जयपुर. राजस्थान में जारी सियासी संग्राम के बीच सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की आशंका में इस्तीफा देने वाले विधायकों में से कुछ के सुर कांग्रेस आलाकमान के समर्थन में बदलने लगे हैं. वहीं, दूसरी तरफ खेमे के मंत्री विधायकों ने अब प्रभारी अजय माकन पर राजस्थान में पक्षपात का आरोप (Gehlot Camp Alleged Ajay Maken) लगाते हुए मोर्चा खोल दिया है. राजस्थान प्रभारी अजय माकन की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले का नेतृत्व कर रहे मंत्री शांति धारीवाल, महेश जोशी और प्रताप सिंह खाचरियावास को दिल्ली से आधिकारिक रूप से कारण बताओ नोटिस कभी भी जारी हो सकते हैं.
राजस्थान में बदले सियासी हालात के बीच गहलोत खेमे के विधायक अजय माकन के खिलाफ आक्रमक हो गए हैं. मंत्री शांति धारीवाल ने सीधे तौर पर कहा कि राजस्थान में जो भी कुछ घटनाक्रम हो रहा है, उसमें अजय माकन की भूमिका रही है. धारीवाल ने आरोप लगाया कि माकन कांग्रेस सरकार के खिलाफ (Shanti Dhariwal on Ajay Maken) बगावत कर चुके नेता को सत्ता की चाबी सौंपने के लिए पक्षपात कर रहे हैं. वहीं, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने भी कह दिया कि अजय माकन और कांग्रेस आलाकमान के एक इशारे पर हम दिल्ली भीड़ लेकर पहुंच जाते हैं. माकन हमारे परिवार के मुखिया हैं और हमारी आवाज सुनना, समझना और उसको आलाकमान सोनिया गांधी तक पहुंचाना उनकी जिम्मेदारी है.
खाचरियावास ने कहा कि यदि हमने उनको कोई बात कही है तो हमारे परिवार का मुखिया समझ कर कही है. अगर उन्हें बुरा लगा है और वह हमें नोटिस देंगे तो हम उन्हें जवाब देंगे. लेकिन उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि हम ही खून-पसीना बहाते हैं और आगे भी जब भी हमें आह्वान करेंगे हम तैयार मिलेंगे. बता दें कि साल 2020 में जब पायलट गुट ने बगावत की थी उस समय पायलट गुट की तरफ से तत्कालीन प्रभारी अविनाश पांडे पर पक्षपात करने के आरोप लगाए गए थे. यही कारण था कि पांडे को उस समय राजस्थान के प्रभारी पद से हटाया गया था. ताजा घटनाक्रम में यही आरोप गहलोत खेमे ने अजय माकन पर लगाए हैं. माना जा रहा है कि इन तीनों मंत्रियों को कारण बताओ नोटिस अंदर खाने में दिया जाएगा, जिसका जवाब भी इन मंत्रियों को देना होगा. लेकिन जिस तरह से शांति धारीवाल ने रुख अपनाया है, उससे वे साफ संदेश देना चाहते हैं कि राजस्थान में अजय माकन लंबे समय से गुटबाजी को प्रमोट कर रहे थे.
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गहलोत समर्थकों ने कहा- भरें राष्ट्रीय अध्यक्ष का नामांकन : राजस्थान में जारी सियासी तूफान के बीच (Rajasthan Political Crisis) सबसे ज्यादा चर्चा इस बात को लेकर है कि क्या वर्तमान राजनीतिक संकट के बीच सीएम अशोक गहलोत कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ेंगे. क्योंकि जो गहलोत पहले आलाकमान के प्रत्याशी माने जा रहे थे, वहीं अब माना जा रहा है कि कांग्रेस आलाकमान वर्तमान में पार्टी का अधिकारिक प्रत्याशी बनाने का दांव नहीं खेलेगा. लेकिन सोमवार देर रात मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के आवास पर पहुंचे मंत्रियों, विधायकों ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से कांग्रेस अध्यक्ष का नामांकन दाखिल करने का सुझाव दिया है.
गहलोत समर्थक विधायकों ने मुख्यमंत्री से कहा कि वह नामांकन दाखिल करें और आलाकमान अगर उन्हें नामांकन वापस (Congress President Nomination) लेने को कहता है तो वह वापस ले लें, अन्यथा राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लड़ें. हालांकि, इस मामले में गहलोत की ओर से कोई जवाब नहीं आया है.
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