोनों के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. बेनीवाल साल 1998 में नागौर से विधायक बने थे और गहलोत सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री रह चुके हैं. इसके बाद वे अभी तक कोई चुनाव नहीं जीते.

यह भी पढ़ेंः 'हाइब्रिड मेयर' चुनने को लेकर यूडीएच मंत्री ने दिया 'संभावनाओं' का तर्क, विपक्ष ने कहा - काठ की हांडी एक बार ही चढ़ती है

यह चुनाव मिर्धा परिवार के लिए बड़ी चुनौती है. वहीं रालोपा के नारायण राम बेनीवाल नागौर से रालोपा के सांसद हनुमान बेनीवाल के छोटे भाई हैं. हनुमान इस खींवसर सीट से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं. पहला चुनाव वे भाजपा के बैनर पर लड़े थे. इसके बाद भाजपा से मोह भंग हुआ तो साल 2013 में निर्दलीय चुने गए और 2018 में उन्होंने रालोपा बनाई. वहीं लगातार तीसरी बार विधायक बने.

यह भी पढ़ेंः निकाय चुनाव को लेकर बीकानेर में सक्रिय हो गई भाजपा-कांग्रेस

सांसद बन जाने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था. भाजपा ने खींवसर में बेनीवाल के प्रभाव को देखते हुए अपना उम्मीदवार नहीं उतारा और रालोपा को समर्थन दे दिया था. हनुमान बेनीवाल अपने भाई को जिताने के लिए जोरदार प्रचार कर रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः आपणी सरकार: सीकर नगर परिषद के 5 साल, कैसा रहा शहर का हाल...देखिए रिपोर्ट

आपको बताते चलें कि मंडावा सीट पर भी कांग्रेस और भाजपा के बीच रोचक मुकाबला माना जा रहा है. इस सीट पर कांग्रेस से पूर्व विधायक रीटा चौधरी और भाजपा से सुशीला सींगड़ा मैदान में हैं. रीटा चौधरी साल 2008 में विधायक चुनी गईं थीं. वहीं साल 2013 में उनका टिकट काटकर कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष चन्द्रभान को दिया गया था. लेकिन चन्द्रभान की जमानत जब्त हो गई थी. साल 2018 में कांग्रेस ने दोबारा से रीटा चौधरी को टिकट दिया. लेकिन रीटा करीब दो हजार वोटों से भाजपा के नरेन्द्र खींचड़ से मात खा गईं थीं. भाजपा की प्रत्याशी सुशीला सींगड़ा पहले कांग्रेस में रह चुकी हैं. दोनों महिलाओं ने इस सीट की लड़ाई को टक्कर का बनाया हुआ है.

जयपुर. मंडावा और खींवसर में हो रहे उप चुनाव के प्रचार का शोर आज शाम 5 बजे थम जाएगा. 21 अक्टूबर को वोट पड़ेंगे और 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे. उप चुनाव में जीत के लिए कांग्रेस, भाजपा और रालोपा ने पूरा जोर लगा रखा है. इस चुनाव में पार्टियों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. इन दलों के बड़े नेताओं ने प्रचार के अंतिम दौर में यहां दौरा किया और मतदाताओं से अपने पक्ष में वोट करने की अपील की.

थम जाएगा प्रचार-प्रसार का शोर

खींवसर विधानसभा से कांग्रेस प्रत्याशी हरेन्द्र मिर्धा और रालोपा के नारायण बेनीवाल चुनाव मैदान में हैं. दोनों के बीच कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. बेनीवाल साल 1998 में नागौर से विधायक बने थे और गहलोत सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री रह चुके हैं. इसके बाद वे अभी तक कोई चुनाव नहीं जीते.

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यह चुनाव मिर्धा परिवार के लिए बड़ी चुनौती है. वहीं रालोपा के नारायण राम बेनीवाल नागौर से रालोपा के सांसद हनुमान बेनीवाल के छोटे भाई हैं. हनुमान इस खींवसर सीट से लगातार तीन बार विधायक रह चुके हैं. पहला चुनाव वे भाजपा के बैनर पर लड़े थे. इसके बाद भाजपा से मोह भंग हुआ तो साल 2013 में निर्दलीय चुने गए और 2018 में उन्होंने रालोपा बनाई. वहीं लगातार तीसरी बार विधायक बने.

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सांसद बन जाने के बाद उन्होंने इस सीट से इस्तीफा दे दिया था. भाजपा ने खींवसर में बेनीवाल के प्रभाव को देखते हुए अपना उम्मीदवार नहीं उतारा और रालोपा को समर्थन दे दिया था. हनुमान बेनीवाल अपने भाई को जिताने के लिए जोरदार प्रचार कर रहे हैं.

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आपको बताते चलें कि मंडावा सीट पर भी कांग्रेस और भाजपा के बीच रोचक मुकाबला माना जा रहा है. इस सीट पर कांग्रेस से पूर्व विधायक रीटा चौधरी और भाजपा से सुशीला सींगड़ा मैदान में हैं. रीटा चौधरी साल 2008 में विधायक चुनी गईं थीं. वहीं साल 2013 में उनका टिकट काटकर कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष चन्द्रभान को दिया गया था. लेकिन चन्द्रभान की जमानत जब्त हो गई थी. साल 2018 में कांग्रेस ने दोबारा से रीटा चौधरी को टिकट दिया. लेकिन रीटा करीब दो हजार वोटों से भाजपा के नरेन्द्र खींचड़ से मात खा गईं थीं. भाजपा की प्रत्याशी सुशीला सींगड़ा पहले कांग्रेस में रह चुकी हैं. दोनों महिलाओं ने इस सीट की लड़ाई को टक्कर का बनाया हुआ है.

Last Updated : Oct 19, 2019, 4:40 PM IST
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