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मुकदमों की कॉज लिस्ट छापने और वितरण पर रोक लगाने के आदेश की क्रियान्विति पर हाईकोर्ट की रोक - न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह

मुकदमों की कॉज लिस्ट छापने और वितरण करने को लेकर एकलपीठ ने 18 नंवबर को रोक लगा दी थी. इस पर दायर एक अपील पर सुनवाई करते हुए अब खंडपीठ ने एकलपीठ के आदेशों की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है.

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Published : Nov 5, 2019, 10:30 PM IST

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के उस आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है, जिसमें एकलपीठ ने 18 नवंबर से हाईकोर्ट के मुकदमों की कॉज लिस्ट को छापने और उसका वितरण करने पर रोक लगा दी थी. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब तलब किया है.

न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश सुनील समदडिया की अपील पर दिए. अपील में कहा गया कि कॉज लिस्ट के संबंध में प्रशासनिक स्तर पर आदेश जारी किया जा सकता है. जिसे जारी करने की शक्ति केवल मुख्य न्यायाधीश को ही है.

पढ़ेंः निकाय चुनाव 2019: सांसद पुत्री का पार्षद का टिकट फाइनल, सभापति पद की हैं बड़ी दावेदार

ऐसे में एकलपीठ न्यायिक आदेश जारी कर कॉज लिस्ट का प्रकाशन और वितरण नहीं रोक सकती. वहीं इसका प्रकाशन और वितरण नहीं होने से वकीलों को काफी दिक्कत होगी. सुनवाई के दौरान अन्य वकीलों की ओर से भी कहा गया कि कॉज लिस्ट के लिए री-साईकिल हुआ कागज काम में लिया जाता है. जिसके चलते पर्यावरण पर इसका वितरीत प्रभाव नहीं पडेगा.

पढ़ेंः फिर पाकिस्तानी लड़कियों के हनीट्रैप का शिकार हुए सेना के दो जवान, खुफिया एजेंसी ने किया गिरफ्तार

गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने गत 23 अक्टूबर को एक प्रकरण में सुनवाई करते हुए स्वप्रेरणा से 18 नवंबर से कॉज लिस्ट के प्रकाशन और उसके वितरण पर रोक लगा दी थी.

जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के उस आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है, जिसमें एकलपीठ ने 18 नवंबर से हाईकोर्ट के मुकदमों की कॉज लिस्ट को छापने और उसका वितरण करने पर रोक लगा दी थी. इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब तलब किया है.

न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश सुनील समदडिया की अपील पर दिए. अपील में कहा गया कि कॉज लिस्ट के संबंध में प्रशासनिक स्तर पर आदेश जारी किया जा सकता है. जिसे जारी करने की शक्ति केवल मुख्य न्यायाधीश को ही है.

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ऐसे में एकलपीठ न्यायिक आदेश जारी कर कॉज लिस्ट का प्रकाशन और वितरण नहीं रोक सकती. वहीं इसका प्रकाशन और वितरण नहीं होने से वकीलों को काफी दिक्कत होगी. सुनवाई के दौरान अन्य वकीलों की ओर से भी कहा गया कि कॉज लिस्ट के लिए री-साईकिल हुआ कागज काम में लिया जाता है. जिसके चलते पर्यावरण पर इसका वितरीत प्रभाव नहीं पडेगा.

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गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने गत 23 अक्टूबर को एक प्रकरण में सुनवाई करते हुए स्वप्रेरणा से 18 नवंबर से कॉज लिस्ट के प्रकाशन और उसके वितरण पर रोक लगा दी थी.

Intro:जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट की खंडपीठ ने एकलपीठ के उस आदेश की क्रियान्विति पर रोक लगा दी है, जिसमें एकलपीठ ने 18 नवंबर से हाईकोर्ट के मुकदमों की कॉज लिस्ट को छापने और उसका वितरण करने पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार और हाईकोर्ट प्रशासन से जवाब तलब किया है। Body:न्यायाधीश मोहम्मद रफीक और न्यायाधीश नरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने यह आदेश सुनील समदडिया की अपील पर दिए। अपील में कहा गया कि कॉज लिस्ट के संबंध में प्रशासनिक स्तर पर आदेश जारी किया जा सकता है। जिसे जारी करने की शक्ति केवल मुख्य न्यायाधीश को ही है। ऐसे में एकलपीठ न्यायिक आदेश जारी कर कॉज लिस्ट का प्रकाशन और वितरण नहीं रोक सकती। वहीं इसका प्रकाशन और वितरण नहीं होने से वकीलों को काफी दिक्कत होगी। सुनवाई के दौरान अन्य वकीलों की ओर से भी कहा गया कि कॉज लिस्ट के लिए री-साईकिल हुआ कागज काम में लिया जाता है। जिसके चलते पर्यावरण पर इसका वितरीत प्रभाव नहीं पडेगा। गौरतलब है कि हाईकोर्ट की एकलपीठ ने गत 23 अक्टूबर को एक प्रकरण में सुनवाई करते हुए स्वप्रेरणा से 18 नवंबर से कॉज लिस्ट के प्रकाशन और उसके वितरण पर रोक लगा दी थी।
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