जयपुर. राजस्थान विधानसभा में शिक्षा कला एवं संस्कृति की अनुदान मांगों पर बहस के दौरान (leader of opposition in rajasthan assembly) नेता प्रतिपक्ष गुलाब सिंह कटारिया ने भी सरकार को शिक्षा में सुधार के लिए अपने सुझाव दिए. इस दौरान कटारिया ने सरकार से पूछा कि इस साल अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति देने में कमी क्यों रही.
कटारिया ने उसके साथ ही प्रदेश में तैयार पड़ी ट्रांसफर पॉलिसी को लागू करने की मांग भी सरकार से रखते हुए कहा कि अगर मेरा और आपका बच्चा है तो वह घर के पास रहेगा, बाकी जहां जो पड़ा है वह पड़ा ही रहेगा. उन्होंने कहा कि ट्रांसफर पॉलिसी बनी हुई है, लेकिन किसी ना किसी दबाव की वजह से वह कागज नीचे दब जाता है. नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि स्थानांतरण पॉलिसी लागू कर अध्यापक का सामान उसे लौटा देना चाहिए, ताकि अध्यापकों को राजनेताओं के सामने भिखमंगों की तरह खड़ा नहीं होना पड़े.
वहींं, उन्होंने विश्वविद्यालयों में खाली पड़े पदों को लेकर (Kataria Big Statement in Rajasthan Vidhan Sabha) कहा कि प्रदेश में प्रोफेसर के पद खाली हैं और पूरे प्रदेश में 157 प्रोफेसर में से 20 फीसदी ही प्रोफेसर काम कर रहे हैं. कटारिया ने जिला शिक्षा अधिकारी की व्यवस्था को लेकर भी सुझाव देते हुए कहा कि जिला शिक्षा अधिकारी शिक्षकों में से ही होने चाहिए, लेकिन 50 फीसदी पद भरे जाएं, प्रमोशन से और 50 फीसदी पदों पर चयन प्रक्रिया अपनाई जाए.
इसके साथ ही कटारिया ने स्कूलों में अध्यापकों द्वारा बच्चियों से दुराचार के मामले में कहा कि किसी अध्यापक के खिलाफ ऐसी गंभीर धाराओं में चालान पेश हो जाता है तो ऐसे अध्यापक को तो तुरंत शिक्षा विभाग से निकाल बाहर करना चाहिए. बाद में केस निर्धारित होने पर जो कोर्ट कहेगा, उस हिसाब से तय हो जाए. लेकिन एक बार तो शिक्षा विभाग को बेदाग रखने के लिए तत्काल कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए.
कटारिया ने बच्चों की हैंडराइटिंग सुधारने और खेलों की ओर ले जाने की आवश्यकता का भी सुझाव तो दिया ही, प्रदेश में दुकानों की तरह खुल रहे विश्वविद्यालयों (Debate on Education Reform in Rajasthan Assembly) पर भी लगाम लगाने की बात कही. उन्होंने कहा कि यह विश्वविद्यालय जिस गति से पीएचडी की डिग्रियां बांट रहे हैं, उतनी डिग्रीयां तो पूरे इतिहास में नहीं बांटी गईं.