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आरटीई में बच्चों की जानकारी और पढ़ाई गई सामग्री अपलोड करने को लेकर निजी स्कूल का विरोध - निजी शिक्षण संस्थान

आरटीई की बकाया पुनर्भरण राशि का भुगतान नहीं होने से नाराज निजी स्कूल अब सरकार के एक आदेश के खिलाफ खुलकर विरोध में उतर आए हैं. उन्हें आरटीई में पढ़ने वाले बच्चों की जानकारी और ऑनलाइन पढ़ाई गई सामग्री पोर्टल पर अपलोड करने को कहा गया है. जिसका निजी शिक्षण संस्थान विरोध कर रहे हैं.

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आरटीई में बच्चों की जानकारी और पढ़ाई गई सामग्री अपलोड करने को लेकर निजी स्कूल का विरोध
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Published : May 19, 2021, 3:17 AM IST

जयपुर. आरटीई के तहत प्रवेशित विद्यार्थियों का डाटा और उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई गई सामग्री पोर्टल पर अपलोड करने के मामले को लेकर एक बार फिर निजी स्कूलों और सरकार के बीच ठन गई है. निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि लॉकडाउन के हालात में शिक्षण संस्थान बंद हैं. कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच कर्मचारियों को बुलाकर ऑनलाइन डाटा फीडिंग का काम करवाना संभव नहीं है. आरटीई के तहत बकाया पुनर्भरण राशि के मामले को लेकर भी निजी स्कूल संचालकों ने सरकार का विरोध दर्ज करवाया है.

स्कूल क्रांति संघ की प्रदेशाध्यक्ष हेमलता शर्मा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेशित किया है कि जुलाई से पहले प्राइवेट स्कूलों की आरटीई के अंतर्गत बकाया राशि का भुगतान अनिवार्यता से करे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. अब राज्य सरकार द्वारा आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों के आधार कार्ड, ई मेल आईडी के साथ ही उन्हें पढ़ाई गई ऑनलाइन सामग्री भी पोर्टल पर अपलोड करने का फरमान जारी किया है. उनका कहना है कि इस तुगलकी फरमान के खिलाफ प्रदेश के सभी निजी स्कूल एकजुट हो गए हैं. सभी निजी स्कूलों ने एकस्वर में कहा कि ऐसे गैर कानूनी आदेश थोपकर सरकार आरटीई के तहत पुनर्भरण राशि का भुगतान नहीं करना चाहती है.

यह भी पढ़ें- राजस्थान हाईकोर्ट: नारायण साईं की याचिका पर निर्देश- अधिवक्ता को आसाराम के उपचार की दी जाये रिपोर्ट

वहीं निजी स्कूल संचालकों की दलील है कि कोरोना संकट के मद्देनजर लॉकडाउन लगा है. सभी शिक्षण संस्थान भी बंद हैं. अब बंद स्कूलों में अभिभावकों को बुलाना संभव नहीं है. बिना कर्मचारियों को बुलाए यह काम संभव नहीं है और कर्मचारियों और अभिभावकों को अभी स्कूल बुलाना भी संभव नहीं है. ऐसे में स्कूल क्रांति संघ के सभी जिलों के प्रतिनिधियों की और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों की वर्चुअल बैठक में यह फैसला लिया गया कि किसी भी हाल में पोर्टल पर यह जानकारी अपलोड नहीं की जाएगी.

जयपुर. आरटीई के तहत प्रवेशित विद्यार्थियों का डाटा और उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई गई सामग्री पोर्टल पर अपलोड करने के मामले को लेकर एक बार फिर निजी स्कूलों और सरकार के बीच ठन गई है. निजी स्कूल संचालकों का कहना है कि लॉकडाउन के हालात में शिक्षण संस्थान बंद हैं. कोरोना संक्रमण के खतरे के बीच कर्मचारियों को बुलाकर ऑनलाइन डाटा फीडिंग का काम करवाना संभव नहीं है. आरटीई के तहत बकाया पुनर्भरण राशि के मामले को लेकर भी निजी स्कूल संचालकों ने सरकार का विरोध दर्ज करवाया है.

स्कूल क्रांति संघ की प्रदेशाध्यक्ष हेमलता शर्मा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेशित किया है कि जुलाई से पहले प्राइवेट स्कूलों की आरटीई के अंतर्गत बकाया राशि का भुगतान अनिवार्यता से करे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. अब राज्य सरकार द्वारा आरटीई के तहत प्रवेशित बच्चों के आधार कार्ड, ई मेल आईडी के साथ ही उन्हें पढ़ाई गई ऑनलाइन सामग्री भी पोर्टल पर अपलोड करने का फरमान जारी किया है. उनका कहना है कि इस तुगलकी फरमान के खिलाफ प्रदेश के सभी निजी स्कूल एकजुट हो गए हैं. सभी निजी स्कूलों ने एकस्वर में कहा कि ऐसे गैर कानूनी आदेश थोपकर सरकार आरटीई के तहत पुनर्भरण राशि का भुगतान नहीं करना चाहती है.

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वहीं निजी स्कूल संचालकों की दलील है कि कोरोना संकट के मद्देनजर लॉकडाउन लगा है. सभी शिक्षण संस्थान भी बंद हैं. अब बंद स्कूलों में अभिभावकों को बुलाना संभव नहीं है. बिना कर्मचारियों को बुलाए यह काम संभव नहीं है और कर्मचारियों और अभिभावकों को अभी स्कूल बुलाना भी संभव नहीं है. ऐसे में स्कूल क्रांति संघ के सभी जिलों के प्रतिनिधियों की और अन्य संगठनों के प्रतिनिधियों की वर्चुअल बैठक में यह फैसला लिया गया कि किसी भी हाल में पोर्टल पर यह जानकारी अपलोड नहीं की जाएगी.

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