जयपुर. कोरोना संकट के बीच अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी राजस्थानियों की राज्य में वापसी को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है. प्रदेश भाजपा नेताओं ने इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बयान और सरकार के अधिकारियों के विरोधाभासी पत्र से भ्रम की स्थिति बनने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री से स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है.
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भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने ट्विटर के जरिए इस मामले में प्रदेश सरकार को घेरते हुए मुख्यमंत्री से अनुरोध किया कि, वे इस मामले में बयान बाजी, राजनीति करने और केंद्र सरकार को कोसने की बजाय व्यवहारिक पक्ष के अनुरूप ही समुचित कार्रवाई करें. सतीश पूनिया ने ट्विटर के जरिए प्रदेश सरकार के रैपिड जांच किट की खरीद में कथित घोटाले की बात कहते हुए प्रदेश सरकार को घेरने का प्रयास किया.
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प्रवासी भाईयों को लेकर मुख्यमंत्री जी के बयानों और सरकार के अधिकारियों के विरोधाभासी पत्रों से भ्रम की स्थिति बनी है;मेरा अनुरोध है कि इस मामले में बयानबाज़ी व राजनीति करने और केन्द्र को कोसने की बजाय व्यावहारिक पक्ष के अनुरूप ही समुचित कार्यवाही करें@bjp4india @BJP4Rajasthan
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— Satish Poonia (@DrSatishPoonia) April 28, 2020प्रवासी भाईयों को लेकर मुख्यमंत्री जी के बयानों और सरकार के अधिकारियों के विरोधाभासी पत्रों से भ्रम की स्थिति बनी है;मेरा अनुरोध है कि इस मामले में बयानबाज़ी व राजनीति करने और केन्द्र को कोसने की बजाय व्यावहारिक पक्ष के अनुरूप ही समुचित कार्यवाही करें@bjp4india @BJP4Rajasthan
— Satish Poonia (@DrSatishPoonia) April 28, 2020
वहीं प्रवासी राजस्थानी और को विभिन्न प्रदेशों से राजस्थान लाने के मामले में केंद्रीय संसदीय कार्य और भारी उद्योग राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने भी प्रदेश सरकार पर निशाना साधा है. मेघवाल ने जालौर, सिरोही कलेक्टर गुजरात के सूरत राजकोट सहित कुछ जिलों में भेजे गए पत्र का उदाहरण भी दिया. जिसमें वहां के हॉटस्पॉट बने केंद्रों से किसी भी प्रवासी को राजस्थान में लाए जाने की बात से इंकार किया था. मेघवाल ने कहा पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने कलेक्टर के लिखे गए पत्र को पढ़ ले. यह स्पष्ट करें कि क्या सरकार इस दिशा में प्रभावी और सकारात्मक कदम उठाना चाहती है या नहीं.