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POCSO Court : नाबालिग से दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त को 10 साल की सजा सुनाई

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Published : Jul 8, 2022, 9:02 PM IST

जयपुर शहर के पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत-क्रम 3 ने नाबालिग का अपहरण कर दुष्कर्म करने के मामले में अभियुक्त को दस साल कारावास की सजा सुनाई (Ten years imprisonment for accused of raping minor) है. साथ ही अदालत ने अभियुक्त पर 50 हजार रुपए का अर्थदंड भी लगाया है.

POCSO Court in Jaipur
कोर्ट का हैमर

जयपुर. शहर के पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-3 महानगर प्रथम ने नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त अजीजार आलम उर्फ मोंटू को दस साल कारावास की सजा सुनाई (Ten years imprisonment for accused of raping minor) है. अदालत ने अभियुक्त पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

सुनवाई के दौरान पीड़िता पक्षद्रोही हो गई, लेकिन कोर्ट ने डीएनए जांच के आधार पर अभियुक्त को सजा दी है. अदालत ने कहा कि नाबालिग की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है. अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया कि पन्द्रह वर्षीय पीड़िता के पिता ने एक अगस्त, 2019 को मालवीय नगर थाने में पीड़िता के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. वहीं पुलिस को चार अगस्त को पीड़िता बरामद हुई. इसी दिन पीड़िता के कराए गए मेडिकल में वह दस सप्ताह की गर्भवती पाई गई. दूसरी ओर पुलिस ने 22 सितंबर को दिल्ली से अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. सुनवाई के दौरान पीड़िता ने अभियुक्त पर कोई आरोप नहीं लगाया. लेकिन डीएनए जांच में आया कि अभियुक्त ने ही पीड़िता को गर्भवती किया है. इसके आधार पर अदालत ने अभियुक्त को सजा सुनाई है.

जयपुर. शहर के पॉक्सो मामलों की विशेष अदालत क्रम-3 महानगर प्रथम ने नाबालिग का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म करने वाले अभियुक्त अजीजार आलम उर्फ मोंटू को दस साल कारावास की सजा सुनाई (Ten years imprisonment for accused of raping minor) है. अदालत ने अभियुक्त पर 50 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

सुनवाई के दौरान पीड़िता पक्षद्रोही हो गई, लेकिन कोर्ट ने डीएनए जांच के आधार पर अभियुक्त को सजा दी है. अदालत ने कहा कि नाबालिग की सहमति कानून में कोई महत्व नहीं रखती है. अभियोजन पक्ष की ओर से अदालत को बताया कि पन्द्रह वर्षीय पीड़िता के पिता ने एक अगस्त, 2019 को मालवीय नगर थाने में पीड़िता के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. वहीं पुलिस को चार अगस्त को पीड़िता बरामद हुई. इसी दिन पीड़िता के कराए गए मेडिकल में वह दस सप्ताह की गर्भवती पाई गई. दूसरी ओर पुलिस ने 22 सितंबर को दिल्ली से अभियुक्त को गिरफ्तार कर अदालत में आरोप पत्र पेश किया. सुनवाई के दौरान पीड़िता ने अभियुक्त पर कोई आरोप नहीं लगाया. लेकिन डीएनए जांच में आया कि अभियुक्त ने ही पीड़िता को गर्भवती किया है. इसके आधार पर अदालत ने अभियुक्त को सजा सुनाई है.

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