जयपुर. बिजली संकट के बीच भाजपा प्रदेश के विभिन्न जिलों में बिजली कार्यालयों पर प्रदर्शन कर रही है. भाजपा के इस प्रदर्शन पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निशाना साधा है. सीएम गहलोत के बयान पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने तीखा कटाक्ष (Satish Poonia targets CM Ashok Gehlot) किया है. पूनिया ने कहा कि सरकार के बिजली कुप्रबंधन की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री केंद्र सरकार पर थोपने का काम करते हैं, जबकि अग्नि परीक्षा मुख्यमंत्री की है. सीएम गहलोत को इस भीषण गर्मी में आमजन को बिजली की समस्या से निजात दिलाना चाहिए.
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने इस मसले पर शुक्रवार दोपहर एक ट्वीट भी किया जिसमें 25 अप्रैल के उस सरकारी पत्र को भी साझा किया गया जो डीआईपीआर ने जारी किया था. सतीश पूनिया ने अपने ट्वीट में लिखा कि 55 वर्षों तक राज करने के बावजूद कांग्रेस के राज में प्रदेश आत्मनिर्भर क्यों नहीं बना? प्रबंधन ठीक क्यों नहीं किया गया. अभी भी कोयले की कमी पर आपके और आपकी ही सरकार के डीआईपीआर के विरोधाभासी बयान है'.
हालांकि डीआईपीआर का जो पत्र साझा किया गया था उसमें मीडिया में प्रकाशित किसी खबर पर तथ्यात्मक टिप्पणी और सफाई दी गई थी, जिसमें प्रदेश में बंद पड़े थर्मल इकाइयों का कारण स्पष्ट किया गया था. उसमें यह बताया गया था कि जो थर्मल विद्युत इकाइयां बंद है उनमें दो वार्षिक मेंटेनेंस की दृष्टि से जबकि अन्य तीन तकनीकी कारणों से बंद है. इस पत्र में देशव्यापी कोयला संकट का भी जिक्र था, लेकिन यह भी लिखा गया था कि विद्युत मांग की आपूर्ति और कोयला स्टॉक निर्माण करने के लिए उत्पादन निगम के सतत प्रयासों से कोल इंडिया लिमिटेड की ओर से ब्रिज लिंकेज और अतिरिक्त कोयला आवंटित करवाकर अधिकाधिक कोयला आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है.
दरअसल, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज सुबह ट्वीट (Ashok Gehlot Tweet on Power crisis) कर भाजपा के इस विरोध प्रदर्शन पर सवाल उठाए थे और कहा था कि राजस्थान भाजपा का दिशाहीन प्रदेश नेतृत्व केंद्र सरकार से इस बारे में सवाल पूछे कि राज्यों को मांग के अनुसार कोयला उपलब्ध कराने में वो सक्षम क्यों नहीं हैं. जिसके चलते 16 राज्यों में बिजली कटौती की नौबत आई है. इस पर पूनिया ने यह पलटवार किया है.