जयपुर. राजस्थान सरकार की ओर से 24 फरवरी को बजट पेश किया जाएगा, जिसे लेकर पुलिसकर्मियों को भी काफी उम्मीद है. प्रदेश में पुलिसकर्मी काफी लंबे समय से ग्रेड पे बढ़ाने, साप्ताहिक अवकाश देने, हार्ड ड्यूटी एलाउंस बढ़ाने आदि की मांग कर रहे हैं. ऐसे में उन्हें सरकार की ओर से बजट में राहत मिलने की उम्मीद है.
राजस्थान पुलिस के जवानों की ओर से विभिन्न माध्यमों से सरकार तक उनकी मांग पहुंचाने का प्रयास किया गया है. अब जब 24 फरवरी को सरकार की ओर से बजट पेश किया जाना है तो तमाम पुलिसकर्मियों की निगाहें सरकार की ओर से की जाने वाली घोषणाओं पर टिकी हुई है.
राजस्थान सरकार के बजट से पुलिसकर्मियों को क्या उम्मीदें हैं और इसके साथ ही ऐसी क्या समस्या है जिन पर सरकार को ध्यान देना चाहिए इसे लेकर पूर्व पुलिस अधिकारियों की राय जानी गई. ग्रेड पे बढ़ाने, साप्ताहिक अवकाश देने, हार्ड ड्यूटी एलाउंस बढ़ाने और ड्यूटी के घंटे निर्धारित करने के अलावा भी ऐसी अनेक समस्याएं हैं, जिस पर सरकार को अमल करते हुए बजट में राहत प्रदान करनी चाहिए. पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह और योगेंद्र जोशी से राजस्थान सरकार के बजट से पुलिस की उम्मीद को लेकर राय जानी गई है.
जाप्ते की कमी को दूर करने के लिए पुलिस भर्ती आयोग का गठन
पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि राजस्थान में प्रत्येक थाने पर जाप्ते की कमी है. इस समस्या को दूर करने के लिए राजस्थान सरकार को बजट में पुलिस भर्ती आयोग का गठन करने की घोषणा करनी चाहिए. पुलिस भर्ती आयोग का गठन होने से राजस्थान में लगातार पुलिस की भर्तियां चलती रहेंगी और इसके साथ ही पुलिसकर्मियों के ट्रांसफर, पोस्टिंग और प्रमोशन को लेकर भी काम होता रहेगा. इससे जाप्ते की कमी से जूझ रहे पुलिस थानों की समस्या का समाधान हो सकेगा.
साप्ताहिक अवकाश, हार्ड ड्यूटी एलाउंस और ग्रेड पे बढ़ाने पर विचार
पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि राजस्थान पुलिस में जो पुलिसकर्मी कार्यालय में कार्यरत हैं, उन्हें शनिवार और रविवार का अवकाश प्राप्त होता है. इसके साथ ही त्योहारों पर भी उन्हें अवकाश मिल जाता है, लेकिन वहीं जो पुलिसकर्मी फील्ड में तैनात हैं उन्हें किसी भी तरह का साप्ताहिक अवकाश नहीं मिलता है. फील्ड में तैनात पुलिसकर्मियों को 16 घंटे से भी अधिक समय तक काम करना पड़ता है.
कार्यालय में काम करने वाले पुलिसकर्मियों को 8.33 फीसदी हार्ड ड्यूटी एलाउंस दिया जाता है और फील्ड में काम करने वाले पुलिसकर्मियों को भी इतना ही हार्ड ड्यूटी एलाउंस दिया जाता है. ऐसे में सरकार को बजट में फील्ड में तैनात पुलिसकर्मियों के हार्ड ड्यूटी एलाउंस में 50 फीसदी की बढ़ोतरी करते हुए 16.66 फीसदी हार्ड ड्यूटी एलाउंस देने की घोषणा करनी चाहिए ताकि पुलिस कर्मियों का उत्साह और मनोबल बना रहे.
इसके साथ ही पुलिसकर्मी अपने परिवार के साथ कुछ वक्त व्यतित कर सकें, इसे ध्यान में रखते हुए साप्ताहिक अवकाश का प्रावधान भी देना चाहिए. पुलिस के जवानों का जो ग्रेड-पे है वह 2800 रुपए का है, जबकि चयनित वेतनमान 3600 रुपए ग्रेड-पे है. चयनित वेतनमान की श्रंखला को रोककर पुलिसकर्मियों को 2800 रुपए ग्रेड-पे दिया जाता है, जिस पर सरकार को अमल करते हुए ग्रेड-पे को 2800 से 3600 रुपए करना चाहिए.
अनुसंधान अधिकारी को मिले लैपटॉप और थानों के प्रिंटर के लिए मिले कार्ट्रेज
पूर्व पुलिस अधिकारी राजेंद्र सिंह का कहना है कि सरकार की ओर से प्रत्येक थाने में कंप्यूटर और लाखों रुपए की कीमत के प्रिंटर लगाए गए हैं. प्रिंटर की कार्ट्रेज 8 हजार रुपए की आती है, जिसके लिए सरकार की ओर से पुलिस को कोई भी अतिरिक्त बजट नहीं दिया जाता है. जिस कंपनी के प्रिंटर थानों में लगे हुए हैं, उनमें यदि कार्ट्रेज खत्म होने पर लोकल कार्ट्रेज लगाई जाती है तो उस प्रिंटर का मेंटेनेंस करने से संबंधित कंपनी मना कर देती है.
