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'लिव इन रिलेशनशिप' पर रोक लगाने को लेकर राज्य मानवाधिकार आयोग द्वारा दिए सुझाव पर भाजपा सहमत

राज्य मानवाधिकार आयोग के लिव इन रिलेशनशिप को लेकर दिया गया आदेश का एक और जहां चर्चा का विषय बन गया है. वहीं भाजपा आयोग के आदेश पर सहमत नजर आ रही है.

live in relationship news, मानवाधिकार आयोग का आदेश
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Published : Sep 5, 2019, 6:47 PM IST

Updated : Sep 5, 2019, 10:14 PM IST

जयपुर. लिव इन रिलेशनशिप पर रोक लगाने जैसे सुझाव को लेकर आए राज्य मानवाधिकार आयोग के एक आदेश को भाजपा ने भी अपना समर्थन दिया. वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा ने साल लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े कानून सुधार होना ही चाहिए.

'महिला आयोग में आये थे लिव इन रिलेशनशिप के पीड़ितों के मामले'
लिव इन रिलेशनशिप को लेकर राज्य मानव अधिकार आयोग ने जो आदेश बुधवार को दिया है उसकी परी कथा कुछ साल पहले ही शुरू हो गई थी. दरअसल पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में राज्य महिला आयोग के समक्ष लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े कई मामले सामने आए थे. कुछ महिलाओं ने अपनी पीड़ा आयोग के समक्ष भी बताई थी. लेकिन 2005 में बने लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े आधे अधूरे कानून में कुछ भी क्लियर नहीं होने के कारण ऐसी महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा था.

पढ़ेंः 'लिव इन रिलेशनशिप' पर राज्य मानवाधिकार आयोग के आदेश पर गहलोत के मंत्री ने कहा- SC के निर्णय का करेंगे अध्ययन

लिहाजा राज्य महिला आयोग ने ऐसे करीब से 37 मामले राजस्थान मानव अधिकार आयोग के समक्ष भिजवा दिए और इन्हीं मामलों को सुनते और समझने के बाद अब आयोग ने अपना फैसला सुनाया है. सुमन शर्मा के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप और भारतीय विवाह अधिनियम में दर्शाए कानून एक दूसरे के पूरक है ऐसी स्थिति में इसमें फेरबदल की बेहद जरूरत है और सरकार को यह करना चाहिए.

पढ़ेंः 'लिव इन रिलेशनशिप' महिलाओं के लिए अपमानजनक, इसे रोकना अत्यंत आवश्यक : राज्य मानव अधिकार आयोग

गौरतलब है कि राज्य मानव अधिकार आयोग ने अपने आदेश में लिव इन रिलेशनशिप पर रोक लगाने का सुझाव सरकार को दिया था और ऐसे रिश्तो से महिलाओं को दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत भी जताई थी.

जयपुर. लिव इन रिलेशनशिप पर रोक लगाने जैसे सुझाव को लेकर आए राज्य मानवाधिकार आयोग के एक आदेश को भाजपा ने भी अपना समर्थन दिया. वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा ने साल लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े कानून सुधार होना ही चाहिए.

'महिला आयोग में आये थे लिव इन रिलेशनशिप के पीड़ितों के मामले'
लिव इन रिलेशनशिप को लेकर राज्य मानव अधिकार आयोग ने जो आदेश बुधवार को दिया है उसकी परी कथा कुछ साल पहले ही शुरू हो गई थी. दरअसल पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में राज्य महिला आयोग के समक्ष लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े कई मामले सामने आए थे. कुछ महिलाओं ने अपनी पीड़ा आयोग के समक्ष भी बताई थी. लेकिन 2005 में बने लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े आधे अधूरे कानून में कुछ भी क्लियर नहीं होने के कारण ऐसी महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा था.

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लिहाजा राज्य महिला आयोग ने ऐसे करीब से 37 मामले राजस्थान मानव अधिकार आयोग के समक्ष भिजवा दिए और इन्हीं मामलों को सुनते और समझने के बाद अब आयोग ने अपना फैसला सुनाया है. सुमन शर्मा के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप और भारतीय विवाह अधिनियम में दर्शाए कानून एक दूसरे के पूरक है ऐसी स्थिति में इसमें फेरबदल की बेहद जरूरत है और सरकार को यह करना चाहिए.

पढ़ेंः 'लिव इन रिलेशनशिप' महिलाओं के लिए अपमानजनक, इसे रोकना अत्यंत आवश्यक : राज्य मानव अधिकार आयोग

गौरतलब है कि राज्य मानव अधिकार आयोग ने अपने आदेश में लिव इन रिलेशनशिप पर रोक लगाने का सुझाव सरकार को दिया था और ऐसे रिश्तो से महिलाओं को दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत भी जताई थी.

Intro:लिव इन रिलेशनशिप को लेकर आए मानव अधिकार आयोग के आदेश पर भाजपा भी सहमत

पूर्व महिला आयोग अध्यक्ष सुमन शर्मा ने कहा लिव इन रिलेशनशिप कानून में सुधार की बेहद आवश्यकता

लिव इन रिलेशनशिप कानून और भारतीय विवाह अधिनियम है एक दूसरे के पूरक-सुमन शर्मा

जयपुर (इंट्रो)
लिव इन रिलेशनशिप पर रोक लगाने जैसे सुझाव को लेकर आए राज्य मानवाधिकार आयोग के एक आदेश को भाजपा ने भी अपना समर्थन दिया। वरिष्ठ भाजपा नेता और राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष सुमन शर्मा ने साल लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े कानून सुधार होना ही चाहिए।

महिला आयोग में आये थे लिव इन रिलेशनशिप के पीड़ितों के मामले तक मानव अधिकार आयोग को भेजा था- सुमन शर्मा


लिव इन रिलेशनशिप को लेकर राज्य मानव अधिकार आयोग ने जो आदेश बुधवार को दिया है उसकी परी कथा कुछ साल पहले ही शुरू हो गई थी दरअसल पिछली वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल में राज्य महिला आयोग के समक्ष लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े कई मामले सामने आए थे और कुछ महिलाओं ने अपनी पीड़ा आयोग के समक्ष भी बताई थी लेकिन 2005 में बने लिव इन रिलेशनशिप से जुड़े आधे अधूरे कानून में कुछ भी क्लियर नहीं होने के कारण ऐसी महिलाओं को न्याय नहीं मिल पा रहा था लिहाजा राज्य महिला आयोग ने ऐसे करीब से 37 मामले राजस्थान मानव अधिकार आयोग के समक्ष भिजवा दिए और इन्हीं मामलों को सुनते और समझने के बाद अब आयोग ने अपना फैसला सुनाया है। सुमन शर्मा के अनुसार लिव इन रिलेशनशिप और भारतीय विवाह अधिनियम में दर्शाए कानून एक दूसरे के पूरक है ऐसी स्थिति में इसमें फेरबदल की बेहद जरूरत है और सरकार को यह करना चाहिए...

बाईट-सुमन शर्मा,पूर्व अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग

गौरतलब है कि राज्य मानव अधिकार आयोग ने अपने आदेश में लिव इन रिलेशनशिप पर रोक लगाने का सुझाव सरकार को दिया था और ऐसे रिश्तो से महिलाओं को दूर रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत भी जताई थी।

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Last Updated : Sep 5, 2019, 10:14 PM IST
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