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प्रदेश के निजी स्कूल संचालक और सरकार आमने-सामने, शिक्षकों की सैलरी देने पर ठनी

प्रदेश में निजी स्कूल संचालक और सरकार आमने-सामने होते दिख रहे हैं. सरकार ने पहले निजी स्कूलों को अभिभावकों से फीस नहीं लेने और अब स्टाफ को सैलरी समय पर देने के निर्देश दिए हैं. ऐसा नहीं करने पर मान्यता रद्द करने की चेतावनी भी दी है. जिस पर अब स्कूल संचालकों ने सरकार से पहले 2 साल से लंबित चल रहे 800 करोड़ आरटीई भुगतान की मांग की है.

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सैलरी के मामले में निजी स्कूल संचालक और सरकार आमने-सामने
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Published : Apr 12, 2020, 6:09 PM IST

जयपुर. सरकार की ओर से लॉकडाउन की अवधि में निजी स्कूलों को फीस नहीं लेने के निर्देश दिए गए हैं. इसी के साथ शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने निजी स्कूल संचालकों को स्टाफ की सैलरी भी समय पर देने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने साफ किया है कि स्कूल संचालक स्कूल नहीं चलने का बहाना बनाकर स्टाफ की सैलरी नहीं रोके, अगर किसी स्कूल की वेतन रोकने की शिकायत आएगी, तो जांच करा कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

सैलरी के मामले में निजी स्कूल संचालक और सरकार आमने-सामने

बता दें कि सरकार के इस निर्देश के बाद अब निजी स्कूल संचालकों ने भी अपना पक्ष रखा है. उनकी मानें तो सरकार 2 साल से आरटीई का भुगतान नहीं दे रही है और अभिभावकों को भी 3 महीने तक फीस का भुगतान नहीं करने की राहत दी है. ऐसी स्थिति में ना तो फीस आई और ट्रेजरी में भुगतान पर रोक लगाने के कारण आरटीई भुगतान भी नहीं हो पाया.

जिसके चलते स्कूल संचालकों का अपना घर चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में टीचर्स को वेतन कहां से दें. स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार को कोई भी आदेश देने से पहले व्यवहारिक रूप से सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि सरकार गरीब टीचर्स की वास्तव में मदद करना चाहती है, तो तत्काल आरटीआई का भुगतान जारी करें और एमएलए/एमपी फंड में से टीचर्स के वेतन की राशि अनुदान के रूप में जारी करें.

पढ़ें: Special: 'कोरोना योद्धा' नर्स का दर्द... रामगंज में ड्यूटी करके आने के बाद अपने ही घर जाने से रोकते हैं मोहल्लावासी

आपको बता दें कि स्टाफ की सैलरी रोकने पर सरकार के पास निजी स्कूल की मान्यता वापस लेने का अधिकार है. वेतन रोकने पर राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम 1989 और नियम 1993 में सरकार को अधिकार प्राप्त है कि वो संस्था की मान्यता वापस ले सकती है. ऐसे में फिलहाल निजी स्कूल संचालक सरकार के आदेशों में घिरे हुए हैं.

जयपुर. सरकार की ओर से लॉकडाउन की अवधि में निजी स्कूलों को फीस नहीं लेने के निर्देश दिए गए हैं. इसी के साथ शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने निजी स्कूल संचालकों को स्टाफ की सैलरी भी समय पर देने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने साफ किया है कि स्कूल संचालक स्कूल नहीं चलने का बहाना बनाकर स्टाफ की सैलरी नहीं रोके, अगर किसी स्कूल की वेतन रोकने की शिकायत आएगी, तो जांच करा कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

सैलरी के मामले में निजी स्कूल संचालक और सरकार आमने-सामने

बता दें कि सरकार के इस निर्देश के बाद अब निजी स्कूल संचालकों ने भी अपना पक्ष रखा है. उनकी मानें तो सरकार 2 साल से आरटीई का भुगतान नहीं दे रही है और अभिभावकों को भी 3 महीने तक फीस का भुगतान नहीं करने की राहत दी है. ऐसी स्थिति में ना तो फीस आई और ट्रेजरी में भुगतान पर रोक लगाने के कारण आरटीई भुगतान भी नहीं हो पाया.

जिसके चलते स्कूल संचालकों का अपना घर चलाना मुश्किल हो रहा है. ऐसे में टीचर्स को वेतन कहां से दें. स्कूल संचालकों का कहना है कि सरकार को कोई भी आदेश देने से पहले व्यवहारिक रूप से सोचना चाहिए. उन्होंने कहा कि यदि सरकार गरीब टीचर्स की वास्तव में मदद करना चाहती है, तो तत्काल आरटीआई का भुगतान जारी करें और एमएलए/एमपी फंड में से टीचर्स के वेतन की राशि अनुदान के रूप में जारी करें.

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आपको बता दें कि स्टाफ की सैलरी रोकने पर सरकार के पास निजी स्कूल की मान्यता वापस लेने का अधिकार है. वेतन रोकने पर राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम 1989 और नियम 1993 में सरकार को अधिकार प्राप्त है कि वो संस्था की मान्यता वापस ले सकती है. ऐसे में फिलहाल निजी स्कूल संचालक सरकार के आदेशों में घिरे हुए हैं.

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