जयपुर. ग्रेटर नगर निगम के महापौर पद से निलंबित सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर के खिलाफ एसीबी ने प्राथमिक जांच शुरू कर दी है. बीवीजी कंपनी से 20 करोड़ रुपये मांगने का वीडियो वायरल होने के बाद ये कार्रवाई की जा रही है. हालांकि बीजेपी वायरल वीडियो को जनता में भ्रम फैलाने की कोशिश बता रही है. वहीं कांग्रेस ने मामले में उच्च स्तरीय जांच की अपील की है.
ग्रेटर नगर निगम में महापौर और पार्षदों को निलंबित करने के बाद अब सोशल मीडिया पर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर का एक वीडियो वायरल हो रहा है. जिसमें राजाराम गुर्जर सप्लीमेंट्री एग्रीमेंट करने और 270 करोड़ रुपये बकाया भुगतान दिलाने के नाम पर 20 करोड़ की डील करते हुए नजर आ रहे हैं.
वीडियो वायरल होने के बाद कांग्रेसी पार्षद और मेयर प्रत्याशी रही दिव्या सिंह ने कहा कि निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर के पति राजाराम गुर्जर का जो वीडियो वायरल हो रहा है, उससे स्पष्ट हो गया है कि 7 महीने के शासन में नगर निगम में चरम पर भ्रष्टाचार किया है. उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि मामले की उच्चस्तरीय जांच कराकर पूरे गिरोह का पर्दाफाश करें. ताकि मामले के तार कहां-कहां जुड़े हुए हैं, ये भी जयपुर की जनता के सामने आए.
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निर्दलीय पार्षद स्वाति परनामी ने कहा कि वायरल वीडियो में कहीं भी राजाराम गुर्जर स्पष्ट नजर नहीं आ रहे. यहां तक की आवाज की भी पुष्टि नहीं है. लेकिन ये सत्य है कि यदि ऐसी कोई डील होने जा रही थी तो निगम के लिए और सभी जनप्रतिनिधियों के लिए बहुत दुखद है. उन्होंने बीजेपी और सौम्या गुर्जर पर तंज कसते हुए कहा कि यदि महिला जनप्रतिनिधि खुद फैसले लेने में सक्षम नहीं है, तो उन्हें इस क्षेत्र में उतरना ही नहीं चाहिए. पार्टी को भी अनुभवी और सक्षम कार्यकर्ता को ही उतारना चाहिए. यदि वाकई इस प्रकार का कोई कृत्य किया है तो वो निंदनीय है.
उधर, बीजेपी का पूरा खेमा इस मामले पर बोलने से बच रहा है. हालांकि ईटीवी भारत ने कुछ वरिष्ठ पार्षदों और चेयरमैनों से बात की. जिसमें वो वायरल वीडियो में राजाराम गुर्जर के होने से इंकार कर रहे हैं और इसे जनता के बीच भ्रम फैलाने की कोशिश का नाम दे रहे हैं. बता दें कि ग्रेटर नगर निगम में बीवीजी कंपनी के भुगतान को लेकर बीते दिनों हुई बैठक में कमिश्नर के साथ भी हाथापाई का मामला सामने आया था. जिसके बाद महापौर और तीन पार्षदों को निलंबित भी किया गया.
वहीं अब 20 अप्रैल को बने वायरल वीडियो में राजाराम गुर्जर बकाया भुगतान होने पर 10 फीसदी यानी कि 20 करोड़ रुपये की डील करते दिख रहे हैं. वीडियो में बकाया भुगतान 6 महीने में पूरा दिलाने की बात करते हुए इसकी एवज में एकमुश्त 10 करोड़ का चेक देने की बात बीवीजी कंपनी के प्रतिनिधि भी कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला
साल 2017 में तत्कालीन महापौर अशोक लाहोटी ने राजधानी में BVG कंपनी के जरिए डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने की योजना की शुरुआत की थी. राजधानी में करीब 527 डोर टू डोर कचरा संग्रहण करने वाली गाड़ियां संचालित हैं. इनमें से BVG की गाड़ियां महज 106 हैं, जबकि 421 गाड़ियां उन वेंडर्स की हैं जिन्हें BVG ने सबलेट किया है, जोकि नियम विरुद्ध है.
BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन ने जो काम सौंपा था, उसमें शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए. 100 फीसदी डोर टू डोर कचरा संग्रहण, कचरे का सेग्रीगेशन, हूपर्स में ट्रैकिंग सिस्टम, वेस्ट ट्रांसफर स्टेशन बनाकर मैकेनाइज सिस्टम से डंपिंग यार्ड तक कचरा पहुंचाने और शहर में ओपन कचरा डिपो हटाने जैसी शर्तों के साथ, BVG कंपनी को नगर निगम प्रशासन की ओर से काम सौंपा गया था, लेकिन इन शर्तों की पालना नहीं हुई. बावजूद इसके BVG कंपनी ने अधूरे काम के 300 करोड़ से ज्यादा के बिल निगम को सौंप दिए.
बता दें, BVG कंपनी देश के 70 से ज्यादा शहरों में काम कर रही है और जिसका सालाना टर्नओवर 2000 करोड़ से ज्यादा का है. कंपनी का दावा है कि निगम पर 302 करोड़ का बकाया है, लेकिन लूप पोल ये है कि 2 वर्षों से कंपनी के काम की थर्ड पार्टी से निगरानी ही नहीं हुई. ऐसे में एक सवाल यह भी उठ रहा है कि जब बिलों का वेरिफिकेशन ही नहीं हुआ है, तो उसका भुगतान कैसे हो रहा है. बताया जा रहा है इसी बिल में से 276 करोड़ रुपए के बकाया भुगतान को लेकर कथित डील हुई जिसके ऑडियो और वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए हैं.