ऐसे में लाखों रुपए के प्रिंटर थानों में यूं ही पड़े हुए हैं, जिनका उपयोग तक पुलिसकर्मी नहीं कर पा रहे हैं. ऐसे में सरकार को ध्यान रखते हुए प्रिंटर के कार्ट्रेज के लिए अलग से बजट देना चाहिए. इसके साथ ही प्रत्येक अनुसंधान अधिकारी को लैपटॉप देने के लिए भी सरकार की ओर से बजट में घोषणा करनी चाहिए.
केंद्रीय बजट का सदुपयोग करे राजस्थान सरकार
पूर्व पुलिस अधिकारी योगेंद्र जोशी ने बताया कि प्रतिवर्ष केंद्र सरकार से राजस्थान सरकार को पुलिस आधुनिकरण के लिए करोड़ों रुपए का बजट मिलता है. जितने का बजट मिलता है उतना खर्च नहीं हो पाता, जिसके चलते बजट राशि का काफी बड़ा हिस्सा लैप्स हो जाता है. ऐसे में राजस्थान सरकार को केंद्र सरकार से मिलने वाले बजट का सदुपयोग करते हुए किसी स्थान पर जमीन खरीद कर उस पर फ्लैट बनाने चाहिए और पुलिस में आने वाले जवानों व अधिकारियों को फ्लैट अलॉट करने चाहिए.
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इसके साथ ही पुलिसकर्मियों को दिया जाने वाला किराया भत्ता ना देकर एक निश्चित किराया निर्धारित कर पुलिसकर्मी से वसूल करें. ऐसा करने से कुछ समय बाद उस फ्लैट पर उसमें रहने वाले पुलिसकर्मी का अधिकार हो जाएगा और पुलिस विभाग को भी फ्लैट की मेंटेनेंस, अलॉटमेंट आदि चीजों से छुटकारा मिल सकेगा. पुलिस आधुनिकरण के तहत यह काम करके केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले बजट को लैप्स होने से बचाया जा सकता है और साथ ही बजट का सदुपयोग किया जा सकता है.
सीनियरिटी और रिकॉर्ड को देखकर किया जाए पुलिसकर्मियों का प्रमोशन
पूर्व पुलिस अधिकारी योगेंद्र जोशी का कहना है कि राजस्थान में पुलिसकर्मियों को प्रमोशन कैडर के लिए टेस्ट देना पड़ता है. कांस्टेबल से हेड कांस्टेबल बनने पर, हेड कांस्टेबल से एएसआई बनने पर और एएसआई से एसआई बनने के लिए दौड़ लगानी पड़ती है. इस प्रकार की प्रक्रिया में कई कॉन्स्टेबल, हेड कांस्टेबल और एएसआई की मृत्यु हो जाती है.
40 वर्ष से अधिक उम्र के अधिकारियों और कर्मचारियों को अनेक प्रकार की बीमारियां होती हैं, जिसके चलते इस तरह के हादसे घटित होते हैं. छत्तीसगढ़ राज्य में कैडर प्रमोशन के लिए टेस्ट ना होकर पुलिसकर्मियों की सीनियरिटी और रिकॉर्ड देखा जाता है. उसी तरह की व्यवस्था को राजस्थान में भी सरकार की ओर से लागू किया जाना चाहिए.
थानों में की जाए वाहनों की व्यवस्था
पूर्व पुलिस अधिकारी योगेंद्र जोशी ने कहा कि राजस्थान सरकार की ओर से पहले पुलिसकर्मियों को यात्रा भत्ता दिया जाता था, जिसे अब घटा दिया गया है. वर्तमान में राजस्थान सरकार की ओर से प्रत्येक पुलिसकर्मी से रोडवेज में फ्री यात्रा भत्ता को लेकर 200 रुपए लिए जा रहे हैं और 100 रुपए सरकार की तरफ से दिए जा रहे हैं. जबकि पूर्व में पुलिस कर्मियों की यात्रा का संपूर्ण खर्चा सरकार की ओर से उठाया जाता था.
वर्तमान में सरकार की ओर से जो प्रणाली लागू की गई है उसमें सरकार का यात्रा भत्ता के रूप में दिया जाने वाला काफी रुपया बच रहा है. ऐसे में उस राशि का प्रयोग कर थानों में वाहनों की व्यवस्था सरकार को करनी चाहिए. थानों में वाहनों की कमी के चलते पुलिसकर्मियों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है. ऐसे में सरकार को इस ओर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है.
गाड़ी चलाने वाले कॉन्स्टेबल को किया जाए चालकों में समायोजन
पूर्व पुलिस अधिकारी योगेंद्र जोशी ने बताया कि राजस्थान पुलिस में काफी लंबे समय से वाहनों के चालकों की कमी है और अधिकांश जगह पर कॉन्स्टेबल की ओर से ही पुलिस लाइन में, पुलिस थानों में और अधिकारियों की गाड़ी चलाई जाती है. पिछले 5-10 साल से पुलिस में वाहन चलाने वाले कॉन्स्टेबल काफी ट्रेंड हो चुके हैं और उन्हें चालक भत्ता देने और चालकों में समायोजन करने की बजाए उनके स्थान पर चालकों की नई भर्तियां निकाली जाती है. जिन भर्तियों में सिफारिश से कई लोग भर्ती हो जाते हैं और कई लोगों को वाहन तक सही तरीके से चलाना नहीं आता है.
ऐसे में सरकार को यह व्यवस्था करनी चाहिए कि जो कांस्टेबल काफी लंबे समय से वाहन चला रहे हैं और यदि वह चालक में समायोजित होना चाहते हैं तो उनका समायोजन करना चाहिए. उसके बाद यदि चालकों के पद रिक्त रहते हैं तब उन पदों पर भर्तियां निकालनी चाहिए.