जयपुर. कोरोना की दूसरी लहर अप्रैल में राजस्थान में कहर बरपा रही थी. लेकिन महामारी के इस टाइम में भी रिश्वतखोर अपनी आदत से बाज नहीं आ रहे थे. राजस्थान एसीबी ने ऐसे रिश्वतखोरों की कमर तोड़ने का काम किया है. अप्रैल में रिश्वतखोरों ने रिश्वत की होम डिलीवरी भी करवाई. कुछ लोगों ने अपने घर पर रिश्वत की राशि मंगवाई तो कुछ ने अपने किसी परिचित की दुकान पर रिश्वत की राशि प्राप्त की. ऐसे तकरीबन आधा दर्जन प्रकरण सामने आए हैं जिनमें रिश्वतखोर अधिकारियों ने परिवादी को घर बुलाकर रिश्वत ली.
अप्रैल में एसीबी ने किए 28 ट्रैप
ईटीवी भारत ने राजस्थान एसीबी के डीजी बीएल सोनी से खास बातचीत की. बीएल सोनी ने बताया कि अप्रैल में कोरोना भी कुछ भ्रष्ट अधिकारी, कर्मचारी रिश्वत मांग रहे थे. अप्रैल में एसीबी ने 28 ट्रैप की कार्रवाई की हैं. राजस्थान एसीबी ने जनवरी 2021 से अप्रैल 2021 तक प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत 141 प्रकरण दर्ज किए गए हैं. 2020 में यह आंकड़ा 79 था और 2020 अप्रैल में एसीबी ने महज 1 ही ट्रैप की कार्रवाई की थी. 2020 में जब कोरोना की पहली लहर का प्रकोप था तो उस वक्त लोगों में भय काफी देखा जा रहा था और यही कारण है कि उस वक्त रिश्वत मांगने के मामलों में भी कमी आई थी. जबकि 2021 में कोरोना की दूसरी लहर पहली लहर की तुलना में घातक साबित हुई. लेकिन इस बार रिश्वतखोरो में उसका भय नहीं दिखा.
जिस विभाग में निरंतर काम जारी वहां मांगी जा रही रिश्वत
एसीबी डीजी बीएल सोनी ने बताया की ऐसे विभाग जिनमें निरंतर काम जारी है, वहां लोगों से रिश्वत की मांग की जा रही है. इन दिनों मेडिकल विभाग, पुलिस विभाग और ट्रांसपोर्ट विभाग से संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों को रिश्वत राशि लेते हुए रंगे हाथों दबोचा गया है. इसके साथ ही ज्यादातर विभागों में काम नहीं होने के चलते अधिकारी अपने घर से ही पेंडिंग कामों को निपटाने के एवज में परिवादी से रिश्वत की मांग कर रहे हैं.
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सोनी ने बताया कि एसीबी को जब इस तरह की शिकायतें प्राप्त होती हैं तो उनका सत्यापन करवाया जाता है और फिर भ्रष्ट अधिकारी को रंगे हाथों गिरफ्तार किया जाता है. आधा दर्जन मामले ऐसे सामने आए हैं जिसमें रिश्वत की राशि अधिकारी ने अपने घर पर, परिवादी के घर पर, किसी दुकान पर या परिवादी के किसी स्थान पर जाकर ली है.
कोरोना के इलाज के नाम पर रिश्वत मांगने वालों की खैर नहीं
एसीबी डीजी बीएल सोनी ने बताया कि कोरोना के इलाज के नाम पर लोगों से रिश्वत की मांग करने वाले लोक सेवकों के खिलाफ भी एसीबी कार्रवाई कर रही है. ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन, अस्पताल में बेड दिलाने को लेकर यदि कोई लोक सेवक अपने पद का दुरुपयोग करता हुआ पाया जा रहा है तो उसके खिलाफ भी एसीबी सख्त एक्शन ले रही है. कोरोना में आवश्यक चीजों की कालाबाजारी करने वाले लोगों के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश एसीबी मुख्यालय से सभी यूनिटों को दिए गए हैं.
एसीबी ने कोरोना में ऑक्सीजन, रेमडेसिविर आदि की कालाबाजारी के मामलों में जयपुर में 2 प्रकरण और कोटा, अजमेर में एक-एक प्रकरण दर्ज कर कार्रवाई की है. डीजी बीएल सोनी ने आमजन से भी अपील की कि कोई भी लोक सेवक चाहे वह सरकारी हो या सरकार से अनुदानित किसी संस्था का हो. यदि वह किसी भी प्रकार से रिश्वत की मांग करे तो उसकी शिकायत तुरंत एसीबी की हेल्पलाइन 1064 पर करें.
अप्रैल में की गई कुछ कार्रवाई
- 10 अप्रैल को एसीबी ने 25 हजार रुपये की रिश्वत लेते हुए बूंदी के सहकारी उपभोक्ता होलसेल भंडार के फार्मासिस्ट इंद्रराज को गिरफ्तार किया था
- 11 अप्रैल को जालोर में सायला पुलिस थाने के सहायक उप निरीक्षक पुलिस बाबूलाल राजपुरोहित 45 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार
- 12 अप्रैल को ग्रेटर नगर निगम जयपुर के सहायक अग्निशमन अधिकारी छोटूराम और ड्राइवर फतेह सिंह 90 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार
- 13 अप्रैल को बांसवाड़ा में कलिंजरा पुलिस थाने का हेड कांस्टेबल श्रीलाल 10 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार
- 19 अप्रैल को कोटा में पुलिस थाना भीमगंज मंडी के सहायक उप निरीक्षक शुभम कुमार 20 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार
- 24 अप्रैल को बाड़मेर में पंचायत समिति सिवाना के कनिष्ठ तकनीकी सहायक देवेंद्र मालवीय 1 लाख रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार
- 30 अप्रैल को झुंझुनू में एडीजे कोर्ट चिड़ावा के लोक अभियोजक मोहम्मद खादिम और टाइपिस्ट जीतू 55 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार
- 30 अप्रैल को कोटा में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के जिला लेखा प्रबंधक महेंद्र कुमार मालीवाल 50 हजार रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार